मिडिल ईस्ट ईरान की ताकत देख घबराए नेतन्याहू, फिर लगाई ट्रंप से बचाने की गोहार!
एक बार फिर से मिडिल ईस्ट में वार का खतरा मंडराने लगा है क्योंकि ईरान अपनी मिसाइलों को लेकर एक बहुत बड़ी तैयारी में जुट गया है और ये तैयारी ऐसी है कि जिससे न सिर्फ इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की सिट्टी पिट्टी गुम हो गई है

4पीएम न्यूज नेटवर्क: एक बार फिर से मिडिल ईस्ट में वार का खतरा मंडराने लगा है क्योंकि ईरान अपनी मिसाइलों को लेकर एक बहुत बड़ी तैयारी में जुट गया है और ये तैयारी ऐसी है कि जिससे न सिर्फ इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की सिट्टी पिट्टी गुम हो गई है।
बल्कि जैसे ही ये खबर सामने आई है वो अपने आका डोनाल्ड ट्रंप के पास एक बार फिर से बचाने की गोहार लेकर पहुंच चुके हैं और 29 तारीख को नेतन्याहू अपने आका ट्रंप के साथ एक मेगा मीटिंग करने वाले हैं। इसके बाद मिडिल ईस्ट में फिर से वार शुरु हो सकती है। क्यों नेतन्याहू भागे-भागे ट्रंप के पास पहुंचे हैं और ईरान ने ऐसा क्या कर दिया है कि नेतन्याहू को मदद मांगने पर मजबूर होना पड़ा है।
जैसा कि आप जानते हैं कि ईरान पिछले दिनों मिडिल ईस्ट की बड़ी ताकत बनकर उभरा है और पिछले दिनों जिस तरह से इजराइल और अमेरिका दोनों ने मिलकर ईरान की मिटाने की कोशिश की लेकिन उसका बाल बांका भी नहीं कर सके । आखिर में ट्रंप को खुद ही सीजफायर का ऐलान करना पड़ा जबकि ईरान सीजफायर ने आखिरी दम तक सीजफायर को नहीं माना और वो अपनी मिसाइलों से लगातार इजराइल को दहलाता रहा लेकिन बीच में कुवैत समेत कई मिडिल ईस्ट के देशों ने ईरान को मनाया और फिर सीजफायर पर ईरान राजी हुआ।
लेकिन इस बीच ईरान की बैलेस्टिक मिसाइलों से जिस तरह से दो दो देशों की सीमाओं को चीरते हुए इजराइल तक हमला किया, वो सच में चौंका देने वाला था और ईरान ने साबित किया कि वो खुद की टेक्नोलॉजी से आने वाले समय में एक ताकतवर मुस्लिम देश बनेगा। आज ईरान की मिसाइलें दुनिया की सबसे एडवांस्ड में से एक हैं। जैसे शाहब-3, फतह-1, और हाल ही की हाइपरसोनिक मिसाइलें जो 2000 किलोमीटर से ज्यादा दूर तक मार कर सकती हैं। लेकिन अब खबर यह है कि ईरान अपनी प्रोडक्शन स्पीड बढ़ा रहा है।
कुछ रिपोर्ट्स कहती हैं कि अगर ईरान को नहीं रोका गया तो वह सालाना 3000 बैलिस्टिक मिसाइलें बना सकता है। लेकिन इजराइली मीडिया और उनके एक्सपर्ट्स इसे 300 महीने में बताते हैं, जो भी बहुत बड़ी संख्या है। असल में, जून 2025 के 12-दिवसीय युद्ध के बाद ईरान ने अपनी मिसाइल फैक्टरियों को तेजी से रीबिल्ड किया। उस युद्ध में ईरान ने इजराइल पर 500 से ज्यादा मिसाइलें दागी थीं, लेकिन इजराइल के आयरन डोम ने ज्यादातर को रोक लिया। अब ईरान कह रहा है कि उसकी मिसाइलें सिर्फ डिफेंस के लिए हैं, न कि हमले के लिए। लेकिन इजराइल और अमेरिका इसे खतरा मानते हैं। क्यों? क्योंकि ईरान की मिसाइलें इजराइल तक आसानी से पहुंच सकती हैं, और अगर ईरान ने अपनी प्रोडक्शन बढ़ाई तो इजराइल की डिफेंस सिस्टम ओवरलोड हो सकती है।
यहां इजराइल की दोहरी नीति साफ दिखती है। कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि इजराइल के खुद के पास सैकड़ों न्यूक्लियर वेपन्स हैं, लेकिन ईरान को एक भी मिसाइल बनाने नहीं देना चाहता। यह कैसी न्याय है? ईरान के जनरल अबोलफज्ल शेकारची ने हाल ही में कहा कि उनकी मिसाइल प्रोडक्शन लाइन कभी रुकी नहीं, और जून के युद्ध में उनकी मिसाइलें इजराइल की डिफेंस को भेद चुकी हैं। ईरान की सालाना प्रोडक्शन कैप 100 यूनिट्स है, लेकिन 2025 में 12 और 2026 में 37 बनाई गईं। लेकिन कुछ एनालिस्ट्स कहते हैं कि ईरान 217 मिसाइलें महीने में बना सकता है, जो इजराइल की 240 वाली एस्टिमेट से मिलता-जुलता है।
यह सब इजराइल को डराता है, क्योंकि ईरान की मिसाइलें सॉलिड रॉकेट मोटर्स पर चलती हैं, जो तेज और विश्वसनीय हैं। इजराइल ने पहले ईरान की न्यूक्लियर साइट्स पर हमले किए, जैसे स्टक्सनेट वायरस से साइबर अटैक, या वैज्ञानिकों की हत्याएं। लेकिन ईरान ने कभी हार नहीं मानी। यह इजराइल की आक्रामकता है जो ईरान को मजबूत बना रही है। अमेरिका भी इसमें शामिल है। ट्रंप ने 2018 में ईरान न्यूक्लियर डील तोड़ी, जिससे ईरान का यूरेनियम स्टॉक 136,100 प्रतिशत बढ़ गया।
बेंजामिन नेतन्याहू, जो इजराइल के पीएम हैं, बुरी तरह डरे हुए हैं। क्यों? क्योंकि जून 2025 के युद्ध में ईरान की मिसाइलों ने इजराइल को चौलेंज किया। उस युद्ध में इजराइल ने ईरान की न्यूक्लियर साइट्स पर बॉम्ब गिराए, लेकिन ईरान ने जवाब में मिसाइलें दागीं। अब, सिर्फ छह महीने बाद, ईरान अपनी मिसाइल स्टॉक को 2000 तक पहुंचा चुका है। इजराइल की इंटेलिजेंस कहती है कि ईरान की हाल की मिसाइल ड्रिल्स सरप्राइज अटैक की तैयारी हो सकती हैं। नेतन्याहू को लगता है कि ईरान की मिसाइलें अब न्यूक्लियर से ज्यादा खतरा हैं, क्योंकि वे इजराइल की डिफेंस को ओवरव्हेल्म कर सकती हैं।
वह अमेरिका को चेतावनी दे रहे हैं कि ईरान की ड्रिल्स हमले का कवर हैं। लेकिन सच्चाई क्या है? ईरान कहता है कि ये ड्रिल्स सिर्फ ट्रेनिंग हैं, और वे अपनी सुरक्षा के लिए तैयार हैं। इजराइल की यह घबराहट दिखाती है कि वह कितना कमजोर है। नेतन्याहू जैसे नेता, जो गाजा में हजारों निर्दाेषों को मार चुके हैं, अब ईरान से डर रहे हैं। यह इजराइल की साम्राज्यवादी सोच है कि वे दूसरों पर हमला करते हैं, लेकिन जवाब मिले तो चीखते हैं।एक्सपर कई पोस्ट्स में कहा गया है कि नेतन्याहू ट्रंप से युद्ध के लिए भीख मांग रहे हैं। हां, यह सही है कि इजराइल खुद से ईरान को नहीं हरा सकता, इसलिए अमेरिका की गोद में जाकर रोता है। और एक बार फिर से नेतन्याहू ने अपने आका डोनाल्ट ट्रंप से ईरान की बैलेस्टिक मिसाइल निर्माण को लेकर गुहार लगाई है और दावा किया जा रहा है कि 29 दिसंबर को मीटिंग्स हो सकती है।
दावा किया जा रहा है कि यह मीटिंग बहुत ही महत्वपूर्ण है, और शायद दुनिया की दिशा बदल सकती है। नेतन्याहू 29 दिसंबर को ट्रंप से मिलेंगे, संभवतः फ्लोरिडा के मार-ए-लागो में। ट्रंप, जो अब फिर से राष्ट्रपति हैं, इजराइल के बड़े सपोर्टर हैं। मीटिंग में मुख्य फोकस ईरान पर होगा। नेतन्याहू ट्रंप को ब्रिफ करेंगे कि ईरान की मिसाइल फैक्टरियां कहां हैं, और नए हमलों की प्लानिंग कैसे करें। इजराइल चाहता है कि अमेरिका उसके साथ मिलकर ईरान की मिसाइल साइट्स पर हमला करे। ट्रंप पहले भी ईरान के खिलाफ सख्त थे, उन्होंने 2018 में डील तोड़ी, जिससे ईरान का न्यूक्लियर प्रोग्राम तेज हुआ। लेकिन अब सवाल है कि क्या ट्रंप फिर से युद्ध में कूदेंगे?
कुछ रिपोर्ट्स कहती हैं कि अमेरिका की इंटेलिजेंस को लगता है कि ईरान से कोई तत्काल खतरा नहीं है, लेकिन इजराइल दबाव डाल रहा है। यह मीटिंग गाजा, लेबनान और सीरिया पर भी होगी, लेकिन ईरान मुख्य टॉपिक है। एक्स पर पोस्ट्स में कहा जा रहा है कि ट्रंप कोर्नर्ड हैं, और नेतन्याहू युद्ध के लिए बेग कर रहे हैं। यह अमेरिका की कमजोरी दिखाता है कि ट्रंप जैसे नेता इजराइल के इशारों पर नाचते हैं, क्योंकि लॉबी पावरफुल है। लेकिन यह गलत है; अमेरिका को अपनी पॉलिसी खुद बनानी चाहिए, न कि इजराइल की आक्रामकता को सपोर्ट करना।
क्या फिर युद्ध होगा?जून 2025 का 12-दिवसीय युद्ध अभी ताजा है। उसमें इजराइल ने ईरान की न्यूक्लियर साइट्स पर हमला किया, और अमेरिका ने आखिर में बॉम्ब गिराकर मदद की। युद्ध में हजारों मरे, और मिडिल ईस्ट अस्थिर हो गया। अब अगर ईरान अपनी मिसाइल प्रोडक्शन बढ़ाता है, तो इजराइल फिर से हमला कर सकता है। ईरान ने हाल ही में कई शहरों में मिसाइल ड्रिल्स कीं, जैसे मशहद, इलाम, केर्मनशाह। इजराइल थिंक्स यह सरप्राइज अटैक की तैयारी है। अगर युद्ध हुआ, तो प्रभाव भयानक होंगे तेल की कीमतें आसमान छूएंगी, हजारों मौतें होंगी, और पूरी दुनिया प्रभावित होगी।
ईरान के पास हिजबुल्लाह, हूती जैसे प्रॉक्सी हैं, जो इजराइल और अमेरिका पर हमला कर सकते हैं। लेकिन क्या यह जरूरी है? कई एक्सपर्ट्स कहते हैं कि डिप्लोमेसी से सुलझाया जा सकता है। ईरान कहता है कि वह न्यूक्लियर वेपन्स नहीं बना रहा, सिर्फ डिफेंस। लेकिन इजराइल को भरोसा नहीं, क्योंकि वह खुद एग्रेसर है। जून के युद्ध में इजराइल ने पैंडोरा का बॉक्स खोला, और अब परिणाम भुगत रहा है। अमेरिका की भूमिका यहां घिनौनी है कि वे इजराइल के साथ मिलकर ईरान पर हमला करते हैं, लेकिन वेनेजुएला जैसे अन्य मुद्दों में उलझे हैं। यह अमेरिकी इम्पीरियलिज्म है, जो दुनिया में युद्ध फैलाता है।
ऐसे में साफ है कि मिडिल ईस्ट में हालता तनावपूर्ण हैं लेकिन अगर ट्रंप ईरान की ओर ध्यान देंगे तो हालात सामान्य भी हो सकते हैं वरना मिडिल ईस्ट में जल्द ही एक और युद्ध हो सकता है। यह स्थिति तनावपूर्ण है, लेकिन सच्चाई ईरान के पक्ष में है और यह बात भी साफ है कि ईरान डरने वाला नहीं है। ऐसे में मिडिल ईस्ट में एक वार या फिर प्रॉक्सी वार की संभावनाएं बनती दिख रही है। उम्मीद करते हैं कि ऐसा कुछ न हो और अमन और सुकून कायम रहे।



