शारजाह सरकार का ऐतिहासिक कदम, वेतन को लेकर बड़ा फैसला, धार्मिक सेवकों को मिलेगा सम्मान

शारजाह संयुक्त अरब अमीरात का एक महत्वपूर्ण अमीरात है जो अपनी सांस्कृतिक विरासत और इस्लामी मूल्यों के लिए जाना जाता है, और यहां के शासक शेख डॉक्टर सुल्तान बिन मुहम्मद अल कासिमी हैं

4पीएम न्यूज नेटवर्क: शारजाह संयुक्त अरब अमीरात का एक महत्वपूर्ण अमीरात है जो अपनी सांस्कृतिक विरासत और इस्लामी मूल्यों के लिए जाना जाता है, और यहां के शासक शेख डॉक्टर सुल्तान बिन मुहम्मद अल कासिमी हैं जो लंबे समय से लोगों की भलाई के लिए विभिन्न योजनाएं चलाते आ रहे हैं। ऐसे में हाल ही में उन्होंने एक बड़ी घोषणा की जिसमें सरकारी कर्मचारियों की स्थिति को मजबूत बनाने और मस्जिदों में काम करने वाले इमामों तथा मुअज्जिनों के वेतन और लाभों को बढ़ाने का फैसला किया गया है।

ऐसे में यह घोषणा इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे न केवल सरकारी नौकरियों में काम करने वाले लोगों का मनोबल बढ़ेगा बल्कि धार्मिक सेवाओं से जुड़े लोगों को भी सम्मान और आर्थिक सुरक्षा मिलेगी, चलिए सबसे पहले सरकारी कर्मचारियों की स्थिति के बारे में बात करते हैं, शासक ने सरकारी कर्मचारियों के लिए नई वेतन संरचना और जॉब ग्रेड्स को मंजूरी दी है जिसमें स्पेशल ए और स्पेशल बी जैसे दो नए ग्रेड शामिल किए गए हैं, हर जॉब ग्रेड में कम से कम चार साल की सेवा जरूरी होगी जो सभी स्तरों पर लागू होगी, इससे एमिराती नागरिकों को नौकरी में स्थिरता मिलेगी और करियर में आगे बढ़ने का साफ रास्ता बनेगा, खासतौर पर इंजीनियरों के लिए एक नई स्पेशल ग्रेड बनाई गई है जिसमें जॉब टाइटल्स को अपडेट किया गया है और हर स्तर पर चार साल का समय तय किया गया है।

यह बदलाव सरकारी विभागों में काम करने वालों को प्रोत्साहित करेगा और वे ज्यादा समर्पण से काम करेंगे, साथ ही शासक ने विभिन्न विभागों में प्रमोशंस की भी घोषणा की जैसे कि पर्यावरण और संरक्षित क्षेत्र प्राधिकरण में 348 कर्मचारियों को प्रमोट किया गया है और 450 कर्मचारियों के लिए शिफ्ट अलाउंस दिए जाएंगे, इन प्रमोशंस पर सालाना 8.4 मिलियन दिरहम का खर्च आएगा जो शासक की कर्मचारियों को समर्थन देने की प्रतिबद्धता दिखाता है,

ये प्रमोशंस कर्मचारियों की योग्यताओं और आवश्यकताओं को पूरा करने पर आधारित हैं और इससे पर्यावरण संरक्षण जैसे महत्वपूर्ण कामों में उनका योगदान बढ़ेगा, इसके अलावा फरवरी 2025 में शासक ने 500 नागरिकों को विभिन्न सरकारी नौकरियों में नियुक्त करने का निर्देश दिया था जो सरकारी कर्मचारियों की स्थिति को और मजबूत बनाता है, अब इमामों और मुअज्जिनों के वेतन की बात करें तो शासक ने सभी मस्जिदों के इमामों और मुअज्जिनों को शारजाह सरकार के जनरल स्टाफ में शामिल करने का आदेश दिया है, इससे उन्हें सरकारी कर्मचारियों के समान लाभ मिलेंगे।

जैसे कि प्रमोशंस, विभिन्न प्रकार के भत्ते, स्वास्थ्य बीमा और 3000 दिरहम का वर्क नेचर अलाउंस, साथ ही उनकी पीरियोडिक छुट्टियों का प्रबंधन इस्लामी मामलों के विभाग के साथ समन्वय से किया जाएगा और अगर छुट्टियां इस्तेमाल न हों तो उनका कैश इक्विवेलेंट दिया जाएगा, यह फैसला इमामों और मुअज्जिनों की अल्लाह के घरों में सेवा को सम्मान देने के लिए है क्योंकि वे समाज में धार्मिक मार्गदर्शन देते हैं और लोगों को इस्लाम की शिक्षाओं से जोड़ते हैं, कैबिनेट रेजोल्यूशन नंबर 7 ऑफ 2025 के मुताबिक इमामों और मुअज्जिनों के लिए फुल टाइम कॉन्ट्रैक्ट तीन साल का होगा जो रिन्यूअल हो सकता है और छह महीने का प्रोबेशन पीरियड होगा।

उन्हें 42 दिन की पेड एनुअल लीव मिलेगी, वेतन के मामले में यूएई नेशनल इमामों को उनकी योग्यता के आधार पर 5 से 9 हजार दिरहम प्रति माह मिल सकता है जैसे कि हाई स्कूल डिप्लोमा वाले को 6 हजार, बैचलर्स डिग्री वाले को 7 हजार, मास्टर्स को 8 हजार और पीएचडी वाले को 9 हजार दिरहम, गैर यूएई नेशनल इमामों को 100 दिरहम प्रति दिन, मुअज्जिनों को यूएई नेशनल के लिए 5 हजार दिरहम प्रति माह और गैर नेशनल को 1 हजार दिरहम, इसके अलावा ओवरटाइम के लिए अतिरिक्त पैसे जैसे कि यूनिफाइड कॉल टू प्रेयर के लिए 5 हजार दिरहम, कुरान टीचिंग के लिए मॉर्निंग में 8 हजार और इवनिंग में 6 हजार दिरहम यूएई नेशनल्स को, ग्रैंड इमाम को 2 हजार दिरहम अतिरिक्त, साथ ही स्पेशल अलाउंस के रूप में बेसिक सैलरी का 50 प्रतिशत मिलेगा जो राष्ट्रपति के आदेश से लागू है।

मार्च 2024 में यूएई प्रेसिडेंट ने सभी मस्जिद स्टाफ के लिए बेसिक सैलरी का 50 प्रतिशत मंथली अलाउंस देने का आदेश दिया था जो अब शारजाह में भी लागू हो रहा है, यह घोषणा इसलिए की गई क्योंकि इमाम और मुअज्जिन समाज के महत्वपूर्ण हिस्से हैं जो नमाज पढ़ाते हैं, अजान देते हैं और लोगों को नैतिक मूल्यों की याद दिलाते हैं, उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होने से वे ज्यादा फोकस से अपना काम कर सकेंगे और परिवार की देखभाल कर सकेंगे, शारजाह में मस्जिदें बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यहां की संस्कृति इस्लाम से गहराई से जुड़ी है और शासक हमेशा धार्मिक संस्थानों को मजबूत बनाने पर जोर देते हैं,

इस घोषणा से सरकारी कर्मचारियों में खुशी की लहर है क्योंकि नई सैलरी स्केल से उनका वेतन बढ़ेगा और करियर ग्रोथ बेहतर होगा, उदाहरण के लिए अगर कोई कर्मचारी चार साल एक ग्रेड में रहता है तो वह अगले ग्रेड में प्रमोट हो सकता है जो मोटिवेशन बढ़ाता है, इंजीनियरों के लिए स्पेशल ग्रेड से तकनीकी क्षेत्र में काम करने वालों को फायदा होगा जो शारजाह के विकास प्रोजेक्ट्स में मदद करेगा।

मिसाल के तौर पर मान लें जैसे कि इंफ्रास्ट्रक्चर और पर्यावरण संरक्षण, शासक की यह पहल दिखाती है कि वे कर्मचारियों को परिवार की तरह मानते हैं और उनकी मेहनत को सम्मान देते हैं, इससे सरकारी विभागों में काम का माहौल बेहतर होगा और उत्पादकता बढ़ेगी, इमामों और मुअज्जिनों के लिए यह बदलाव इसलिए खास है क्योंकि पहले वे शायद कॉन्ट्रैक्ट बेस पर काम करते थे लेकिन अब सरकारी स्टाफ में शामिल होने से उन्हें पेंशन, स्वास्थ्य सुविधाएं और अन्य लाभ मिलेंगे जो लंबे समय तक उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे, शारजाह में हजारों मस्जिदें हैं और इनमें काम करने वाले लोग अब ज्यादा सुरक्षित महसूस करेंगे, यह घोषणा यूएई की व्यापक नीतियों से जुड़ी है जहां राष्ट्रपति स्तर पर मस्जिद स्टाफ को समर्थन दिया जाता है जैसे कि 50 प्रतिशत अलाउंस, दुबई में भी इसी तरह की घोषणाएं हुई हैं।

जहां हमदान बिन मुहम्मद ने इमामों और मुअज्जिनों के वेतन बढ़ाए हैं, लेकिन शारजाह की यह घोषणा स्थानीय स्तर पर ज्यादा फोकस्ड है, इसकी वजह से समाज में धार्मिक सद्भाव बढ़ेगा और लोग मस्जिदों की ओर ज्यादा आकर्षित होंगे, शासक की पिछली घोषणाओं को देखें तो वे हमेशा शिक्षा, संस्कृति और धर्म पर निवेश करते हैं जैसे कि विश्वविद्यालय बनाना या किताबें प्रकाशित करना, यह नई घोषणा उसी श्रृंखला का हिस्सा है, कर्मचारियों की स्थिति में सुधार से अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा क्योंकि खुश कर्मचारी बेहतर काम करते हैं

और इससे टैक्सपेयर्स का पैसा सही जगह लगता है, इमामों के लिए योग्यता आधारित वेतन से पढ़े-लिखे लोग इस फील्ड में आएंगे जो धार्मिक शिक्षा की क्वालिटी बढ़ाएगा, मुअज्जिनों के लिए अजान शेड्यूल के अनुसार पेमेंट से उनका काम और संगठित होगा, कुल मिलाकर यह घोषणा शारजाह को एक आदर्श अमीरात बनाती है जहां सरकार लोगों की जरूरतों का ख्याल रखती है, अब अगर हम विस्तार से देखें तो सरकारी कर्मचारियों के लिए नई जॉब ग्रेड्स का मतलब है कि एंट्री लेवल से लेकर सीनियर पोजिशंस तक सब कुछ स्ट्रक्चर्ड होगा।

वहीं स्पेशल ए और बी ग्रेड्स हाई लेवल अधिकारियों के लिए हैं जो बड़े फैसले लेते हैं, चार साल का टेन्योर सुनिश्चित करता है कि लोग जल्दबाजी में प्रमोट न हों बल्कि अनुभव हासिल करें, इंजीनियरों के लिए अपडेटेड टाइटल्स से प्रोफेशनल स्टेटस बढ़ेगा, शासक ने विभागों से कहा है कि वे इन बदलावों को जल्द लागू करें और कर्मचारियों से अपील की है कि वे ज्यादा मेहनत करें, पर्यावरण प्राधिकरण की प्रमोशंस से पता चलता है कि शासक पर्यावरण जैसे मुद्दों पर फोकस कर रहे हैं जो ग्लोबल वार्मिंग के समय में जरूरी है, 348 प्रमोशंस और 450 अलाउंस से कर्मचारियों का मोटिवेशन हाई होगा,

इमामों के लिए फुल टाइम कॉन्ट्रैक्ट में प्रोबेशन पीरियड से उनकी परफॉर्मेंस चेक होगी और फिर स्थायी लाभ मिलेंगे, वेतन में 50 प्रतिशत अलाउंस से उनकी मंथली इनकम डबल हो सकती है, ओवरटाइम के लिए अतिरिक्त पैसे जैसे कुरान टीचिंग या लेक्चर्स से वे एक्स्ट्रा कमाई कर सकेंगे, गैर नेशनल्स के लिए भी पेमेंट है जो विविधता को प्रोत्साहित करता है, एंड ऑफ सर्विस ग्रेच्युटी से रिटायरमेंट सुरक्षित होगा, कुल मिलाकर यह घोषणा समाज के हर वर्ग को छूती है और शारजाह की प्रगति में योगदान देगी। शासक की दूरदर्शिता से लोग खुश हैं और उम्मीद है कि ऐसी और योजनाएं आएंगी, इस तरह की नीतियां अन्य अमीरातों को भी इंस्पायर करेंगी, अंत में कह सकते हैं कि यह एक सकारात्मक कदम है जो आर्थिक और धार्मिक संतुलन बनाता है।

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