करहल सीट पर बंपर वोटों से जीत दर्ज कर सकते हैं अखिलेश
जातिगत सियासत समाजवादी के पक्ष में
लखनऊ। करहल विधानसभा सीट पर सपा मुखिया अखिलेश यादव बंपर वोटों से जीत दर्ज कर सकते हैं। क्योंकि मैनपुरी जिले में जातिगत गणित से हर बार करहल की सियासत सपा के अनुकूल रही। इसी के चलते अखिलेश यादव ने अपने लिए इस सीट को चुना था। वहीं भाजपा ने भी पलटवार करते हुए यहां जातिगत कार्ड खेला है। भाजपा के कोर वोट के साथ ही बघेल मतदाताओं को लुभाने के लिए एसपी सिंह बघेल को प्रत्याशी बनाया है। मैनपुरी जिले की करहल विधानसभा सीट यादव बाहुल्य है। यहां सर्वाधिक सवा लाख यादव मतदाता हैं। ऐसे में यहां सपा हमेशा जातिगत कार्ड ही खेलती रही।
यादव प्रत्याशी को यहां से मैदान में उतारकर सपा यहां जीत हासिल करती रही। बारी जब अखिलेश यादव के चुनाव लड़ने की आई तो उन्होंने भी इसी गणित के चलते प्रदेश की 403 सीटों में से करहल को ही चुना। भाजपा के पास यहां कोई प्रत्याशी नहीं था। लंबे समय से मंथन कर रही भाजपा ने भी ऐन वक्त पर जातिगत कार्ड खेल दिया। रणनीति के तहत भाजपा ने एसपी सिंह बघेल को मैदान में उतारा है। दरअसल करहल में दूसरे स्थान पर शाक्य मतदाता हैं तो वहीं बघेल और क्षत्रिय तीसरे स्थान पर हैं। शाक्य और क्षत्रिय मतदाता हमेशा से ही भाजपा का कोर वोटर माना जाता रहा है।
वहीं बघेल प्रत्याशी आने से 30 हजार बघेल मतदाताओं पर भी भाजपा की पकड़ बढ़ने की संभावना है। साथ ही ब्राह्मण और लोधी मतदाताओं का समर्थन भी भाजपा जुटाने की कोशिश कर रही है। इसी रणनीति के सहारे भाजपा करहल में सियासत की करवट बदलना चाहती है। करहल पहले ही पूर्व मुख्यमंत्री व सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के चुनाव लड़ने के बाद से ही विशेष सीट बन गई थी तो वहीं अब भाजपा से केंद्रीय राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल के आने से पूरे प्रदेश की निगाहें इसी सीट पर टिक गई हैं।
करहल के जातिगत आंकड़े
यादव- 1.25 लाख
शाक्य- 35 हजार
बघेल- 30 हजार
क्षत्रिय- 30 हजार
एससी- 22 हजार
मुस्लिम- 18 हजार
ब्राह्मण- 16 हजार
लोधी- 15 हजार
वैश्य- 15 हजार