केंद्र के इशारे पर एमसीडी चुनाव टालना लोकतंत्र पर प्रहार : संजय सिंह
नई दिल्ली। दिल्ली में एमसीडी चुनाव स्थगित करने पर आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने राज्यसभा में जीरो आवर नोटिस दिया है। उन्होंने दिल्ली में एमसीडी चुनाव स्थगित करने को लेकर भारतीय जनता पार्टी की सरकार पर हमला बोला है। साथ ही उन्होंने कहा केंद्र के इशारे पर दिल्ली में एमसीडी चुनाव टाला जा रहा है, जो लोकतंत्र पर सत्ता का प्रहार है। आप सांसद संजय सिंह ने ट्वीट कर केंद्र सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा है कि केंद्र सरकार के इशारे पर एमसीडी का चुनाव टालना लोकतंत्र पर सत्ता का प्रहार है। मोदीजी अरविंद केजरीवाल से डर लगता है तो बिना चुनाव के जीतने का बिल पास कर दो। एमसीडी एक करो या पांच चुनाव तो कराओ। सांसद संजय सिंह ने चुनाव को टालने के कारणों का उल्लेख करते हुए राज्यसभा में शून्यकाल नोटिस दिया है। साथ ही उन्होंने नोटस में कहा है कि केंद्र सरकार जानबूझ कर एमसीडी चुनाव टालने की कोशिश कर रही है।
सांसद संजय सिंह ने राज्यसभा में दिए गए नोटिस में लिखा है कि राज्य चुनाव आयोग ने एमसीडी चुनावों को केंद्र सरकार के हस्तक्षेप की वजह से अनिश्चित काल तक टाल दिया है। इसका कारण बताया गया है कि केंद्र सरकार दिल्ली की तीनों एमसीडी को मिलाने और एक ही मेयर का चुनाव कराने के लिए कानून लाने पर विचार कर रही है, जिसमें वार्डों की संख्या को कम कर जनता के प्रतिनिधित्व को कम करने का भी प्रयास किया जा रहा है। जिस शाम को आयोग एमसीडी चुनावों की अंतिम तारीखों की घोषणा करने वाला था, उसी दिन केंद्र सरकार द्वारा इस प्रकार की सूचना चुनाव आयोग को देना बड़ा ही संदेहास्पद एवं अलोकतांत्रिक है।
जानबूझ कर चुनाव टालने की हो रही साजिश
आप सांसद संजय सिंह ने नोटिस में आगे लिखा है कि केंद्र सरकार के दवाब में चुनाव आयोग का यह निर्णय भारत की स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं तीव्र चुनाव की परंपरा के खिलाफ है। जानबूझ कर एमसीडी चुनावों को टालकर देरी की जा रही है। चुनाव प्रक्रिया में केंद्र सरकार का यह हस्तक्षेप चुनाव आयोग और सरकार की मिलीभगत को दिखता है, जो कि घोर – असंवैधानिक है। आगे उन्होंने कहा भारत में चुनाव प्रक्रिया और संविधान से संबंधित यह एक अति गंभीर मामला है, जिस पर सदन में शून्यकाल के दौरान मुझे बात रखने की अनुमति प्रदान की जाए।
अंतिम छोर पर बैठे व्यक्ति तक सुविधाएं पहुंचाना सरकार का संकल्प : धामी
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सरकार का संकल्प अंतिम छोर तक बैठे व्यक्ति को सुविधा पहुंचाना है। इसके लिए सरकार अंतिम छोर के गांव-गांव व घर-घर तक जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में विकास कार्यों को गति देने के लिए कैबिनेट की बैठक बुलाई गई है। यूनिफार्म सिविल कोड लागू करने के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि जो भी संकल्प लिए गए हैं, उन्हें पूरा किया जाएगा। यह प्रदेश पक्ष-विपक्ष सबका है, सरकार सभी का सहयोग लेते हुए विकास के पथ पर आगे बढ़ेगी। शपथ ग्रहण समारोह के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि वह भाजपा को दो-तिहाई बहुमत से दूसरी बार सरकार बनाने का मौका देने के लिए जनता का आभार व्यक्त करते हैं और उन्हें नमन करते हैं। सरकार का संकल्प राज्य के अंतिम छोर पर बैठे व्यक्ति तक सुविधाएं पहुंचाना है। उत्तराखंड देश का श्रेष्ठ राज्य बने, इसके लिए सरलीकरण, समाधान व निस्तारण के मंत्र के साथ कार्य किया जाएगा। सरकार इस मंत्र को अंगीकार करते हुए पूरी पारदर्शिता के साथ चीजों को सरल करेगी।
समस्याओं का भी जो उचित समाधान होगा, उसे किया जाएगा। देहरादून में हुए शपथ ग्रहण समारोह में पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री के रूप में दोबारा शपथ ली है। इस समारोह में 7 विधायकों ने भी मंत्री के रूप में शपथ ली। इसमें सतपाल महाराज, प्रेमचंद्र अग्रवाल, गणेश जोशी, धन सिंह रावत, सुबोध उनियाल, चंदन रामदास और सौरभ बहुगुणा शामिल है। गौरतलब है कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में उत्तराखंड में काटे की टक्कर थी और भारतीय जनता पार्टी को उम्मीद नहीं थी कि वह 70 में से 47 सीटें जीतकर राज्य में बड़ी पार्टी के रूप में उभरेगी। कांग्रेस को इस चुनाव में केवल 19 सीटें ही मिली थी।
नई सरकार के सामने ये है चुनौती
जब किसी पार्टी को जनता सत्ता में रहने के लिए बहुमत देती है, तो उससे कई तरह की उम्मीदें भी होती हैं। उत्तराखंड की जनता भी जीतने वाली पार्टी भाजपा से कई उम्मीदें कर रही है। उत्तराखंड के लोगों का मुख्य मुद्दा पलायन का है। लोग जॉब की तलाश में अपने गांव को छोड़कर शहर जा रहे हैं। उनको अपने क्षेत्र में रोजगार देना या रोजगार की व्यवस्था करना उत्तराखंड सरकार की जिम्मेदारी है। रोजगार के अलावा राज्य में रोड, शिक्षा, स्वास्थ्य, महंगाई जैसी समस्या भी है, जिसका निवारण वर्तमान की नई सरकार भाजपा को देना होगा। बता दें कि भारतीय जनता पार्टी ने 50 हजार सरकारी नौकरी, फ्री सिलेंडर और 5 लाख तक का बीमा जैसे कई वादे किए हैं।
आपराधिक कानूनों में व्यापक बदलावों की प्रक्रिया शुरू
नई दिल्ली। भारत सरकार ने आपराधिक कानूनों में व्यापक बदलाव के उद्ïदेश्य से भारतीय दंड संहिता (आईपीसी),1860; दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी),1973 व भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 जैसे कानूनों में संशोधन की प्रक्रिया शुरू की है। इसके लिए सभी हितधारकों से परामर्श किया जा रहा है। इन बदलावों का मकसद सभी को सस्ता व त्वरित न्याय सुलभ कराना और जन केंद्रित कानूनी ढांचे का निर्माण करना है। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्र ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि आपराधिक कानूनों में व्यापक संशोधन के संबंध में राज्यपालों, मुख्यमंत्रियों, उपराज्यपालों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासकों, प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई), विभिन्न हाई कोर्टो के मुख्य न्यायाधीशों, बार काउंसिल आफ इंडिया, विभिन्न राज्यों की बार काउंसिल, विभिन्न विश्वविद्यालयों, विधि संस्थानों और सभी सांसदों से सुझाव मांगे गए हैं।
मिश्र ने कहा कि विभाग से संबंधित गृह मामलों पर संसदीय स्थायी समिति ने अपनी 146वीं रिपोर्ट में सिफारिश की थी कि देश की आपराधिक न्याय प्रणाली की व्यापक समीक्षा की जरूरत है। इससे पहले संसदीय स्थायी समिति ने अपनी 111वीं और 128वीं रिपोर्टो में भी देश के आपराधिक कानूनों में सुधार और उन्हें युक्तिसंगत बनाने की जरूरत पर बल दिया था। इसके लिए संबंधित कानूनों में टुकड़ों में संशोधन करने के बजाय व्यापक विधेयक लाने पर जोर दिया गया था। राज्यमंत्री ने कहा कि आपराधिक कानूनों में सुधार के लिए दिल्ली स्थित राष्टï्रीय विधि विश्वविद्यालय के कुलपति की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है। उन्होंने कहा कि समिति की सिफारिशों और सभी हितधारकों से प्राप्त सुझावों को ध्यान में रखकर सरकार एक व्यापक कानून लाने के लिए प्रतिबद्ध है।