सियासी जमीन मजबूत करने में जुटा रालोद, बनायी नयी रणनीति
लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधान सभा में सपा के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़े राष्टï्रीय लोक दल ने अब अपनी सियासी जमीन मजबूत करने पर फोकस कर दिया है। चुनावी नतीजों का अध्ययन करने के लिए रालोद मुखिया जयंत चौधरी ने समिति गठित की है। यह समिति 15 अप्रैल तक अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। वहीं रालोद ने सड़क से सदन तक जनहित के मुद्दों को उठाने की रणनीति तैयार की। उत्तर प्रदेश में विधान सभा चुनाव के बाद अब राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) संगठन पर फोकस करने जा रहा है। इसके लिए पार्टी ने तीन सदस्यीय समिति गठित कर दी है। इसमें रालोद के राष्ट्रीय महासचिव बाबा हरदेव, केपी चौधरी व चौधरी प्रवीण सिंह शामिल हैं। यह समिति पार्टी के मूल ढांचे में परिवर्तन करने का रोडमैप तैयार करेगी। विधान सभा चुनाव के नतीजों का अध्ययन समिति करेगी। समिति जिलों में जाकर यह देखेगी कि संगठन को किस तरह मजबूत किया जाए। पार्टी का मानना है कि चुनाव संगठन लड़ता है। ऐसे में यदि संगठन मजबूत रहेगा तो पार्टी चुनाव में और अच्छा प्रदर्शन करेगी। समिति संगठन में कहां-कहां बदलाव करना है और इसके मूल ढांचे में किस तरह परिवर्तन करना है इसकी विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेगी। वहीं, रालोद सदन से लेकर सड़क तक जनता के मुद्दे मजबूती से उठाएगी। रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी ने पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं को निर्देश दिए कि देश में बढ़ रही महंगाई, रोजाना बढ़ रहे पेट्रोल-डीजल के दाम व गरीब व मध्यम वर्ग पर बढ़ रहे आर्थिक बोझ को मुद्दा बनाया जाए। रालोद किसानों के मुद्दे मजबूती से सदन से लेकर सड़क तक उठाएगी। रालोद अध्यक्ष ने पार्टी के विधायकों व पूर्व विधायकों को संगठन के साथ मिलकर काम करने के निर्देश भी दिए।
आठ सीटों पर दर्ज की है जीत
उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में सपा के साथ गठबंधन कर राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) को संजीवनी मिल गई है। गठबंधन में रालोद को 33 सीटें मिली थीं इनमें से आठ पर सफलता मिली है। उसे इस बार करीब तीन प्रतिशत वोट मिला है। वर्ष 2017 में 1.78 प्रतिशत मत से संतोष करना पड़ा था।
पिछले चुनाव में मिली थी एक मात्र सीट
वर्ष 2017 का चुनाव सपा और कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ने वाली रालोद को केवल एक सीट मिली थी। जीता हुआ विधायक बाद में भाजपा में चला गया था, जिससे पार्टी शून्य पर चली गई थी।