दिल्ली से लखनऊ तक आयकर की छापेमारी, निशाने पर भ्रष्ट अफसर
- राजधानी में गोमतीनगर समेत कई स्थानों पर टीम कर रही कार्रवाई
- टेंडर से लेकर कई योजनाओं में भ्रष्टाचार के इनपुट के बाद एक्शन
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के भ्रष्टï नौकरशाहों और उनके करीबियों पर आयकर विभाग ने शिकंजा कस दिया है। इस क्रम में आज आयकर विभाग की टीम ने दिल्ली से लखनऊ तक 22 ठिकानों पर छापे मारे। एक अफसर के दो करीबियों के यहां भी टीम पहुंची है। अचानक हुई इस छापेमारी से हडक़ंप मचा है। करीब डेढ़ दर्जन अधिकारी-कर्मचारी आयकर की रडार पर है।
आयकर विभाग ने आज भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की। दिल्ली, लखनऊ और कानपुर समेत 22 जगहों पर आयकर की टीम ने छापेमारी की है। बताया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश के कई विभागों में तैनात करीब डेढ़ दर्जन अधिकारी आयकर विभाग के रडार पर हैं। उद्यमिता प्रशिक्षण संस्थान संस्था, उद्योग विभाग, यूपी इंडस्ट्रियल कंसलटेंट लिमिटेड, उद्यम विभाग के साथ कुछ प्राइवेट इंडस्ट्रियलिस्ट के यहां छापेमारी चल रही है। लखनऊ के सरोजनीनगर, फरीदी नगर व गोमतीनगर में छापेमारी जारी है। कानपुर के पनकी गंगागंज में गेस्ट हाउस संचालक व प्रॉपर्टी डीलर राजू चौहान और रावतपुर के प्रॉपर्टी डीलर देशराज के अलग-अलग ठिकानों पर छापे मारे गए। आयकर अधिकारियों के मुताबिक कुछ माह पहले विश्वकर्मा श्रम योजना के तहत गलत तरीके से किए गए भुगतान के मामले में उद्योग विभाग के उपायुक्त राजेश सिंह यादव के यहां डाले गए छापों से इनके संबंध मिले हैं। दोनों के राजेश सिंह यादव से नकद व बैंक ट्रांजेक्शन मिले हैं। टीम ने राजू चौहान के पनकी गंगागंज और कपिली स्थित गेस्ट हाउस पर छापे मारे। यहीं देशराज का फार्म हाउस और रावतपुर में उनका आवास है। आयकर विभाग की टीम ने इन सभी स्थानों पर कार्रवाई की है। वहीं आयकर की टीम दिल्ली के शाहदरा स्थित डीपी सिंह के यहां पहुंची थी। टीम उन्हें अपने साथ लखनऊ लेकर आयी है। डीपी सिंह फिलहाल कानपुर में कार्यरत हैं।
ऑपरेशन बाबू साहब पार्ट-2 के तहत कार्रवाई
ऑपरेशन बाबू साहब पार्ट-2 के तहत यह कार्रवाई की जा रही है। इसकी शुरुआत 18 जून को दिल्ली से शुरू हुई थी। अब इसकी आंच यूपी के लखनऊ और कानपुर तक पहुंच चुकी है। जानकारी के मुताबिक विभाग को इनपुट मिले थे कि टेंडर से लेकर कई योजनाओं में इन विभागों के अफसर लिप्त रहे हैं। साक्ष्य मिलने के बाद छापेमारी शुरू की गई है।
पहले भी मारे गए थे छापे
इससे पहले 18 जून को मंगलानी ग्रुप, यूपीकान, उद्योग विभाग के उपायुक्त राजेश सिंह यादव व कुछ कारोबारियों पर भी छापे मारे थे। जून में उपायुक्त उद्योग के यहां मारे गए छापे में राजू चौहान और देशराज सिंह से नकद व बैंक से लेनदेन के साक्ष्य मिले थे। इसके बाद आयकर विभाग ने दोनों की जांच की तो पाया कि दोनों के पास काफी जमीनें हैं जिनकी वे खरीद-बिक्री करते हैं। पाया गया कि इन दोनों और राजेश सिंह यादव के बीच किसी तरह की प्रापर्टी का लेनदेन हुआ। गौरतलब है कि राजेश सिंह यादव के आवास से आयकर अधिकारियों को कई संपत्तियों के कागजात मिले थे। उस समय आयकर विभाग के अधिकारियों ने गोल्डन बास्केट नाम की फर्म पर स्वरूप नगर में छापा मारा था। इसके अलावा सर्वोदय नगर में मोती विहार में अंचित मंगलानी के आवास पर भी छापा मारा था। टीम ने लाटूश रोड स्थित एक कारोबारी के यहां भी छापा मारा था जो उपकरणों की आपूर्ति करते थे। अधिकारियों ने गोल्डन बास्केट के कागजों में काफी गड़बड़ी पाई थी। इसके मुताबिक जो माल सप्लाई नहीं किया जाता था, उसका भी भुगतान कंपनी ने दिखाया था जबकि माल न तो खरीदा जाता था न उसकी आपूर्ति उद्योग विभाग को की जाती थी।
दिल्ली विधान सभा में हंगामा, सदन से निकाले गए भाजपा विधायक
- कल 11 बजे शुरू होगी सदन की कार्यवाही
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना के खिलाफ जांच की मांग को लेकर सत्ता पक्ष के विधायकों द्वारा हंगामा करने पर डिप्टी स्पीकर ने सदन की कार्यवाही गुरुवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। वहीं हंगामे के चलते सभी भाजपा विधायकों को सदन से बाहर कर दिया गया।
दिल्ली विधान सभा का विशेष सत्र शुरू होते ही जमकर हंगामा हुआ। भाजपा और आम आदमी पार्टी के विधायक आपस में भिड़ गए। इसके बाद विधान सभा अध्यक्ष ने कार्यवाही स्थगित कर दी। सदन की कार्रवाई दोबारा शुरू हुई तो भाजपा विधायक विजेंद्र गुप्ता को सदन से बाहर निकाल दिया गया। हंगामा नहीं थमता देखकर सभी भाजपा विधायकों को बाहर कर दिया गया। गौरतलब है कि सोमवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सदन में विश्वास प्रस्ताव रखा था। वहीं विधायक दुर्गेश पाठक ने उपराज्यपाल वी के सक्सेना पर 1400 करोड़ के घोटाले का आरोप लगाया। इसके बाद सत्तापक्ष के सदस्य लगातार एलजी के पद से वीके सक्सेना के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।
अध्यक्ष पद के चुनाव से पहले बढ़ी कांग्रेस की मुश्किल, मनीष तिवारी ने पूछा, कैसे होगा निष्पक्ष चुनाव
- मतदाता सूची को सार्वजनिक करने की उठायी मांग
- 17 अक्टूबर को होना है चुनाव
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। अध्यक्ष पद के चुनाव से पहले कांग्रेस की मुश्किल बढ़ती दिख रही है। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव की प्रक्रिया और उसकी निष्पक्षता पर सवाल उठाएं हैं। मनीष तिवारी ने संगठन चुनाव प्रभारी मधुसूदन मिस्त्री से पूछा है कि मतदाता सूची सार्वजनिक किए बिना निष्पक्ष चुनाव कैसे होगा? ऐसे तो क्लब का चुनाव भी नहीं होता।
उन्होंने चुनाव प्रभारी मिस्त्री से सवाल पूछा कि मतदाता सूची सार्वजनिक किए बिना निष्पक्ष चुनाव कैसे संभव होगा? निष्पक्ष चुनाव का सार ही यही है कि मतदाताओं के नाम और उनका पता पारदर्शिता के साथ पार्टी वेबसाइट पर प्रकाशित हो। उन्होंने कहा कि आपके (मिस्त्री) हवाले से कहा गया है कि सूची सार्वजनिक नहीं की गई है लेकिन अगर पार्टी का कोई सदस्य इसकी जांच करना चाहता है तो वह प्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यालय आकर इसकी जांच कर सकता है। सूची प्रदेश कांग्रेस कार्यालयों में है और चुनाव लडऩे वाले उम्मीदवारों को यह सौंप दी जाएगी। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि क्या पार्टी अध्यक्ष का चुनाव लडऩे के लिए राज्यों में भटकना होगा? गौरतलब है कि रविवार को कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में अध्यक्ष के चुनाव से संबंधित कार्यक्रम तय किए गए। मिस्त्री ने कहा था कि कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में 9,000 से अधिक पीसीसी प्रतिनिधि मतदान करेंगे और सभी सूचियां सत्यापित हो चुकी हैं। नए अध्यक्ष के लिए चुनाव 17 अक्टूबर को होगा और 19 को मतगणना होगी।