राज्यसभा का पद स्वीकार नहीं करेंगे पूर्व सीजेआई!

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। देश के पूर्व चीफ जस्टिस उदय उमेश ललित ने कहा कि वे सरकारी नियुक्ति को स्वीकार करने के विचार के खिलाफ नहीं हैं। हालांकि उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि वे राज्यसभा या गवर्नर पद को स्वीकार नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि यह डिमोशन नहीं है, लेकिन चीफ जस्टिस के स्टेट्स के हिसाब से उचित भी नहीं है। वहीं, उन्होंने कॉलेजियम सिस्टम को बिल्कुल सही और संतुलित प्रक्रिया बताया।
पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई जैसे न्यायाधीशों द्वारा सेवानिवृत्ति के बाद सरकारी पोस्टिंग स्वीकार करने से जुड़े एक सवाल पर यूयू ललित ने कहा कि मेरे विचार से, देश के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पद धारण करने के बाद शायद, मुझे लगता है कि राज्यसभा के नामित सदस्य या किसी राज्य के राज्यपाल का पद सही विचार नहीं है। एक चैनल से बात करते हुए जस्टिस ललित ने राष्टï्रीय मानवाधिकार आयोग के प्रमुख, लोकपाल और विधि आयोग के प्रमुख का जिक्र नौकरियों के रूप में किया और कहा कि अगर उनसे पूछा जाए तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी। उन्होंने साफ किया कि राज्य सभा एक पूरी तरह से अलग बात है। मेरे कहने का मतलब यह है कि एनएचआरसी के अध्यक्ष जैसे स्थान, जहां भी कोई कानून है जिसे संसद ने पारित किया है, और संसद ने उस व्यक्ति को अपेक्षित अनुभव के साथ निर्धारित किया होता है। पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि वह विभिन्न स्तरों पर कुछ कानून से जुड़ी टीचिंग करना पसंद करेंगे। उन्होंने कहा हो सकता है कि राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी या फिर कुछ लॉ स्कूलों में विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में जाऊं।

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