बसपा का राजनितिक दांव क्या उखाड़ सकता है बीजेपी के पांव

What political stake of BSP can uproot BJP

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ।
उत्तर प्रदेश में अब जल्द ही निकाय चुनाव होने वाले है। सभी पार्टियां अपनी अपनी तैयारी में जुट गयी है। बात करें बसपा की तो पार्टी ने अपनी रणनीति बदल ली है।विधानसभा चुनाव के चुनाव में मिली हार के बाद बसपा निकाय चुनाव में नया फार्मूला अपनाना चाहती है। ऐसे में पार्टी क्लीन कॉलर नेताओं को अपनी पार्टी का हिस्सा बनाना चाहती है।और इसी के चलते अब बसपा प्रमुख मायावती ने मंगलवार को विश्वनाथ पाल को पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई का नया अध्यक्ष नियुक्त किया। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार आगामी शहरी निकाय चुनावों और 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर यह फैसला लिया गया है। एक ट्वीट में बसपा अध्यक्ष ने कहा कि पाल को भीम राजभर के स्थान पर राज्य इकाई का नया अध्यक्ष बनाया गया है। उन्होंने कहा कि अयोध्या निवासी विश्वनाथ पाल को उत्तर प्रदेश राज्य इकाई का अध्यक्ष बनाया गया है, उन्हें हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं। राजभर को बिहार का पार्टी समन्वयक बनाया गया है। मौजूदा राजनीतिक स्थिति को देखते हुए बसपा के उत्तर प्रदेश संगठन में बदलाव किया गया है। बता दें कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में कभी बहुजन समाज पार्टी जबरदस्त प्रभाव रखती थी। लेकिन बीते कुछ चुनावों में पार्टी को लगातार हार हाथ लगी है। बात करें 2007 की तो आखिरी बार बहुजन समाज पार्टी ने पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाई थी। यह सरकार 2012 तक चली और उसी साल समाजवादी पार्टी ने चुनाव जीता और अखिलेश यादव राज्य के मुख्यमंत्री बने थे। इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव और 2017 के विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी का प्रदर्शन बेहद खराब रहा. 2019 के लोकसभा चुनाव के वक्त भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से हटाने के लिए बसपा ने सपा से हाथ भी मिलाया लेकिन नतीजा कुछ खास नहीं निकला. हालांकि सपा-बसपा गठबंधन में ज्यादा सीटें बसपा के पास ही आई थीं। इसके बाद 2022 के विधानसभा चुनाव में बसपा का सिर्फ एक विधायक जीत सका। अब माना जा रहा है कि राज्य में नए पार्टी अध्यक्ष की नियुक्ति के साथ ही भविष्य में कुछ और बदलाव भी देखने को मिल सकते हैं। 2023 के निकाय चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी बड़ी रणनीति पर काम कर सकती है। जिससे वोट के आधार को फिर बढ़ाया जा सके। बात करें 2022 की तो  यूपी व‍िधानसभा चुनाव का पर‍िणाम बहुजन समाज पार्टी के ल‍िए चौंकाने वाला था । प्रदेश में 22 प्रतिशत दलित वोटर हैं। बसपा को 2022 में लगभग 13% वोट मिले और ये आकंड़ा 1993 के बाद का सबसे कम आंकड़ा था। वहीं एक सीट के साथ बसपा अब तक के अपने सबसे खराब दौर में पहुंच गई। इससे साफ है कि पार्टी का बेस वोटर उससे दूर हो गया है। ऐसे में बसपा की आगे की राह भी बहुत मुश्किल होगी। वहीँ 2024 से पहले मायावती ने निकाय चुनाव में एक दांव खेला  है उन्होंने obc वोट बैंक और मुस्लिम वोट बैंक को साधने की कोशिश की है दअसल उन्होंने निकाय चुनाव में पाल बारादरी के विश्वनाथ पाल को प्रदेश का अध्यक्ष बनाया है  वो देखना चाहती है कि उनको निकाय चुनाव में कैसा रिस्पांस मिलता है जिसके बाद 2024 में वो obc नेताओं को आगे कर सकती है। राम नगरी के विश्वनाथ पाल को चुनकर उन्होंने obc वोट बैंक को साधने कि कोशिश की है इस तरह मायावती ने बीजेपी को राम नगरी से सीधी टक्कर देने की ठान ली है। वो मुस्लिम और दलित  वोट बैंक से एक बार फिर बसपा का भविष्य बदल सकतीं हैं।

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