यह है इन्वेस्टर मीट का सच : जो विश्वविद्यालय चलता है एक छत के नीचे उससे यूपी के अफसरों ने कर लिया पैंतीस हजार करोड़ का एमओयू
- एक ऐसा विश्वविद्यालय यूपी में करेगा निवेश जिसके यहां सिर्फ पच्चीस लोगों का है स्टाफ
- पहले भी इन्वेस्टर समिट के नाम पर होते रहे हैं हजारों करोड़ के फर्जी एमओयू हस्ताक्षर
- इन्वेस्टर समिट के नाम पर विदेश मे धूमने के लिये फूंक दिये जनता के करोड़ों के टैक्स के पैसे
संजय शर्मा
लखनऊ। यूपी के अफसर अपने नए-नए कारनामों के लिए दुनिया भर में चर्चित रहते हैं। इस बार इन अफसरों ने ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट के नाम पर जो गुल खिलाये है, उसने दुनिया भर में न सिर्फ यूपी बल्कि भारत की भी मजाक उड़ा दी है। यूपी के मंत्री और इंडस्ट्री विभाग के सबसे बड़े अफसर अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में एक ऐसे विश्वविद्यालय से पैंतीस हजार करोड़ का करार कर आए है, जो एक ही छत के नीचे चलता है। देश की जानी-मानी पत्रकार रोहिणी सिंह के इस खुलासे के बाद हडक़ंप मच गया और लोग कहने लगे कि पिछली इन्वेस्टर्स समिट की तरह इस बार भी समिट के नाम पर धोखा धड़ी की जा रही है। अफसरों और मंत्रियों के विदेश दौरे पर करोड़ों रुपया खर्च हो गया और जो कागजों में करार करके प्रदर्शित किया गया उतना तो यूपी का बजट भी नहीं हैं। इस गोलमाल के खुल जाने के बाद यह साफ हो गया कि इन्वेस्टर्स समिट में जो एमओयू किए जाते हैं हकीकत में वो जमीन पर नहीं उतरते है और मीडिया मैनेजमेंट के नाम पर एक बड़ा खेल हो जाता है।
यूपी के दर्जनभर मंत्री डिप्टी सीएम और अफसरों के साथ दुनिया के अलग-अलग देशों में जा रहे हैं यूपी के औद्योगिक विकास विभाग ने इन देशों में फर्जीवाड़े की कहानी पहले ही लिख ली थी न ये कोई नया मामला नहीं है इन्वेस्टर समिट वन और टू में भी इस तरह के दर्जनों खेल सामने आए। यूपी के एक चर्चित समाजसेवी नए इन्वेस्टर्स समिट में 200 करोड़ रुपया का एमओयू साइन करके यूपी में निवेश की बात कही जबकि लखनऊ के कई होटलों में उनके चेक तक बाउंस हो गए और आज तक उन्होंने कोई निवेश नहीं किया। ये अकेला मामला नहीं है ऐसे दर्जनों मामले सामने आए और आरटीआई में पूछने पर भी कोई जवाब नहीं दिया गया। दरअसल इन्वेस्टर्स समिट के नाम पर ऑफिसर करोड़ों का गोलमाल करते हैं और ऐसे फर्जी एमओयू बनाकर मीडिया में ऐसा माहौल बनाते हैं जैसे यूपी में हजारों करोड़ का निवेश होने जा रहा है। इससे में सरकार को अपनी ब्रांडिंग करने में फायदा मिलता है। इसी जोश में औद्योगिक विकास आयुक्त अरविंद कुमार जो पहले भी भ्रष्टाचार के कई मामलों में चर्चा में रहे हैं उन्होंने अमेरिका में नया गुल खिला दिया। वित्त मंत्री सुरेश खन्न और पूर्व मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह के साथ एक फोटो तो लगाते हुए ट्वीट किया गया कि ऑस्टिन यूनिवर्सिटी यूपी में 5000 एकड़ में नॉलेज सिटी बनाएगी और इसकी लागत लगभग 35 हजार करोड़ रुपया होगी। इस ट्वीट के बाद भी यूपी में भाजपा के नेताओं ने सरकार की तारीफ में कसीदे पढऩा शुरू कर दी है और कहना शुरू किया कि यूपी सरकार की ब्रांडिंग के चलते है। दुनिया भर के लोग यूपी में आने को तैयार हो रहे हैं। ये सब बातें लोग हकीकत में मानते रहते अगर देश की जानी-मानी पत्रकार रोहिणी सिंह इस मामले का खुलासा नहीं करती! उन्होंने ट्वीट करके खुलासा किया कि ये एक स्कैम है।
लेकिन ये एक ऐसा विश्वविद्यालय है जिसकी बेबसाइट पर सिर्फ 25 स्टाफ है और यह खुद एक बिजली इस्पात में बनी हुई है कि उन्होंने अपने ट्वीट में इसके दस्तावेज भी लगा दिए। रोहिणी के इस खुलासे के बाद हडक़ंप मच गया! इस फजीहत के बाद अब यूपी सरकार ने कहा कि उसने ऑस्टिन यूनिवर्सिटी से नहीं बल्कि ऑस्टिन कंसल्टिंग गु्रप के साथ ये समझौता किया है। अमेरिका से मिली जानकारी के मुताबिक वहां की सरकार ऑस्टिन यूनिवर्सिटी के लाइसेंस को पहले ही रद्द कर चुकी है।
इसे 211 में प्राइवेट एजुकेशन इंस्टिट्यूट चलाने की अनुमति मिली थी। मगर इसे आठ दिसंबर 2022 को रद्द कर दिया और इस पर 9000 से ज्यादा का जुर्माना भी लगाया गया है। जाहिर है कि ये यूपीए सरकार का एमओयू एक फर्जीवाडे के अलावा कुछ और नहीं लगता। इस फजीहत के बाद बताया जाता है कि योगी आदित्यनाथ भी बेहद नाराज हैं और जल्दी ही इसकी गाज कुछ अफसरो पर गिर सकती है।
पिछले पांच साल की योगी सरकार में जितने एमओयू किये गये थे उनमें से कोई लागू नहीं हुआ है। अखबार की खबर बनाकर केवल लोगों को गुमराह करने का काम प्रदेश में किया जा रहा है। यह सरकार जनता से धोखा कर रही है।
राजेंद्र चौधरी, राष्ट्रीय प्रवक्ता, सपायूपी में ब्रांङ्क्षडग की सरकार है और योगी जी ब्रांङ्क्षडग के ही नेता है। जनता और युवाओं के साथ एमओयू धोखा है और दिखावा मात्र है। यह सब ऊंची दुकान और फीके पकवान के सिवा कुछ नहीं।
अजय कुमार लल्लू, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, कांग्रेसयोगी सरकार झुठी घोषणाएं करती है धरातल पर कहीं कुछ नहीं उतरा है। घोषणाओं की सरकार यूपी में चल रही है जनता की नहीं। केवल जनता को छल ने का काम हो रहा है।
अनिल दुबे, राष्ट्रीय सचिव/प्रवक्ता, रालोदइन्वेस्ट लाने के नाम पर सरकार धोखा कर रही है। जिस विश्वविद्यायल में छात्र ही न हो उसके साथ इतना बड़ा एमओयू होना खुद में एक झूठ है। जनता को केवल इन्वेस्टर समिट के नाम पर गुमराह किया जा रहा है।
नीलम यादव, प्रदेश अध्यक्ष (महिला), आपमुझे इस विषय की जानकारी नहीं है। मगर किसी के नियम-मानक पूरे नहीं है तो निश्चित ही यह जांच का विषय है। इस मामले में पूरी जानकारी के बाद ही कोई विधिवत बयान दूंगा।
कुमार अशोक पांडेय, प्रवक्ता, भाजपा