बूस्टर डोज के रूप में लगेगी नेजल वैक्सीन, एक्सपर्ट से जानिए क्या हैं इसके फायदे

चीन समेत दुनियाभर के कई देशों में कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं. इस बीच भारत सरकार ने पहली नेजल वैक्सीन को मंजूरी दे दी है. ये वैक्सीन नाक के जरिए दी जाती है और लोग इसे बूस्टर डोज के तौर पर लगवा सकते हैं. इसे कोविड टीकाकरण प्रोग्राम में शामिल किया गया है. नेजल वैक्सीन की खास बात यह है कि ये कोविड वायरस और इंफेक्शन और ट्रांसमिशन को रोकती है. फिलहाल जिन लोगों को कोविशील्ड या कोवैक्सीन की दोनों डोज लग गई है उन्हें नेजल वैक्सीन के टीकाकरण में शामिल किया जाएगा.
एक्सपट्र्स बताते हैं कि फिलहाल जो वैक्सीन लग रही हैं वो इंजेक्शन के जरिए लगाई जाती है. इन वैक्सीन को इंट्रामस्कुलर वैक्सीन कहा जाता है. जबकि नेजल वैक्सीन को नाक के जरिए दिया जाता है. इस वजह से इसे इंट्रानेजल टीका कहा जाता है. ये वैक्सीन शरीर में मौजूद म्युकोसा में रोग प्रतिरोधक क्षमता पैदा करती है और वायरस को वहीं खत्म कर देती है. ये वैक्सीन कोविड वायरस को शुरुआती स्तर पर ही खत्म कर देती है. इस टीके से शरीर में इम्युनोग्लोबुलिन पैदा करती है और इंफेक्शन और ट्रांसमिशन को एक साथ रोक देती है.
वरिष्ठ फिजिशियन डॉ अजय कुमार बताते हैं कि इस वैक्सीन का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसे लगाने के लिए किसी विशेष हेल्थ वर्कर की जरूरत नहीं है. वैक्सीन को लगाने के लिए किसी विशेष ट्रेनिंग देनी की जरूरत नहीं है. यह वैक्सीन वायरस को शुरुआती स्टेज पर ही रोक देती है, जिससे संक्रमण का खतरा कम हो जाता है. ये वैक्सीन दो से तीन सप्ताह में ही असर दिखाना शुरू कर देती है. इस वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स भी काफी कम है और इसके लिए सुई का कचरा भी कम रहेगा. नेजल वैक्सीन की दो- दो ड्राप नाक में डाली जाएंगी. इस वैक्सीन की एक डोज ही कारगर है.
अभी तक जिन वैक्सीन को भारत में अनुमित मिली है वह सब इंजेक्शन के जरिए लगाई जाती है, लेकिन नेजल वैक्सीन को नाक के माध्यम से लगाया जाता है. इस वैक्सीन के बाद से शरीर में वायरस के खिलाफ अच्छी रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित होगी और शरीर के अन्य अंगों को भी वायरस के प्रभाव से बचाया जा सकेगा. फिलहाल केंद्र सरकार ने लोगों को कोविड प्रोटोकॉल का पालन करने की सलाह दी है. केंद्र ने कहा है कि लोग मॉस्क पहने और बूस्टर टीकाकरण कराएं.

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