मोदी सरकार को ‘सुप्रीम’ फटकार, सख्ती के लिए न करें मजबूर
- जजों की नियुक्ति में देरी पर दिखाई नाराजगी
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट के बीच तल्खी थमने का नाम नहीं ले रही है। न्यायालय ने कॉलेजियम की सिफारिशों के बावजूद जजों की नियुक्त करने में देरी पर मोदी सरकार को फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट सख्त लहेजे कहा है कि उसे ऐसा मजबूर न किया जाए की वह कोई असुविधाजनक निर्णय ले। सुप्रीम कोर्ट ने जजों के तबादले व नियुक्तियों में देरी पर केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि हमें ऐसा कोई रुख अपनाने को मजबूर नहीं किया जाए, जो कष्टदायक हो। कॉलेजियम की सिफारिशों को मंजूरी में देरी पर प्रशासनिक व न्यायिक दोनों तरह की कार्रवाई हो सकती है। इसे सुखद नहीं कहा जा सकता। इस पर, केंद्र ने आश्वस्त किया कि रविवार तक पांच नियुक्तियां हो जाएंगी। जस्टिस संजयकिशन कौल व जस्टिस अभय एस ओका की पीठ ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से केंद्र के रवैये पर नाराजगी जताई। पीठ एडवोकेट्स एसोसिएशन, बंगलूरू की अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
अनिर्णय बेहद गंभीर मामला
पीठ ने अटॉर्नी जनरल से कहा, केंद्र हाईकोर्ट के जजों के तबादले पर निर्णय नहीं ले रहा। यह बेहद नाजुक और गंभीर मामला है। ऐसे हालात में हमें कठिन निर्णय लेना होगा। एजी ने कहा, कोर्ट को कुछ भी रिकॉर्ड में नहीं लेना चाहिए, क्योंकि इस पर काम हो रहा है। पीठ ने पूछा, काम हो रहा है तो कब पूरा होगा? चीजें सालों से ऐसी ही हैं। एजी ने कहा, सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों के लिए की सिफारिशों पर जल्द अमल हो जाएगा। रविवार तक नियुक्तियां हो सकती हैं। इस पर, पीठ ने केंद्र को सिफारिशों पर फैसला लेने के लिए एक सप्ताह का समय दे दिया।
दिसंबर में की थी सिफारिश
कॉलेजियम ने 13 दिसंबर, 2022 को जस्टिस पंकज मित्तल, जस्टिस संजय करोल, जस्टिस पीवी संजय कुमार, जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस मनोज मिश्र को सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत करने की सिफारिश की थी। 31 जनवरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस राजेश बिंदल और गुजरात हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अरविंद कुमार को भी सुप्रीम कोर्ट में जज के रूप में पदोन्नत करने की सिफारिश की गई थी।
शरजील और आसिफ को कोर्ट ने किया बरी
- पर अभी जेल में रहना होगा
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। दिल्ली की साकेत कोर्ट ने जामिया में हुए 2019 की हिंसा के केस में शरजील इमाम और आसिफ इकबाल तनहा को बड़ी राहत देते हुए बरी कर दिया है। हालांकि उन्हें अब भी कई अन्य मामलों के चलते जेल में ही रहना होगा। इनके खिलाफ दंगा भडक़ाने और असंवैधानिक भीड़ जुटाने के लिए आईपीसी की धारा- 143, 147, 148, 186, 353, 332, 333, 308, 427, 435, 323,341, 120बी और 34 के तहत मामला दर्ज है।हालांकि इमाम अब भी जेल में ही रहेगा क्योंकि उसके खिलाफ पूर्वी दिल्ली में 2020 में हुए दंगों में कई मामलों में केस दर्ज है।
फरवरी 2020 के दंगों में दर्ज हुआ था मामला
शरजील इमाम और कई अन्य पर फरवरी 2020 के दंगों के मास्टरमाइंड होने के लिए यूएपीए मामले में आतंकवाद विरोधी कानून के तहत मामला दर्ज किया गया है। दंगो में 53 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक घायल हो गए थे। नागरिकता संशोधन कानून और राष्टï्रीय नागरिक पंजीकरण के विरोध में प्रदर्शन के दौरान हिंसा भडक़ी थी। इमाम पर दिसंबर 2019 में जामिया मिल्ल्यिा इस्लामिया विश्वविद्यालय में सीएए और एनआरसी पर सरकार के खिलाफ भडक़ाऊ भाषण देने का आरोप था।
जज विक्टोरिया गौरी के भाजपा से कनेक्शन पर वकील नाराज
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
चेन्नई । मद्रास हाईकोर्ट की वकील लक्ष्मण चंद्र विक्टोरिया गौरी को जज बनाने को लेकर बवाल थमने को नाम नहीं ले रहा है। मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै खंडपीठ के 50 से अधिक वकील इस नियुक्ति का खुलकर विरोध कर रहे हैं। इनमें से 58 वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को पत्र लिखकर नाम वापस लेने पर फिर से विचार करने के लिए कहा है। सभी वकीलों ने पत्र में कहा है कि गौरी के नाम पर असहमति जताने के बावजूद उनका नाम कॉलेजियम द्वारा वापस लेने से इनकार कर दिया गया है।
वकीलों ने कहा कि विक्टोरिया गौरी की राजनीतिक पृष्ठभूमि है जिन्होंने राजनीतिक दलों के सदस्यों के रूप में भी काम किया है। उनका कहना है कि गौरी भाजपा की महिला मोर्चा की महासचिव रह चुकी हैं। साथ ही पत्र में कहा गया है कि इस तरह की नियुक्तियां न्यायपालिका को कमजोर कर सकती हैं।
गौरी का दावा- भाजपा से नहीं रहा अब नाता
बवाल के बाद विक्टोरिया गौरी ने इस मामले में सफाई भी दी है। उन्होंने कहा कि वह भाजपा के सभी पदों से जून 2020 में ही इस्तीफा दे दिया था। वर्तमान में वह किसी भी तरह से राजनीति से नहीं जुड़ी हैं। वह बस अभी वकालत पर ध्यान दे रही है।