बीजेपी जो न करवाए, उद्धव से लेकर उपेन्द्र तक हलकान

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। देश के दो राज्यों में दो राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से डेवलप हुए। पहली राजनीतिक खबर पश्चिमी राज्य महाराष्ट्र से आई। इसमें ठाकरे गुट की शिव सेना को चुनाव आयोग ने तगड़ा झटका देते हुए उसके सिंबल को एकनाथ शिंदे को दे दिया। अब पूरी तरह से शिवसेना के चुनाव चिन्ह धनुष बाण पर शिंदे गुट का कब्जा गया है। साथ विधान भवन में जो कार्यालय शिवसेना को एलॉट था वही अब शिंदे गुट को मिल गया है।
दूसरी खबर पूर्वी राज्य बिहार से जुड़ी है। यहां पिछले कई महीनों से जदयू के वरिष्ठ नेता उपेन्द्र कुशवाहा अपने ही प्रमुख नीतीश कुमार के खिलाफ जुबानी जंग में तेजी दिखा रहे थे। अंतत: उन्होंने पार्टी बनाकर नीतीश कुमार से पल्ला झाड़ लिया। सबसे बड़ी बात दोनों ही खबरों की मूल में भाजपा है। ठाकरे की शिवसेना ने भाजपा पर आरोप लगाया है कि उसने पूरी शिवसेना का सबकुछ चोरी कर लिया है। वहीं बिहार में कुशवाहा के फैसले के पीछे बीजेपी का हाथ होने की बात कही जा रही है।

ठाकरे नाम कोई नहीं छीन सकता : उद्धव

उद्धव ठाकरे ने साफ तौर पर कहा कि अगर यह (महाराष्ट्र में मौजूदा परिदृश्य) नहीं रोका गया तो 2024 का लोकसभा चुनाव देश का आखिरी चुनाव साबित हो सकता है क्योंकि इसके बाद यहां अराजकता शुरू हो जाएगी। शिवसेना मामले पर उद्धव ठाकरे का बड़ा बयान आया है। उन्होंने भाजपा पर जबरदस्त तरीके से निशाना साधा भले ही हम से सब कुछ छीन लिया हो लेकिन ठाकरे नाम कोई नहीं छीन सकता है। बाला साहब ठाकरे के पुत्र के तौर पर किसी को यह सौभाग्य नहीं मिल सकता। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि शिव-धनुष को रावण धारण नहीं कर सकता है। सुपारी देकर शिवसेना को खत्म करने की कोशिश हुई है। भाजपा के तलवे चाटने के लिए शिवसेना नहीं है। हालांकि, उन्होंने इस बात को भी स्वीकार किया कि उनके लिए यह वक्त सबसे कठिन है। भाजपा पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि अगर वह 2024 में जीते तो देश में तानाशाही और बढ़ेगी। उद्धव ठाकरे ने साफ तौर पर कहा कि अगर यह (महाराष्ट्र में मौजूदा परिदृश्य) नहीं रोका गया तो 2024 का लोकसभा चुनाव देश का आखिरी चुनाव साबित हो सकता है क्योंकि इसके बाद यहां अराजकता शुरू हो जाएगी। उन्होंने कहा कि मैंने चुनाव आयोग से गुहार लगाई थी कि सुप्रीम कोर्ट में निलंबित विधायकों का मामला है और जब तक फैसला नहीं आ जाता, अपना फैसला मत सुनाइए। पूर्व सीएम ने कहा कि मेरा सब कुछ छीन गया है। हमारी पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह छीन गया है लेकिन ठाकरे नाम छीन नहीं सकता। चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ हमने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है, कल से सुनवाई शुरू होगी। उद्धव ठाकरे ने कहा कि चुनाव आयोग का सिर्फ पार्टियों के सिंबल पर नियंत्रण है… ईसी पैनल भंग किया जाए, मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। मुझे शरद पवार, नीतीश कुमार और ममता बनर्जी के फोन आए। उद्धव ठाकरे गुट के वकील ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को पार्टी का नाम शिवसेना और चुनाव चिन्ह धनुष और तीर आवंटित करने के चुनाव आयोग के कदम को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष याचिका का उल्लेख किया। सुप्रीम कोर्ट ने वकील से कल इसका जिक्र करने को कहा। उद्धव ठाकरे ने याचिका में कहा है कि चुनाव आयोग यह विचार करने में विफल रहा है कि विधान परिषद और राज्यसभा में उनके पास बहुमत है।

कुशवाहा ने बनाई नई पार्टी, बोले-गलत रास्ते पर नीतीश कुमार

उपेंद्र कुशवाहा ने पूरी तरीके से अपना रास्ता जदयू से अलग कर लिया है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि जदयू में आज बहुत बेचैनी है। मैं 2 साल पहले जदयू में आया था लेकिन अब नई राजनीतिक पारी शुरू कर रहा हूं। 2005 से नीतीश कुमार राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे थे। बिहार में राजनीतिक पारा जबरदस्त तरीके से गर्म है। 2 साल पहले नीतीश कुमार के साथ आने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा अब बिहार के मुख्यमंत्री पर ही जबरदस्त तरीके से निशाना साध रहे हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने तो साफ तौर पर कह दिया है कि आज से बाहर नई पारी की शुरुआत कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गलत रास्ते पर हैं। कुशवाहा ने कहा कि हमने नीतीश कुमार के लिए सब कुछ दांव पर लगाया। लेकिन वह गलत रास्ते पर हैं। नए गठबंधन की बात भी हमने स्वीकार की। लेकिन गठबंधन में बाद में डील की बात आने लगी। मैंने नीतीश कुमार के ही पास नेतृत्व रखने की बात कही थी। उपेंद्र कुशवाहा ने पूरी तरीके से अपना रास्ता जदयू से अलग कर लिया है। जद (यू) के राष्ट्रीय संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने बिहार के मुख्यमंत्री और पार्टी नेता नीतीश कुमार के साथ कई दिनों तक चली अनबन के बाद एक नई पार्टी – राष्ट्रीय लोक जनता दल – की शुरुआत की। जदयू में आज बहुत बेचैनी है। मैं 2 साल पहले जदयू में आया था लेकिन अब नई राजनीतिक पारी शुरू कर रहा हूं। 2005 से नीतीश कुमार राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे थे। उन्होंने अपने शाषण में अच्छा काम भी किया। लेकिन उन्होंने अंत बुरा कर दिया। अगर अंत में भला नहीं हुआ तो सब बुरा ही रहा। उपेंद्र कुशवाहा ने यह भी कहा है कि नीतीश ने अपने शासन में अच्छा काम किया। बिहार के खौफनाक मंजर को खत्म किया। लोगों में अमन शांति कायम हुई। लेकिन अब वह स्थिति बदलने लगी हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सीएम अपनी मनमर्जी नहीं कर रहे हैं, वे अब अपने आसपास के लोगों के सुझाव के अनुसार काम कर रहे हैं। वह आज अपने दम पर कार्रवाई करने में असमर्थ हैं क्योंकि उन्होंने कभी उत्तराधिकारी बनाने का प्रयास नहीं किया…अगर नीतीश कुमार ने उत्तराधिकारी चुना होता, तो उन्हें एक के लिए पड़ोसियों की ओर देखने की जरूरत नहीं होती। आज उपेंद्र कुशवाहा की बैठक में नई पार्टी के गठन का राजनीतिक प्रस्ताव लाया गया है जो पारित हो गया है।
इतना ही नहीं, प्रस्ताव में उपेंद्र कुशवाहा को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने की भी बात कही गई है। पार्टी का नाम, झंडा और कई जिम्मेदारियों के लिए भी उन्हें अधिकृत किया गया है। इस बैठक में कुशवाहा समाज की भागीदारी खूब दिखी। नीतीश कुमार और उपेंद्र कुशवाहा के लिए समय-समय पर टकराव होती रही है। 2020 के विधानसभा चुनाव में अलग गठबंधन में चुनाव लडऩे वाले उपेंद्र कुशवाहा ने बाद में जदयू में शामिल होना बेहतर समझा।

शिंदे गुट ने विधानभवन सेना कार्यालय पर जमाया कब्जा

महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे के साथ शिवसेना के विधायक विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर से मिलने वाले थे। बैठक का एजेंडा स्पीकर से शिवसेना के विधान भवन विधायी कार्यालय को सौंपने के लिए कहना था। महाराष्ट, में उद्धव-खेमे को एक और झटका देते हुए विधान भवन स्थित शिवसेना पार्टी का विधान कार्यालय 20 फरवरी को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के धड़े को सौंप दिया गया है। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे के साथ शिवसेना के विधायक आज विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर से मिलने वाले थे। बैठक का एजेंडा स्पीकर से शिवसेना के विधान भवन विधायी कार्यालय को सौंपने के लिए कहना था। उधर निर्वाचन आयोग के फैसले के खिलाफ ठाकरे गुट ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। निर्वाचन आयोग ने शिंदे गुट को वास्तविक शिवसेना के तौर पर मान्यता देते हुए पार्टी का चुनाव निशान ‘धनुष बाण’ को भी उसे आवंटित कर दिया था।

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