आईपीएस अनिरुद्ध सिंह पर गिरी गाज, पत्नी का भी कानपुर तबादला

लखनऊ । वाराणसी में रिश्वत मांगने के वीडियो मामले में एक बार फिर आईपीएस अनिरुद्ध सिंह पर गाज गिरी है। मेरठ में एसपी ग्रामीण के पद पर तैनात अनिरुद्ध सिंह को अब सीबीसीआईडी भेजा गया है। इससे पहले इस घटना के वक्त उन्हें वाराणसी से हटाकर वेटिंग में डाला गया था। अनिरुद्ध सिंह के साथ ही उनकी पत्नी आरती सिंह को भी वाराणसी कमिश्नरेट से हटा कर कानपुर कमिश्नरेट भेज दिया गया है। आरती सिंह पर भी एक मकान को कब्जा करने का आरोप लगा था।
हालांकि डीजीपी से शिकायत के बाद उन्होंने मकान खाली किया था। बता दें कि बनारस के चेतगंज में एसीपी रहे आईपीएस अनिरुद्ध सिंह पर एक स्कूल संचालक से 20 लाख रुपये रिश्वत मांगने का आरोप लगा था। इस संबंध में शिकायत के बाद सरकार ने कार्रवाई करते हुए उन्हें पद से हटा कर लखनऊ बुला लिया था। लेकिन कुछ ही दिन बाद उन्हें मेरठ में एसपी ग्रामीण का चार्ज मिल गया। अभी वह यहां जमे भी नहीं थे कि वही 20 लाख रुपये रिश्वत मांगने का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल होने लगा।
ऐसे में राज्य सरकार ने एक बार फिर बुधवार की देर रात उन्हें फिर पद से हटाकर लखनऊ बुला लिया है। यहां उन्हें एसपी सीबीसीआईडी बनाया गया है। इसी प्रकार उनकी पत्नी आरती को वाराणसी में डीसीपी वरुणा जोन से हटाकर कानपुर कमिश्नरेट भेज दिया गया है। जानकारी के मुताबिक कुछ दिन पहले ही आरती सिंह पर एक मकान कब्जाने का आरोप लगा था। उस समय आरती सिंह ने वाराणसी में रहने के लिए किराए का घर लिया था, लेकिन ना तो वह किराया दे रही थीं और ना ही मकान खाली कर रही थीं।
वहीं जब मकान मालिक ने किराए की मांग की तो उल्टा उसे जेल में बंद कराने की धमकी तक दे दी। थकहार कर पीडि़त ने डीजीपी को शिकायत दी। इसके बाद आईपीएस आरती सिंह ने पूरे किराए का भुगतान करते हुए मकान को खाली किया था। पुलिस मुख्यालय से जारी तबादला सूची के मुताबिक वाराणसी की डीसीपी आरती सिंह को कानपुर में डीसीपी बनाया गया है, वहीं कानपुर में डीसीपी रही अंकिता शर्मा को उनकी जगह वाराणसी में वरुणा जोन भेजा गया है। इसी प्रकार आईपीएस अनिरुद्ध सिंह को हटाने के बाद उनकी जगह पर कमलेश बहादुर को तैनात किया गया है।
जानकारी के मुताबिक आईपीएस अनिरुद्ध सिंह पर रिश्वत मांगने के आरोप वाला वीडियो करीब दो सप्ताह पहले वायरल हुआ था। इस मामले में पुलिस कमिश्नर वाराणसी को जांच कर तीन दिन में रिपोर्ट देने को कहा गया था, लेकिन 15 दिन बाद भी यह साफ नहीं हो सका है कि जांच कहां तक पहुंची।

Related Articles

Back to top button