चर्चित बेहमई कांड में शामिल रहे डकैत पोसा की मौत

कानपुर देहात। देश भर में चर्चित रहे कानपुर देहात के बेईमई कांड के आरोपी पोसा की मौत हो गई। दस्यु सुंदरी फूलन देवी के साथी 85 वर्षीय पोसा की जेल में हालत बिगड़ गई थी। उसे कानपुर हैलट अस्पताल में भर्ती कराया गया था। पोसा लंबे समय से फेफड़ों के संक्रमण से जूझ रहा था। फूलन देवी गैंग के अहम सदस्य रहे पोसा मल्लाह ने कई आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने में बड़ी भूमिका निभाई थी।
जलौन जिले के पाल गांव निवासी पोसा मल्लाह बेहमई कांड का आरोपी था। इस घटना के बाद अधिकांश आरोपी फरार हो गए थे जिन्हें पुलिस कई सालों तक गिरफ्तार नहीं कर सकी थी। फूलन देवी समेत अधिकांश आरोपियों की मौत हो चुकी है। छह दिसंबर, 2016 को आरोपी पोसा को बेहमई गांव के पास बीहड़ से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। इसके बाद से वह लगातार जेल में बंद रहा। उम्र अधिक होने के कारण उसके फेफड़ों में संक्रमण की समस्या होने लगी।
पहले तो जेल अस्पताल में ही उसका इलाज चलता रहा फिर उसे हैलट ले जाया गया। वहां उपचार कराया जा रहा था। इसके पहले 24 मार्च को उसकी हालत बिगड़ी थी तब उसे जिला अस्पताल भेजा गया वहां से डाक्टरों ने हैलट रेफर कर दिया था। हैलट में इलाज के बाद उसे आराम मिल गया। इसके बाद उसे फिर जेल लाया गया था। फिर हालत बिगड़ी तो जेल वार्डन प्रभु प्रताप सिंह जिला अस्पताल ले गए। वहां इमरजेंसी ड्यूटी डाक्टर निशांत पाठक ने परीक्षण के बाद मृत घोषित कर दिया। उसकी मौत की सूचना पुलिस को दी गई। जेलर वीके पांडेय ने बताया कि बंदी की हालत बिगडऩे पर उसे अस्तपाल भेजा गया था। वहां उसकी मौत हो गई है।
14 फरवरी, 1981 को दस्यु सुंदरी फूलन देवी ने यमुना बीहड़ पट्टी के गांव बेहमई में अपने साथियों के साथ धावा बोल दिया था। उसने गांव के बाहर कुंए के पास लोगों को लाइन से खड़ा कर गोलियां चलाई थीं। इसमें 20 लोगों की मौत हो गई थी जबकि छह लोग घायल हो गए थे। इस घटना की चर्चा पूरे देश में हो गई। इस घटना पर फिल्म भी बनाई जा चुकी है। ग्रामीणों का कहना है कि फूलन देवी निषाद बिरादरी से थीं। उन्हें शक था कि गांव के लोग फूलन के विरोधी गैंग जो ठाकुर बिरादरी के थे उन्हें पनाह देते हैं और उनकी मदद करते हैं। फूलन ने घटना को अंजाम देने से पहले गांव में ऐसा न करने का ऐलान भी किया था।
घटना में नामजद आरोपियों में से सिर्फ दो आरोपी श्यामबाबू व विश्वनाथ बचे हैं। दोनों जमानत पर हैं। तारीख पर कोर्ट आते हैं। इस घटना के वादी राजाराम सिंह की भी दो साल पहले मौत हो चुकी है। वहीं अन्य आरोपियों फूलन देवी, मुस्तकीम, बालादीन, ब्रजबिहारी, रामऔतार, लल्लू बघेल, बलवान सिंह, जागेश्वर, रामशंकर, नंदा उर्फ माला मल्लाह, राम सिंह, भीखा समेत आधिकांश आरोपियों की मौत हो चुकी है। अभी तक कोर्ट का फैसला नहीं आया। गांव के लोगों में इस बात को लेकर नाराजगी भी है।

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