अफगानिस्तान पर कसता ही जा रहा है तालिबान का शिकंजा
नई दिल्ली। एक ओर जहां अफगानिस्तान से अमेरिकी और नाटो बलों की वापसी हो रही है तो वहीं दूसरी ओर तालिबान ने काबुल के पास की एक और प्रांतीय राजधानी पर कब्जा कर लिया है। दस प्रांतीय राजधानियों को जोडक़र आतंकवादी समूह के कब्जे का दायरा अब व्यापक हो गया है। काबुल से 130 किमी दक्षिण-पश्चिम में गजनी में आतंकियों ने सफेद झंडे फहराए। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार दो स्थानीय अधिकारियों ने बताया कि शहर के बाहर स्थित एक सैन्य प्रतिष्ठान और खुफिया अड्डे पर छिटपुट लड़ाई अभी भी जारी है।
तालिबान की ओर से जारी किए गए ऑनलाइन वीडियो और तस्वीरें में साफ दिखाई दे रहा है कि गजनी प्रांत की राजधानी गजनी में उनके लड़ाके नजर आ रहे हैं। वहीं अफगान सुरक्षा बल और सरकार कई दिनों से जारी लड़ाई पर कोई टिप्पणी करने को तैयार नहीं हैं। यूं तो काबुल को सीधे तौर पर बढ़ते तालिबान से खतरा नहीं है, लेकिन इसका तेजी से बढऩा इस बात पर सवाल खड़ा करता है कि अफगान सरकार कब तक शेष क्षेत्रों को अपने नियंत्रण में रख पाएगी।
दरअसल सरकार को राजधानी और कुछ अन्य शहरों को बचाने के लिए अपने कदम वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है क्योंकि लड़ाई से विस्थापित हजारों लोग काबुल भाग गए हैं और खुले स्थानों और पार्कों में रहने को मजबूर हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार गजनी प्रांत के एक परिषद सदस्य अमानुल्लाह कामरानी ने बताया कि शहर के बाहर के दो ठिकाने अभी भी सरकारी बलों के नियंत्रण में हैं।
इस बीच अफगानिस्तान के सबसे बड़े शहरों में से एक लश्कर गाह में लड़ाई तेज हो गई है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक हेलमंद की सांसद नसीमा नियाजी ने कहा कि आत्मघाती कार बम हमले में राजधानी के क्षेत्रीय पुलिस मुख्यालय को निशाना बनाया गया। गुरुवार को तालिबान ने मुख्यालय पर कब्जा कर लिया और कुछ पुलिस अधिकारियों ने उनके सामने आत्मसमर्पण कर दिया, जबकि अन्य ने पास के गवर्नर के कार्यालय में शरण ली, जो अभी भी सरकारी बलों के पास है।
नियाज़ी ने कहा कि प्रांतीय जेल पर भी आत्मघाती कार बम से हमला किया गया था, हालांकि यह अभी भी सरकारी बलों के कब्जे में है। लेकिन तालिबान ने पिछले एक हफ्ते में अपने सैकड़ों आतंकवादियों को रिहा किया है और हथियार और वाहन जब्त किए हैं।
नियाज़ी ने इलाके में हवाई हमलों की निंदा की और आशंका जताई कि नागरिक मारे जा सकते हैं। उन्होंने कहा, तालिबान लड़ाके अपनी सुरक्षा के लिए आम लोगों के घरों का इस्तेमाल करते हैं और सरकार नागरिकों की परवाह किए बिना हवाई हमले कर रही है। माना जा रहा है कि अमेरिकी वायु सेना ने अफगान बलों पर हवाई हमला किया है। अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि अमेरिकी बम हमलों में कितने लोग मारे गए हैं।