सुप्रीम कोर्ट से अडानी को राहत, कांग्रेस को झटका
हिंडनवर्ग मामले में अडानी की भूमिका संदिग्ध नहीं
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। कुछ महीने पहले हिंडनवर्ग की एक रिपोर्ट ने भारत में तहलका मचा दिया था। देश के सबसे अमीर आदमी गौतम अडानी की कंपनियों में भूचाल आ गया था और उसके साथ ही देश की राजनीति में भी कोहराम मच गया था। हालात यह हो गयी थी कि देश की संसद कई दिनो ठप रही और कांग्रेस अडानी के बहाने प्रधानमंत्री मोदी पर लगातार हमला करती रही।
ऐसा करके कांग्रेस पहली बार इस मामले में प्रधानमंत्री को घेरने में क़ामयाब होती नजर आ रही थी। पर सुप्रीम कोर्ट के प्रथम दृष्टïया फैसले के बाद अब एक बार फिर खेल में बदलाव आ गया है। दरअसल इस कहानी के पीछे 2024 का लोक सभा चुनाव है कांग्रेस किसी भी क़ीमत पर मोदी के चेहरे पर दाग लगाना चाहती है और उसको लगता है ही अडानी के मामले में उसे ट्रंप का एक पत्ता मिल गया है। मगर अब हालात एकबार फिर अडानी के पक्ष में होते हुए नजर आ रहे हैं ये सारा मामला सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के सार्वजनिक हो जाने के बाद हुआ। कांग्रेस ने देश भर में मोदी और अडाणी के रिश्तों को लेकर हंगामा शुरू कर दिया था तब संसद का कामकाज ठप हो गया था, तब सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने बनायी थी कमेटी
वर्तमान चीफ़ जस्टिस दवाब में आने वाले व्यक्ति नहीं हैं और जब उन्होंने इस मामले में याचिका सुनने का मन बनाया तो सरकार को भी पसीने आ गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को दरकिनार कर खुद ही कमेटी बनाया और नाम तय किए। तब ऐसा लगा कि अब अडानी और मोदी के बुरे दिन शुरू हो गए। कमेटी में जो नाम सामने आए एक तो उनकी छवि अच्छी थी और उसमें से कुछ लोग ऐसे थे जो राहुल गांधी और कांग्रेस के काफ़ी कऱीबी थे। इसमें पहला नाम जस्टिस मनोहर का था वे सुप्रीम कोर्ट से 2019 में रिटायर हुए थे, उनकी छवि भी सख्त जज की रही थी। कमेटी में दूसरा नाम जस्टिस देवधर का था उन्होंने क़ानून की पढ़ाई मुंबई से की है जबकि 1982 यूनियन ऑफ़ इंडिया के वक़ील रहे हैं और 1985 से वो आयकर विभाग के वक़ील रहे हैं यह वही दौर था, तीसरा नाम नंदन नीलेकणी का है जो इंफोसिस के सह संस्थापक और ग़ैर कार्यकारी अध्यक्ष रहे हैं जिन्हें गांधी परिवार बेहद पसंद करता है और वे 2006 में पद्म भूषण से भी सम्मानित किये जा चुके हैं। अगला नाम के वी कामथ का रहा है वे ब्रिक्स देशों के न्यू डेवलपमेंट बैंक के प्रमुख और आईसीआईसीआई बैंक के संस्थापक और पूर्व निदेशक रहे हैं। अगला नाम ओ पी भट्ट का है जो 2006-से 2011 तक एबीआई के अध्यक्ष रहे थे इसके अलावा सोमशेखर सुंदेरसन को भी वित्तीय क्षेत्र जैसे जगहों पर उन्हें विशेषज्ञता हासिल है इन सारे जजों का परिचय मैंने आपको इस ये कराया क्योंकि लोग मान रहे थे ऐसी कमेटी सिर्फ़ चंद्रचूड़ ही बना सकते हैं।
हिंडनवर्ग के आरोपों को किया खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने इस कमेटी को रिपोर्ट देने को कहा और साथ ही सेबी को भी आदेश दिया की वो अपनी रिपोर्ट कोर्ट को दाखि़ल करे। पिछले दिनों सेबी ने कहा कि यह मामला काफ़ी बड़ा है और उसे इसके लिए छह महीने का समय चाहिए मगर कोर्ट ने उसे सिर्फ़ 3 महीने का समय दिया इस बीच इस विशेषज्ञ कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी और यह रिपोर्ट सार्वजनिक हो गई इस रिपोर्ट में अडानी समूह को बड़ी राहत दे दी । इस रिपोर्ट में कहा गया कि अडानी समूह ने सभी लाभकारी मालिकों का ख़ुलासा किया है और सेबी ने ऐसा कोई आरोप नहीं लगाया है कि वह अडानी के लाभकारी मालिकों की घोषणा को ख़ारिज कर रहे हैं। हिंडनवर्ग की रिपोर्ट आने के बाद अडानी की रिटेल हिस्सेदारी में इज़ाफ़ा हुआ है रिपोर्ट में साफ़ तौर पर कहा गया है कि मौजूदा नियमों कानूनों का प्रथम दृष्ट्या किसी प्रकार का उल्लंघन नहीं पाया गया है।
सेबी को नहीं मिली विदेशी योगदानकर्ताओं की जानकरी
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है की सेबी के पास अभी भी 13 विदेशी संस्थाओं और बयालीस योगदानकर्ताओं के बारे में भी पर्याप्त जानकारी नहीं है इसलिए ये भी तय करें कि इसमें और क्या मामला सामने है। रिपोर्ट में इडी के मामले का उल्लेख करते समय सेबी ने प्रथम दृष्ट्या कोई आरोप नहीं लगाया है। इस रिपोर्ट में अडानी समूह के शेयरों में आर्टिफिशियल ट्रेडिंग का कोई पैटर्न नहीं मिला है। कमेटी को शेयरों के मूल्यों में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी या एक ही पार्टी के द्वारा बार बार ट्रेडिंग के भी सबूत नहीं मिले हैं। मगर एक महत्वपूर्ण बात ये भी सामने आयी कि हिंडन वर्ग रिपोर्ट से पहले कुछ संस्थानों ने शॉर्ट पोज़ीशन ली, और मुनाफ़ा कमाया। यही आरोप हेडन द्वार पर लगा था कमेटी को ग़लत व्यापार का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला। कमेटी ने यह भी माना कि शेयरों में रिटेल इन्वेस्टमेंट कई गुना बढ़ा और अडानी ग्रुप के द्वारा किए गए उपायों से स्टॉक में भरोसा पैदा करने की कोशिश की गई।