एलजी और दिल्ली सरकार मेंफिर बढ़ी रार

उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार के 400 कर्मियों को एक झटके में पद से हटाया

कहा- गैर पारदर्शी तरीके से की गई थी नियुक्ति

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। दिल्ली में एलजी और राज्य सरकार के बीच सास-बहू का झगड़ा लगातार जारी है। इस बीच उपराज्यपाल ने एक और बड़ी कार्रवाई की है। उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दिल्ली सरकार में फेलो, एसोसिएट फेलो, सलाहकार और उपाध्यक्ष के रूप में काम कर रहे करीब 400 कर्मियों की सेवाओं को तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिया है।
दिल्ली सरकार ने इन्हें अपने विभिन्न विभागों, एजेंसियों में सलाहकार, विशेषज्ञ, वरिष्ठ अनुसंधान अधिकारी और परामर्शदाता के रूप में नियुक्त किया था। कहा गया है कि इन्हें गैर-पारदर्शी तरीके से और सक्षम प्राधिकारी की अनिवार्य मंजूरी के बिना नियुक्ति दी गई थी। इन कर्मियों की नियुक्तियों में डीओपीटी द्वारा निर्धारित एससी, एसटी, ओबीसी उम्मीदवारों के लिए अनिवार्य आरक्षण नीति का भी पालन नहीं किया गया। जांच में सेवा विभाग ने पाया कि ऐसे कई कर्मी पदों के लिए जारी विज्ञापनों में निर्धारित पात्रता मानदंड (शैक्षिक योग्यता/कार्य अनुभव) को पूरा नहीं करते हैं। संबंधित प्रशासनिक विभागों ने भी इन कर्मियों द्वारा प्रस्तुत कार्य अनुभव प्रमाणपत्रों की सत्यता को सत्यापित नहीं किया, जो कई मामलों में हेराफेरी तक हुई है। इस जांच के बाद सेवा विभाग ने इन्हें हटाने का प्रस्ताव दिया था, जिसे उपराज्यपाल ने स्वीकार कर लिया। हालांकि, इसमें यह भी कहा गया है कि यदि कोई प्रशासनिक विभाग इनमें से किसी की सेवा को जारी रखना चाहता है तो नियम के तहत प्रस्ताव भेजा जाए।

उपराज्यपाल का फैसला गैरकानूनी : दिल्ली सरकार

400 कर्मियों को पदों से हटाने पर दिल्ली सरकार ने इसे गैरकानूनी करार दिया है। साथ ही कहा है कि इसे कोर्ट में चुनौती दी जाएगी। दिल्ली सरकार के सूत्रों का कहना है कि उपराज्यपाल के पास ऐसा करने का अधिकार नहीं है। वह गैरकानूनी और संविधान के खिलाफ काम कर रहे हैं। उनका उद्देश्य दिल्ली सरकार को पंगु बनाना हैं। फैसला लेने से पहले एक भी कारण बताओ नोटिस जारी नहीं किया गया, किसी भी स्तर पर कोई स्पष्टीकरण या स्पष्टीकरण नहीं मांगा गया। इस असंवैधानिक फैसले को अदालत में चुनौती दी जाएगी।

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