बनियान को क्यों कहते हैं सैंडो ?
आखिर क्या है ऐसे अजीबोगरीब नाम का अर्थ?
बनियान, गंजी या अंग्रेजी में कहें तो वेस्ट, पुरुषों द्वारा कपड़े के नीचे पहना जाने वाला अंडरगार्मेंट है। कई बार तो लोग सिर्फ रंगीन बनियान पहनकर बाहर टहलने निकल जाते हैं, उसके ऊपर शर्ट या टीशर्ट नहीं पहनते बनियान को तो आपने देखा होगा, इस्तेमाल भी करते होंगे, पर क्या आपने कभी ये सोचा है कि आखिर बनियान के साथ ‘सैंडो’शब्द क्यों जोड़ते हैं? कई बार दुकान से बनियान खरीदते वक्त आपने बनियान शब्द की जगह सिर्फ ‘सैंडो’ बोला होगा और दुकानदार ने आसानी से समझकर आपको बनियान थमा दी होगी। पर फिर बात वहीं आकर अटक जाती है कि आखिर ‘सैंडो बनियान’ या ‘सैंडो गंजी’ क्यों कहते हैं, ये तो कंपनी का भी नाम नहीं है जो उसे साथ में जोड़ा जाए, आखिर क्या है ‘सैंडो’ का रहस्य?
साल था 1867। जर्मनी के प्रशिया में एक बच्चे का जन्म हुआ जिसका नाम रखा गया यूजेन सैंडो। सैंडो जब 10 साल का था, तब से ही उसे बॉडी बिल्डिंग का शौक चढ़ गया था। उसने कई बॉडी बिल्डिंग की प्रतियोगिताओं में भाग लिया और बड़ा नाम कमा लिया। यही कारण है कि यूजेन सैंडो को मॉडर्न बॉडी बिल्डिंग का पितामाह भी कहा जाता है। इस बनियान का नाम उनके ड्रेसिंग स्टाइल पर ही पड़ा है। चलिए आपको बताते हैं कैसे।
बॉडी बिल्डिंग के अपने सफर के दौरान सैंडो की बॉडी को सबसे पर्फेक्ट माना जाता था। यही कारण है कि लोग पैसे देकर उसके शरीर को देखने आते थे। वो पूरी दुनिया में घूम-घूमकर अपने शरीर को प्रदर्शनी की तरह दिखाता था। जापान, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड जैसे देशों के साथ सैंडो का भारत आना भी हुआ था। विकीपीडिया के अनुसार साल 1905 में यूजेन सैंडो भारत आया था। उस वक्त तक वो विश्व विख्यात हो चुका था और लोग उसे अच्छे से पहचानते थे।