जासूसी : विपक्ष ने सरकार पर किया चौतरफा हमला, पूछा, जासूसी क्यों करा रहा है केंद्र
- पत्रकारों की जासूसी कराकर लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को कमजोर करने की साजिश
- खुली जांच कराने की मांग, संसद में भी मोदी सरकार को घेरने की तैयारी में विपक्ष
- पत्रकारों, विपक्ष के नेताओं समेत तीन सौ लोगों की जासूसी कराए जाने के खुलासे से मचा हड़कंप
4पीएम न्यूज नेटवर्क. नई दिल्ली। एक बार फिर जासूसी का जिन्न बोतल के बाहर आ गया है। न्यूज पोर्टल ‘द वायरÓ समेत 16 मीडिया संगठनों ने दावा किया है कि भारत सरकार ने 2017 से 2019 के बीच करीब 300 भारतीयों की जासूसी की है। इनमें पत्रकार, वकील, सामाजिक कार्यकर्ता, विपक्ष के नेता और बिजनसमैन शामिल हैं। इस खुलासे के बाद पूरे देश में हड़कंप मच गया है। वहीं विपक्ष ने इस मामले में सरकार पर चौतरफा हमला बोल दिया है और इसकी खुली जांच कराने की मांग की है। आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने इस मुद््दे को राजसभा में उठाया। द गार्जियन, वॉशिंगटन पोस्ट और न्यूज पोर्टल द वायर ने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि दुनिया की कई सरकारें इजरायल के खास स्पाईवेयर पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिए मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, पत्रकारों, बड़े वकीलों समेत कई बड़ी हस्तियों की जासूसी करवा रही हैं, जिसमें भारत भी शामिल है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कई पत्रकारों से फॉरेंसिक विश्लेषण में शामिल होने की बात की गई लेकिन उन्होंने विभिन्न कारणों का हवाला देते हुए इसमें भाग लेने से इंकार कर दिया। रिपोर्ट की पहली कड़ी में भारत के करीब 40 पत्रकारों का नाम शामिल किया गया है। अलग-अलग मौकों पर इन सभी पत्रकारों के फोन हैक किए गए या हैक करने की कोशिश की गई। इस दौरान व्हाट्सएप कॉल, फोन कॉल, रिकॉर्डिंग, लोकेशन समेत अन्य कई जानकारियां ली गई। हालांकि इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद एनएसओ ग्रुप ने अपनी सफाई दी है। कंपनी के मुताबिक, मीडिया रिपोर्ट्स में जो आरोप लगाए गए हैं और जिन मुद्दों की बात की गई है, वह पूरी तरह से गलत है। दूसरी ओर इस खुलासे के बाद से देश भर में हड़कंप मचा हुआ है और विपक्ष सरकार पर हमलावर है।
इजरायल के पेगासस सॉफ्टवेयर को बनाया हथियार
गार्जियन अखबार के मुताबिक जासूसी का ये सॉफ्टवेयर इजरायल की सर्विलेंस कंपनी एनएसओ ने देशों की सरकारों को बेचा है। लीक हुए डेटा के कंसोर्टियम के विश्लेषण ने कम से कम 10 सरकारों को एनएसओ ग्राहक के रूप में माना जा रहा है जो एक सिस्टम में नंबर दर्ज कर रहे थे। इसमें अजरबैजान, बहरीन, कजाकिस्तान, मैक्सिको, मोरक्को, रवांडा, सऊदी अरब, हंगरी, भारत और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों के डाटा शामिल हैं। गार्जियन का दावा है कि 16 मीडिया संगठनों की जांच के बाद ये खुलासा किया गया है।
सरकार ने दी सफाई
जासूसी के रिपोर्ट्स को केंद्र सरकार ने सिरे से खारिज कर दिया। सरकार की ओर से कहा गया कि इन बातों का कोई ठोस आधार नहीं है। रिपोर्ट को अपने अनुसार तैयार किया गया जिसमें जांचकर्ता-ज्यूरी सब वह खुद ही हैं। ऐसी किसी भी तरह की गतिविधि में भारत सरकार संलिप्त नहीं है। केंद्र ने कहा कि भारत एक लचीला लोकतंत्र है और वह अपने सभी नागरिकों के निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार के तौर पर सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
यह बहुत शर्मनाक है। इससे लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को गहरी चोट पहुंची है। इस सूची में 40 पत्रकारों के नाम शामिल हैं। लगता है जो सरकार की गलत नीतियों पर सवाल खड़ा करते हैं, उनकी जासूसी करायी जा रही है।
संजय सिंह, सांसद, आप
विपक्षी नेताओं, पत्रकारों, संपादकों, सुप्रीम कोर्ट जजों, बड़े कारोबारी नेताओं के फोन टैप हो रहे हैं। यह चर्चा या बहस का सवाल नहीं है। इसकी खुली जांच होनी चाहिए, कोई सरकारी जांच नहीं। कानून और संविधान के तहत जवाबदेही तय होनी चाहिए। हम इसके लिए लड़ेंगे।
आनंद शर्मा, सांसद, कांग्रेस
अपने डर से पार पाने के लिए फासीवादी किसी भी हद तक जा सकते हैं। मैं संसद में स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दूंगा।
बिनॉय विश्वम, सांसद, सीपीआई
अच्छे अच्छे फंसे थे जासूसी के जाल में-बड़े-बड़े पत्रकार, विपक्ष के नेता, उद्योगपति, सुप्रीम कोर्ट के जज तक को नहीं बख्शा। आखिर इन सबकी फोन टैपिंग क्यों कराई जा रही थी? क्या खतरा था? वाणी पर पहरे लगा दिए। लोकतंत्र की गर्दन मरोड़ कर रख दी, परखच्चे उड़ा दिए।
सूर्य प्रताप सिंह, रिटायर आईएएस
40 भारतीय पत्रकारों की जासूसी क्यों ? क्या मोदी सरकार करा रही इजरायल की कंपनी से जासूसी? जासूसी का मकसद क्या ?
अजित अंजुम, वरिष्ठï पत्रकार
यह चिंता का विषय है। इस सूची में ऐसे लोगों के भी नाम हैं, जिन्हें सरकार अपना पक्षधर मानती है लेकिन जो सरकार के खिलाफ लिखते हैं उनके नाम लिस्ट में अधिक संख्या में है।
विनोद अग्निहोत्री, वरिष्ठï पत्रकार
मोदी सरकार। क्या आपने पेगासस सॉफ्टवेयर खरीदा है? क्या किसी सरकारी एजेंसी ने स्पाइवेयर खरीदा? कृपया हां या ना में जवाब दें। आपके उत्तर अभी तक स्पष्ट नहीं हैं।
रोहिणी सिंह, वरिष्ठï पत्रकार
सरकार के इशारे पर एक स्पाई मालवेयर का इस्तेमाल कर यदि पत्रकारों, विपक्षी नेताओं, मंत्रियों व सुप्रीम कोर्ट के जजों के फोन टैप किये जा रहे हैं तो यह लोगों की निजता का हनन है और लोकतंत्र के लिए खतरा है।
अशोक वानखेड़े, वरिष्ठï पत्रकार