आजम परिवार को लेकर अखिलेश यादव का बीजेपी पर हमला, ‘प्रताडि़त किए जाने का कुचक्र बेहद निंदनीय’,
लखनऊ। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान और उनके परिवार के सदस्यों को अलग-अलग जेलों में भेजे जाने के सरकारी फैसले पर आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा है कि आजम खान के परिवार को जिस प्रकार प्रताडि़त किए जाने का कुचक्र चल रहा है वो बेहद निंदनीय है। सपा प्रमुख ने रविवार की शाम सोशल नेटवर्किंग साइट ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्?ट किया, ‘माननीय आजम खान के परिवार को जिस प्रकार प्रताडि़त किए जाने का कुचक्र चल रहा है। वो बेहद निंदनीय है। परिवार के सदस्यों को अलग-अलग जेलों में करना सत्ताधारियों की सियासत का पुराना चलन है और उम्र के तक़ाज़े से किसी भी हाल में जायज नहीं। इंसाफ के लिए उनके संघर्ष में हम सब साथ खड़े रहे हैं और रहेंगे’। सपा के राष्ट्रीय महासचिव व उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री मोहम्मद आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम को रविवार को तडक़े रामपुर जिला कारागार से क्रमश: सीतापुर और हरदोई की जेल भेज दिया गया।
फर्जी जन्म प्रमाण पत्रों के मामले में 18 अक्टूबर 2023 को आजम खान, उनकी पत्नी पूर्व सांसद डॉ. तजीन फातिमा और छोटे बेटे अब्दुल आजम खान को एक अदालत ने सात-सात वर्ष कारावास की सज़ा सुनाई थी एवं 50-50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था। इसके बाद तीनों को रामपुर जिला कारागार भेज दिया गया था। आजम और अब्दुल्ला की जेलें बदली गयी हैं, हालांकि तजीन फातिमा रामपुर जिला जेल में ही रहेंगी। रामपुर जेल से निकलते समय आजम खान ने पत्रकारों से आशंका जताते हुए कहा, ‘हमारा एनकाउंटर भी किया जा सकता है’। इससे पहले समाजवादी नेता ने एक अन्य आपराधिक मामले में दो साल से अधिक समय तक सीतापुर जेल में बिताया था और उच्चतम न्यायालय से जमानत मिलने के बाद मई 2022 में रिहा हुए थे। गौरतलब है कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति से राजनीतिक जीवन शुरू करने वाले 75 वर्षीय आजम खान रामपुर से 10 बार विधायक, लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य तथा उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव की सरकारों में मंत्री भी रह चुके हैं।
अदालत से भडक़ाऊ भाषण के मामले में सजा सुनाये जाने के बाद उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द हो गयी थी। वह 2022 में रामपुर से सपा से विधानसभा सदस्य चुने गये थे। इसके पहले 2019 के चुनाव में वह रामपुर संसदीय क्षेत्र से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे। विधानसभा सदस्य चुने जाने के बाद उन्?होंने संसद की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया था।