खुशियां बांटने का त्योहार है क्रिसमस डे
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
ईसाई धर्म का प्रमुख त्योहार क्रिसमस पूरी दुनिया में धूमधाम से मनाया जाता है। ईसाई ईसा मसीह के जन्म के उपलक्ष्य में क्रिसमस मनाते हैं, जिन्हें वे ईश्वर का पुत्र मानते हैं। क्रिसमस का एक और महत्वपूर्ण पहलू लाल, सुनहरे और हरे रंग का उपयोग है। ये रंग त्योहार के रंगों को दर्शाते हैं। जबकि लाल ईसा मसीह के खून का प्रतीक है, सोना तीन राजाओं के उपहारों में से एक है और हरा रंग अनंत जीवन का रंग है। क्रिसमस के दिन लोग एक दूसरे को गिफ्ट देते हैं और केक काटकर क्रिसमस का आनंद उठाते हैं। इस त्योहार में केक और गिफ्ट के अलावा एक और चीज का विशेष महत्व होता है, वह है क्रिसमस ट्री। हर साल क्रिसमस के पर्व पर लोग घर में क्रिसमस ट्री लगाते हैं।
क्रिसमस ट्री
क्रिसमस ट्री को लेकर कई तरह की मान्यताएं प्रचलित हैं। एक मान्यता के अनुसार, 16वीं सदी के ईसाई धर्म के सुधारक मार्टिन लूथर ने शुरू की थी। कहा जाता है कि मार्टिन लूथर 24 दिसंबर की शाम को एक बर्फीले जंगल से जा रहे थे, जहां उन्होंने एक सदाबहार के पेड़ को देखा। पेड़ की डालियां चांद की रोशनी से चमक रही थीं। इसके बाद मार्टिन लूथर ने अपने घर पर भी सदाबहार का पेड लगाया और इसे छोटे- छोटे कैंडल से सजाया। इसके बाद बाद उन्होंने जीसस क्राइस्ट के जन्मदिन के सम्मान में भी सदाबहार के पेड़ को सजाया और इस पेड़ को कैंडल की रोशनी से प्रकाशित किया।
क्रिसमस डे का महत्व
ईसाई धर्म में आस्था रखने वाले लोगों के लिए क्रिसमस धार्मिक महत्व का दिन है। इस दिन ये लोग ईसा मसीह को याद करते हैं। उनके बलिदानों को याद करते हैं और सामूहिक सेवा करते हैं। सामूहिक सेवा में, ईसाई याद करते हैं कि यीशु की मृत्यु कैसे हुई और वह बाद में कैसे जीवन में वापस आए। कई लोग इस दिन को आध्यात्मिक जीवन का सत्य मानते हैं। उनका मानना है कि यीशु के जन्म से पहले दुनिया नफरत, लालच और पाखंड से भरी थी, हालांकि यीशु के जन्म से सभी बुरी चीजें खत्म हो गईं और दुनिया में खुशियां छा गईं। ईसाई दुनिया के इस परिवर्तन का जश्न मनाते हैं जो यीशु के जन्म के बाद हुआ था। उनका मानना है कि चूंकि वह संपूर्ण मानवता को सभी पीड़ाओं से बचाने के लिए आए थे, इसलिए सूली पर चढऩे के दौरान उनके अंतिम बलिदान को याद किया जाना चाहिए।
बच्चे की कुर्बानी
एक बार जर्मनी के सेंट बोनिफेस को पता चला कि कुछ लोग एक विशाल ओक ट्री के नीचे एक बच्चे की कुर्बानी देंगे। इस बात की जानकारी मिलते ही सेंट बोनिफेस ने बच्चे को बचाने के लिए ओक ट्री को काट दिया। उसी ओक ट्री की जड़ के पास एक फर ट्री या सनोबर का पेड़ उग गया। लोग इस पेड़ को चमत्कारिक मानने लगे। सेंट बोनिफेस ने लोगों को बताया कि यह एक पवित्र दैवीय वृक्ष है और इसकी डालियां स्वर्ग की ओर संकेत करती हैं। मान्यता है कि तब से लोग हर साल जीसस के जन्मदिन पर उस पवित्र वृक्ष को सजाने लगे।
क्रिसमस का इतिहास
ऐसा माना जाता है कि ईसा मसीह का जन्म 6 से 4 ईसा पूर्व के बीच हुआ था। क्रिसमस एक वार्षिक आयोजन है जो अत्यधिक धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है। क्रिसमस नाम मास ऑफ क्राइस्ट शब्द से लिया गया है। रिकॉर्ड के अनुसार, क्रिसमस मनाने की पहली दर्ज तारीख 336 में थी, यह रोमन सम्राट कॉन्स्टेंटाइन के समय के दौरान था, जो पहले ईसाई रोमन सम्राट थे। क्रिसमस के उत्सव के बारे में सबसे आम कहानी वह थी जब यीशु की मां मैरी को बताया गया था कि वह प्रभु से एक विशेष बच्चे को जन्म देगी। कहा जाता है कि मदर मैरी को ये भविष्यवाणी 25 मार्च को मिली थी और नौ महीने बाद 25 दिसंबर को ईसा मसीह का जन्म हुआ था। ग्रेगोरियन कैलेंडर, जिसके आधार पर आज क्रिसमस मनाया जाता है, उस समय अस्तित्व में नहीं था इसलिए इसका कोई प्रमाण नहीं है कि उनका जन्म 25 दिसंबर को हुआ था।
बच्चों को खिलाएं केक
यह दिन बच्चों को बेहद पसंद होता है। इसी के चलते क्रिसमस डे के दिन बच्चों की मनपसंद चीजें बनाई जाती हैं। आजकल के बच्चों को केक सबसे ज्यादा पसंद होता है। बच्चों के लिए घर में केक बनाकर खिलाएं। और बच्चों को इस दिन सेंटा क्लाथ गिफ्ट भी देते हैं। जिससे बच्चे खुश हो जाते हैं।