मां दूधेश्वरी स्वयंभूधाम में खास है ये नीम का पेड़, इससे बहती है दूध की धारा
मां दूधेश्वरी स्वयंभूधाम के पुजारी भोला दास गोस्वामी बताते हैं कि साल 2016 के अगस्त माह में भलदम चट्टी स्थित नीम के पेड़ से दूध गिरना शुरू हुआ। गांव के राकेश सिंह ने सबसे पहले यह देखा था। उसके बाद उन्होंने गांव के लोगों को ये सूचना दी।
फिर लोगों ने अपने स्तर से काफी खोजबीन कि ताकि वे जान सके कि आखिर दूध कहां से गिर रहा है। लेकिन इसका पता नहीं चला और ना ही दूध गिरना बंद हुआ। फिर लोग इसे दैवीय चमत्कार मानने लगे और इस पेड़ की पूजा करने लगे। पुजारी भोला दास आगे बताते हैं कि उनकी पत्नी सरस्वती देवी को सपना आया कि पेड़ के पास शिवलिंग प्रकट होगा। उन्होंने पत्नी के बार-बार जिद करने पर रात के 2-3 बजे उस नीम के पेड़ के पास जाकर शिवलिंग खोजना शुरू कर दिया और काफी खोजबीन के बाद उन्हें वहां शिवलिंग मिला।
इसके बाद इसकी सूचना उन्होंने गांव के लोगों को दी, जिसके बाद से वहां पूजा-पाठ रोजाना शुरू किया गया। लगभग 3 माह तक लगातार चौबीसों घण्टे तेज धार से पेड़ से दूध बहता रहा। अभी भी इस पेड़ से कभी कभार दूध गिरता है। लोग दूध का सेवन प्रसाद के रूप में करते हैं। कई लोगों की बड़ी-बड़ी बीमारियां भी इस दूध के सेवन से ठीक हो गई हैं। मान्यता है कि यहां सच्चे मन से जो मनोकामना या मुरादें मांगते हैं, उसे भगवान जरुर पूर्ण करते हैं। यहां हर पर्व त्योहार में विशेष पूजा पाठ की जाती है। वहीं दशहरे के अवसर पर चलंत मूर्ति का भी प्रदर्शन किया जाता है।