भारत को लगातार उकसा क्यों रहा नेपाल
sanjay sharma
सवाल यह है कि ओली सरकार भारत-नेपाल के मधुर संबंधों को खराब करने पर क्यों उतारू है? क्या ओली चीन के इशारे पर यह सब कर रहे हैं? क्या भारत से संबंध खराब कर वे नेपाली नागरिकों के हितों को नुकसान नहीं पहुंचा रहे हैं? क्या भारत की एक प्रतिक्रिया नेपाल बर्दाश्त कर पाएगा? क्या ओली अपनी कुर्सी बचाने के लिए भारत के खिलाफ कथित राष्टï्रवाद का कार्ड खेल रहे हैं?
नेपाल की ओली सरकार भारत को लगातार उकसाने की कार्रवाई कर रही है। अब उसने नेपाल में बाढ़ का ठीकरा भारत पर फोड़ा है और डेप्लोमेटिक नोट भेज कर सडक़ और बांध निर्माण पर आपत्ति जताई है। इसके पहले वह भारतीय क्षेत्रों को अपने नक्शे में दिखाकर और अयोध्या को नेपाल में बताकर भारत से अपने संबंधों को खराब कर चुका है। सवाल यह है कि ओली सरकार भारत-नेपाल के मधुर संबंधों को खराब करने पर क्यों उतारू है? क्या ओली चीन के इशारे पर यह सब कर रहे हैं? क्या भारत से संबंध खराब कर वे नेपाली नागरिकों के हितों को नुकसान नहीं पहुंचा रहे हैं? क्या भारत की एक प्रतिक्रिया नेपाल बर्दाश्त कर पाएगा? क्या ओली अपनी कुर्सी बचाने के लिए भारत के खिलाफ कथित राष्टï्रवाद का कार्ड खेल रहे हैं? क्या वे भारत विरोधी भावनाओं को भडक़ाकर चीन से कुछ अधिक हासिल करना चाहते हैं? क्या वे अपनी पार्टी में मची खींचतान और कोरोना नियंत्रण में पूरी तरह फेल होने से जनता का ध्यान भटकाना चाहते हैं?
सदियों से भारत और नेपाल के संबंध मधुर रहे हैं। पचास लाख नेपाली भारत में नौकरी और व्यवसाय करते हैं। सांस्कृतिक और धार्मिक रूप से भी दोनों देशों में समानता है। दोनों देशों की सीमाएं खुली हैं। भारत यहां विकास के कार्य करता रहता है और कई प्रकार की सब्सिडी नेपाल को दी जाती है लेकिन जैसे ही यहां कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार बनी संबंधों में खटास आने लगी। पीएम केपी शर्मा ओली खुद को चीन के करीब ले गए और जब भारत-चीन के बीच तनाव है, वे लगातार भारत विरोधी भावनाओं को भडक़ाने में लगे हैं। चीन को खुश करने के लिए उन्होंने भारतीय क्षेत्रों को न केवल नेपाल के नक्शे में शामिल किया बल्कि संसद से इसको पास भी करा लिया। इसके बाद वे भारत की धार्मिक भावनाओं को आहत करने से भी पीछे नहीं रहे। ओली ने अयोध्या को नेपाल में बता दिया। इस मामले को लेकर खुद नेपाल में ओली के खिलाफ लोग सडक़ों पर उतर आए हैं। हकीकत यह है कि नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी में जमकर खींचतान चल रही है। पार्टी में ओली की पकड़ कमजोर होती जा रही है। पार्टी के नेता नेपाल में बढ़ते भ्रष्टïाचार और कोरोना संकट को लेकर ओली पर सवाल उठा रहे हैं। उनसे इस्तीफे की मांग की जा रही है। लिहाजा नेपाल के प्रधानमंत्री ओली जनता का ध्यान भटकाने के लिए यह सब कर रहे हैं। चीन भी अपने राजदूत के जरिए ओली को अपने इशारों पर नचा रहा है लेकिन ओली को यह नहीं भूलना चाहिए कि उनकी गतिविधियां नेपाली जनता के हित में कतई नहीं हैं और यदि भारत ने प्रतिक्रिया दी तो नेपाल बर्दाश्त नहीं कर पाएगा।