मायावती की मांग, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ संसद में कानून लाए मोदी सरकार

नई दिल्ली। एससी-एसटी में क्रीमी लेयर पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर सियासत तेज हो गई है। बसपा प्रमुख मायावती ने भी इसको लेकर बड़ी बात कही है। मायावती ने आज कहा कि कल भाजपा के एससी/एसटी सांसदों ने प्रधानमंत्री से मुलाकात की और प्रधानमंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया कि क्रीमी लेयर और उप-वर्गीकरण नहीं होगा। उन्होंन आगे कहा कि कल मैंने ट्वीट किया था कि अगर दिया गया आश्वासन पूरा होता है तो हमारी पार्टी इसका स्वागत करेगी। मैंने यह भी कहा था कि यह आश्वासन तभी पूरा हो सकता है जब केंद्र सरकार मौजूदा संसद सत्र में ही संविधान संशोधन लाए और सुप्रीम कोर्ट के फैसले को रद्द करे।
बसपा प्रमुख ने कहा कि मैंने यह भी कहा कि अगर केंद्र सरकार अपने अटॉर्नी जनरल के माध्यम से अपनी दलीलें मजबूती से रखती तो आज यह मुश्किल स्थिति पैदा नहीं होती। संसद सत्र निर्धारित तिथि से पहले ही स्थगित कर दिया गया और दूसरी तरफ प्रधानमंत्री ने खोखले आश्वासन दिए कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस मामले में कार्रवाई न होना साफ तौर पर दर्शाता है कि या तो प्रधानमंत्री ने अपने सांसदों को ऐसा कोई आश्वासन नहीं दिया है या फिर ऐसे आश्वासन सिर्फ इन वर्गों के लोगों को भ्रमित और गुमराह करने के लिए दिए गए हैं।
वहीं, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने स्पष्ट किया कि डॉ बीआर अंबेडकर द्वारा तैयार संविधान में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षण प्रणाली में ‘क्रीमी लेयर’ का प्रावधान नहीं है। विस्तृत जानकारी देते हुए केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एससी-एसटी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से शुरू हुई हालिया चर्चाओं को संबोधित किया और कहा कि एनडीए सरकार संविधान का पालन करने के लिए बाध्य है।
अश्विनी वैष्णव ने जानकारी देते हुए कहा कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण के बारे में फैसला सुनाया और एससी-एसटी आरक्षण के बारे में सुझाव दिया। आज कैबिनेट ने इस मामले पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने कहा कि एनडीए सरकार बाबा साहब अंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान का पालन करने के लिए बाध्य है। अंबेडकर के संविधान के अनुसार एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमी लेयर का कोई प्रावधान नहीं है।

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