करप्शन मामले में एनआईए अधिकारी पर कार्रवाई, निलंबित
नई दिल्ली। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के एक अधिकारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में बड़ी कार्रवाई हुई है। गृह मंत्रालय ने एसपी रैंक के एक अधिकारी को सस्पेंड कर दिया है। समाचार एजेंसी के सूत्रों ने इसकी जानकारी दी है। गर्ग के दफ्तर को भी सील कर दिया गया है।
एनआईए के कथित भ्रष्ट अधिकारी की पहचान विशाल गर्ग के रूप में हुई है। विशाल गर्ग एनआईए के दिल्ली में स्थित मुख्यालय में प्रतिनियुक्त हैं। ये पहला मौका नहीं है, जब भ्रष्टाचार के मामले में उनके खिलाफ कार्रवाई हुई हो। इससे पहले, 2019 में भी भ्रष्टाचार के मामले में विशाल गर्ग को निलंबित किया जा चुका है।
चार साल पहले विशाल गर्ग को दो अन्य अधिकारियों निशांत और मिथिलेश के साथ निलंबित कर दिया गया था। बताया जाता है कि 2019 में हाफिज सईद से जुड़े आतंकी फंडिंग के मामले में दिल्ली के व्यवसायी से उसका नाम नहीं आने के एवज में दो करोड़ रुपये मांगे थे। निशांत और मिथिलेश तब एनआईए की खुफिया और ऑपरेशन विंग में तैनात थे।
साल भर बाद यानी 2020 में विशाल गर्ग को गृह मंत्रालय ने बहाल कर दिया, जबकि दो अन्य आरोपी अधिकारियों को क्लीन चिट दे दी गई। विशाल को तब लखनऊ से दिल्ली ट्रांसफर किया गया और तत्काल प्रभाव से प्रशिक्षण का प्रभारी बनाया गया था। सूत्रों के अनुसार, गर्ग का ताजा निलंबन भ्रष्टाचार के एक और आरोप से जुड़ा है। गर्ग की जांच रिपोर्ट के परीक्षण के बाद गृह मंत्रालय ने यह कार्रवाई की है।
विशाल गर्ग 2007 के समझौता और अजमेर विस्फोट मामलों के मुख्य जांच अधिकारी थे। इस मामले में स्वामी असीमानंद और अन्य को बरी कर दिया गया था। फरवरी 2007 में हुए ट्रेन विस्फोट में 68 लोगों की मौत हुई थी, जिनमें ज्यादातर पाकिस्तानी थे। गर्ग सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) से एनआईए में शामिल होने वाले पहले अधिकारियों में से एक थे।