27 साल बाद आईसीसी ट्रॉफी जीतने उतरेगी अफ्रीका

- डब्ल्यूटीसी जीतने के लिए तोडऩा होगा ऑस्ट्रेलिया का तिलिस्म
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लंदन। पिछले दो साल में बेहतरीन प्रदर्शन करके विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप फाइनल तक पहुंची दक्षिण अफ्रीका के सामने चोकर्स का ठप्पा हटाने का सुनहरा मौका होगा, लेकिन इसके लिए उसे आईसीसी टूर्नामेंटों की दिग्गज ऑस्ट्रेलिया के किले में सेंध लगानी होगी। दक्षिण अफ्रीका ने 1998 में पिछला आईसीसी टूर्नामेंट जीता था। तब टीम ने चैंपियंस ट्रॉफी अपने नाम की थी।
अब उसे 27 साल बाद कोई आईसीसी ट्रॉफी जीतने के लिए नॉकआउट मैचों की दिग्गज माने जाने वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम का तिलिस्म तोडऩा होगा। ऑस्ट्रेलिया इकलौती टीम है जिसने आईसीसी की चारों ट्रॉफी (वनडे विश्व कप, चैंपियंस ट्रॉफी, टी20 विश्व कप और डब्ल्यूटीसी) जीती है। वैश्विक टूर्नामेंटों के फाइनल में उसे हराना और मुश्किल होता है। टीम आईसीसी टूर्नामेंटों में 13 बार फाइनल में पहुंची है और इसमें से 10 बार खिताब जीतने में सफल रही है। दक्षिण अफ्रीका की टीम अहम मैचों में जीत के करीब पहुंच कर फिसलने के लिए जानी जाती है। दक्षिण अफ्रीका की इस टीम में अनुभव और युवा खिलाडिय़ों का अच्छा मिश्रण है और टीम तटस्थ स्थल पर खेले जाने वाले इस मैच के जरिये पिछली विफलताओं को भुलाना चाहेगी। टीम ने डब्ल्यूटीसी के 2023-25 चक्र में सबसे ज्यादा 30 खिलाडिय़ों का इस्तेमाल किया। इसमें से ज्यादातर खिलाड़ी सही समय पर रन बनाने वाले या विकेट लेने वाले निकले। टीम लगातार सात टेस्ट में जीत के साथ डब्ल्यूटीसी फाइनल खेलने के लिए तैयार है। उसने पिछले साल दिसंबर में ही इसका टिकट पक्का कर लिया था।
फाइनल मैच में छठा दिन रिजर्व डे रखा गया है
विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल के पास एक रिजर्व डे है। इसका इस्तेमाल तभी होगा जब नियमित पांच दिन में से एक दिन का खेल खराब मौसम के कारण रद्द हो जाए। 2019-21 के फाइनल का भी पहला दिन बारिश के कारण धुल गया था। इस कारण मैच में स्वत: ही छठे दिन का विकल्प खुल गया था। हालांकि, 2023 में इसकी जरूरत नहीं पड़ी थी। अगर फाइनल मैच में ड्रॉ या टाई रहता है तो ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका को संयुक्त विजेता घोषित किया जाएगा। वहीं फाइनल मैच में ड्यूक गेंद का इस्तेमाल किया जाएगा। इंग्लैंड में फाइनल टेस्ट मैच के दौरान इसी गेंद का प्रयोग किया जाएगा। इंग्लैंड के अलावा आयरलैंड और वेस्टइंडीज में भी इसी गेंद का इस्तेमाल किया जाता है।



