अजित पवार की सियासत पर लग गया STOP, हाथ से गया वित्त मंत्रालय, मंत्रियों की संख्या घटी

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के रिजल्ट आने के छः दिन बाद भी अभी तक वहां नई सरकार के गठन पर कोई फैसला नहीं हो पाया है.....

4पीएम न्यूज नेटवर्कः महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के रिजल्ट आने के छः दिन बाद भी अभी तक वहां नई सरकार के गठन पर कोई फैसला नहीं हो पाया है….. मंगलवार छब्बीस नवंबर को राज्य विधानसभा का कार्यकाल भी खत्म हो गया….. एकनाथ शिंदे ने सीएम पद से इस्तीफा भी दे दिया…. इस बीच महायुति को शानदार जीत मिलने के बाद गठबंधन के भीतर सीएम पद को लेकर तकरार बना हुआ है….. महायुति में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनी है और उसके पास एक सौ बत्तीस सीटें हैं….. जबकि शिवसेना नेता और सीएम एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में चुनाव लड़ा गया…. और महायुति को जबर्दस्त जीत मिली….. ऐसे में सीएम पद की रेस में भाजपा के देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे के बीच में था…. लेकिन एकनाथ शिंदे ने बुधवार को प्रेस कांफ्रेंस कर खुद को मोदी के आगे सरेंडर कर दिया… और कहा कि जो मोदी-शाह निर्णय लेंगे… वो हमे स्वीकार होगा…. बता दें कि तेइस नवंबर को चुनाव पऱिणाम आने के बाद और चुनाव प्रचार के दौरान ही एकनाथ शिंदे ने साफ कर दिय़ा था… कि हम सीएम की रेस शामिल नहीं है… बावजूद इसके रिजल्ट आने के बाद शिवसेना के नेता जोर-शोर से एकनाथ शिंदे को सीएम बनाने की मांग कर रहे थे… लेकिन उसका कोई भी प्रभाव महायुति के साथी दलों को नहीं पड़ा… जिसके चलते शिंदे को सीएम पद को लेकर खुद को सरेंडर करना पड़ा….

लेकिन गठबंधन के एक और अहम चेहरे अजित पवार का नाम कहीं नहीं लिया गया…. जबकि राजनीतिक रूप से अजित पवार अपने दोनों साथी नेता में सीनियर हैं…… प्रशासनिक अनुभव के मामले में वह सब पर भारी हैं…. अजित पवार उन्नीस सौ बयासी से सार्वजनिक जीवन में हैं…… वह पांच बार के उपमुख्यमंत्री हैं…. सबसे पहले वह पृथ्वीराज चव्हाण के मुख्यमंत्री काल में डिप्टी सीएम बनाए गए थे…. ऐसे में कई बार इच्छा जता चुके हैं कि वह भी सीएम बनना चाहते हैं…. लेकिन महायुति में उनकी उपेक्षा होती रही है… और किसी भी साथी दल ने उनको सीएम बनाने के बारे में नहीं ध्यान दिया है… जिसके चलते उनको पता चल गया है… कि हमे सीएम नहीं बनना है… जिसको देखते हुए उन्होंने पहले ही खुद को सरेंडर करते हुए देवेंद्र फडणवीस को सीएम बनाने पर अपना समर्थन देने का ऐलान कर दिया था…

आपको बता दें कि महाराष्ट्र में महायुति की जीत में अहम भूमिका निभाने वाले अजित पवार सरकार में हिस्सेदारी लेने के मामले में पिछड़ते नजर आ रहे हैं….. फॉर्मूले के तहत पहले उनके मंत्रियों के संख्या में कटौती की खबर सामने आई…. और अब विभाग बंटवारे में भी एनसीपी को हल्के मंत्रालय देने की बात कही जा रही है…. इतना ही नहीं, अजित पवार के वित्त विभाग पर भी बीजेपी की नजर है….. एकनाथ शिंदे की सरकार में वित्त विभाग काफी सुर्खियों में रहा था…. कहा जा रहा है कि अजित पवार का वित्त इस बार बीजेपी अपने पास ही रखेगी…. जिसको देखते हुए अजित पवार की राजनीति पर ग्रहण लगता हुआ दिखाई दे रहा है…. आपको बता दें कि शिंदे के कार्यकाल में अजित पवार के पास वित्त मंत्रालाय था….और उनके खेमे में नौ मंत्री पद था…. लेकिन इस बार बीजेपी की एक सौ बत्तीस सीटें आने के बाद बीजेपी उनसे वित्त मंत्रालय और मंत्रियों की संख्या कम करने की जुगत में लगी हुई है.,… जिससे अजित पवार की मुश्किलें बढ़ती हुई नजर आ रही है… और अजित कोई भी निर्णय लेने में असमंजस की स्थिति में हैं…

बता दें कि अजित पवार जब चाचा शरद से बगावत कर एनडीए में आए….. तब उनके पास कुल चालीस विधायक थे…. दो हजार चौबीस के विधानसभा चुनाव में साठ सीटों पर लड़कर अजित ने इकतालीस सीटों पर जीत दर्ज की है….. जीत के मामले में अजित का स्ट्राइक रेट करीब सत्तर फीसदी है…. दो हजार चौबीस के लोकसभा चुनाव में अजित की पार्टी को सिर्फ छः सीटों पर जीत मिली थी….. विधानसभा चुनाव में अजित के इस मजबूत वापसी के बाद उनके कद बढ़ाए जाने की चर्चा थी….. लेकिन विभाग बंटवारे और मंत्रियों की संख्या में उन्हें झटका लगता दिख रहा है…. आपको बता दें कि एकनाथ शिंदे की सरकार में अजित पवार के नौ मंत्री थे….. वहीं अब नई सरकार में तय फॉर्मूले के तहत अजित को सिर्फ सात मंत्री पद मिलने की बात कही जा रही है…. एकनाथ शिंदे की पार्टी को बारह और बीजेपी को इक्कीस मंत्री पद दिए जाने की खबर है…… सांकेतिक भागीदारी के तहत छोटी पार्टियों को भी मंत्री पद देने की बात कही जा रही है….

वहीं पिछली सरकार में अजित के पास डिप्टी स्पीकर का भी पद था….. लेकिन इस बार उन्हें डिप्टी स्पीकर का पद मिले….. इसकी गुंजाइश कम है…. डिप्टी स्पीकर पद पर एकनाथ शिंदे की पार्टी दावेदारी कर रही है…. शिंदे की पार्टी सरकार में बीजेपी के बाद दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है….. वहीं शिंदे पिछली सरकार में मुख्यमंत्री के पद पर काबिज थे….. जिस पर इस सरकार में उन्होंने दावेदारी छोड़ दी है…. जानकारी के अनुसार महाराष्ट्र में गृह, वित्त, राजस्व, कार्मिक और लोक निर्माण विभाग की गिनती टॉप-5 विभागों में होती है….. जो जानकारी सामने आ रही है…. उसके मुताबिक बीजेपी गृह, वित्त और राजस्व जैसे अहम विभाग अपने पास रखेगी….. वहीं एकनाथ शिंदे की पार्टी को शहरी विकास…. और पीडब्ल्यूडी जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय दिए जाने का फैसला हुआ है…. अजित पवार की एनसीपी को कृषि, सिंचाई और खाद्य आपूर्ति जैसे विभाग देने पर सहमति बनी है…. अजित को महाराष्ट्र के टॉप-5 में से एक भी विभाग नहीं दिए जा रहे हैं….

बता दें कि वित्त विभाग अभी महाराष्ट्र की सियासत का सबसे चर्चित विभाग है….. महाराष्ट्र में लाडकी बहिन जैसे कई योजनाओं के लिए इसी विभाग से पैसे दिए जा रहे हैं….. इस योजना को बरकरार रखना एक बड़ी चुनौती है….. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के मुताबिक राज्य पर सात लाख बयासी हजार करोड़ का कर्ज है….. ऐसी स्थिति में वित्त मंत्रालय अपने पास रखकर बीजेपी क्राइसिस मैनेजमेंट करना चाहती है….. वहीं पिछली बार अजित पवार पर अपने विधायकों को ज्यादा फंड देने का आरोप लगा था…. इसकी वजह से कई बार अजित की कैबिनेट बैठक में मंत्रियों से बहस तक हो गई थी…. बीजेपी इस बार ऐसी कोई परिस्थिति नहीं बनने देना चाहती है…. वहीं क्रेडिट भी एक अहम मामला है…. बीजेपी सरकार के किसी भी बड़े काम का क्रेडिट नहीं चाहेगी कि उसके सहयोगियों ले उड़े…. वहीं सीटों की संख्या भी एक अहम फैक्टर है…. इस बार सभी पार्टियों की सीटों में बढ़ोतरी हुई है…. ऐसी स्थिति में अजित के पास बीजेपी का फॉर्मूला न मानने का विकल्प नहीं है….

आपको बता दें कि गुरुवार को दिल्ली में अमित शाह के घर पर महायुति के नेताओं की करीब तीन घंटे तक मीटिंग चली….. इस बैठक में एकनाथ शिंदे शिवसेना की तरफ से, देवेंद्र फडणवीस बीजेपी की तरफ से आए थे…. वहीं अजित पवार की पार्टी की तरफ से बैठक में तीन नेता मौजूद थे….. पहला खुद अजित पवार, दूसरा प्रफुल्ल पटेल और तीसरा महाराष्ट्र एनसीपी के अध्यक्ष सुनील तटकरे शामिल थे…. वहीं अब कहा जा रहा है कि अजित अपने कोटे के मंत्रियों के नाम फाइनल करेंगे….. दिलचस्प बात है कि अजित पवार कोटे के सभी नौ मंत्रियों ने जीत हासिल कर ली है…. ऐसे में इन नौ में से सात का सिलेक्शन करना अजित के लिए आसान नहीं होने वाला है…. क्योंकि मौजूदा नौ मंत्रियों को जीत हासिल हुई है… और उनमें से अजित पवार जिस किसी भी को किनारे करेंगे उससे पार्टी में बगावत की स्थिति उत्पन्न हो सकती है… जिसको देखते हुए अजित पवार बहुत टेंशन में दिखाई दे रहें है… क्योंकि मंत्रियों की संख्या बढ़ने के बजाय घटाई जा रही है…. और मुख्य विभागों में से एक भी विभाग अजित पवार को नहीं दिया जा रहा है….

खैर यह अलग बात है….. इस बार भी वह महायुति गठबंधन में है…. उनके पास इकतालीस विधायक हैं…. इसकी पूरी संभावना है कि वह छठी बार डिप्टी सीएम की कुर्सी संभालें…. वह अब पैंसठ वर्ष के हो चुके हैं….. दूसरी तरफ एकनाथ शिंदे हैं…. वह साठ साल के हैं….. वह प्रशासनिक और राजनीतिक अनुभव में अजित पवार से जूनियर हैं…. लेकिन, अपनी शानदार बार्गेनिंग पावर की बदौलत करीब ढाई साल तक महाराष्ट्र के सीएम रहे…. दरअसल हम यहां दोनों नेताओं की तुलना इसलिए कर रहे हैं….. क्योंकि दोनों में काफी समानताएं हैं…. दोनों ने एक फैमिली पार्टी को तोड़कर अपनी राह खुद बनाई है…. वैसे एक मौका था जब अजित पवार के पास सीएम बनने का चांस था…. अगर उन्होंने भाजपा के साथ बेहतर डील की होती तो वह राज्य के सीएम बन गए होते….. जिस तरह से एकनाथ शिंदे ने भाजपा के साथ डील कर जून दो हजार बाइस में राज्य में सीएम की कुर्सी हासिल कर ली…. और ऐसा संभव था कि उनके सीएम बनने पर उनके गुरु और चाचा शरद पवार भी नाराज नहीं होते….

वहीं यह बात तेइस नवंबर दो हजार उन्नीस की है….. उस वक्त एनसीपी दोफाड़ नहीं हुई थी….. शरद पवार के बाद अजित पवार एनसीपी के दूसरे सबसे बड़े नेता थे…. पार्टी प्रदेश संगठन में उनकी तूती बोलती थी…. फिर उन्होंने दो हजार उन्नीस के विधानसभा चुनाव के बाद शरद पवार की अनुमति के बगैर भाजपा के साथ डील कर सरकार बना ली….. उस वक्त एनसीपी के पास चौव्वन विधायक थे…. और उन्होंने तेइस नवंबर दो हजार उन्नीस को रातोंरात देवेंद्र फडणवीस के साथ सरकार बनाई…. और डिप्टी सीएम बन गए…. हालांकि वह सरकार तीन दिनों में ही गिर गई…. शरद पवार नहीं माने और अजित के पाले में गए विधायकों को वापस बुला लिया…. यह एक ऐसा मौका था जब वह भाजपा के साथ कड़ी डील कर सकते थे…. हालांकि भाजपा द्वारा सीएम की कुर्सी नहीं छोड़ेने के कारण ही उसका शिवसेना के साथ गठबंधन टूटा था….

 

 

 

 

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