भाजपा सरकार में दलितों व पिछड़ों के छीने जा रहे हक: अखिलेश

  • सपा प्रमुख ने कार्यकर्ताओं को दिए 2024 की तैयारी के निर्देश
  • बोले- भाजपा सरकार से ऊब चुकी है जनता

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने एक बार फिर प्रदेश की भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए अपने पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भरा और उन्हें 2024 के लिए तैयारी करने के निर्देश दिए। सपा प्रमुख ने कहा कि प्रदेश में समाजवादी पार्टी के कारण भाजपा में खलबली मची है।
सरकार पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि दलितों, पिछड़ों, के हक छीने जा रहे हैं। महंगाई, भ्रष्टाचार चरम पर है। जनता भाजपा के अत्याचार से ऊब चुकी है। समाजवादी पार्टी जनता के लिए संघर्षरत है। समाजवादी पार्टी का भरोसा संगठन और कार्यकर्ताओं पर है। इन हालात में हमें जनता के साथ रहना है। सेक्टर, बूथ की रणनीति पर अभी से मजबूती से काम करना है। भाजपा की कुनीतियों का पर्दाफाश करना है। संविधान तथा लोकतंत्र को बचाना है। सपा प्रमुख ने कहा कि भाजपा आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारी में षड्यंत्र की राजनीति बनाने में जुटी है। वह सत्ता का दुरुपयोग कर चुनाव जीतने की साजिशें करती आई है। सन 2022 के विधानसभा चुनाव इसीलिए समाजवादी पार्टी के हाथ से निकल गया। छह साल के भाजपा के शासनकाल में उत्तर प्रदेश बर्बाद हो गया है। सभी मोर्चों पर भाजपा सरकार विफल साबित हुई है। आरक्षण को भाजपा सरकार खत्म करना चाहती है। निजीकरण को इसीलिए बढ़ावा दिया जा रहा है। सामाजिक न्याय को लागू करने के लिए जातीय जनगणना कराया जाना जरूरी है। अखिलेश यादव ने सपा नेताओं से कहा कि वे अपना ऐसा व्यवहार रखें कि किसी को शिकायत न हो। सभी का व्यवहार शिष्टाचार युक्त होना चाहिए। परस्पर सम्मान और विश्वास से समाजवादी पार्टी का ग्राफ जनता के बीच ऊंचा उठेगा। अखिलेश यादव ने कहा कि पार्टी नेता और कार्यकर्ता जनता के सुख-दु:ख में शामिल रहने तथा उनकी आवाज उठाने में कोई कसर न रखे। अभी से लोकसभा की तैयारियों में जुट जाएं।

धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाले बयानों से बचें

सपा अध्यक्ष ने कार्यकर्ताओं और सभी पदाधिकारियों को सोशल मीडिया का दुरूपयोग करने से बचने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा है कि इधर देखा गया है कि कुछ कार्यकर्ता पार्टी नेताओं के विरूद्ध भी पोस्ट डालते हैं। तरह-तरह की टिप्पणियां करते हैं। यह घोर अनुशासनहीनता है और इस तरह की पोस्ट पर कड़ी अनुशासनिक कार्यवाही के लिए बाध्य होना पड़ेगा। धार्मिक संवेदनशील मामलों में समाजवादी पार्टी के पैनलिस्टों को अपनी बात रखने में सावधानी बरतनी चाहिए और किसी भी समाज या सम्प्रदाय की धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाले बयान नहीं देने चाहिए।

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