बीजेपी के आरोपों पर भड़के Akhilesh, निकाल दी बीजेपी की सारी हेकड़ी!
फिर भड़के अखिलेश यादव, बीजेपी की लगा दी जमकर क्लास, 'हुक्मरानों की बदजुबानी पर भी आजादी’, किसी की सच कहने पर गिरफ्तारी...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर से तीखी नोकझोंक और विवादों का दौर शुरू हो गया है….. डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के डीएनए जांच को लेकर सियासत गरमाई हुई है…. बता दें कि बीजेपी हमेशा से सपा के डीएनए जांच की मांग करती चली आ रही थी…. उसी का जवाब देते हुए सपा ने ब्रजेश पाठक के डीएनए जांच की मांग कर दी…. और कहा कि डिप्टी सीएम अपने डीएनए की जांच करा ले…. और उनके डीएनए को सोनागाछी और जीबी रोड (रेड लाइट एरिया) से जोड़ा गया…… जिसके बाद यूपी की सियासत में भूचाल आ गया…. और सत्ता धारी दल सपा पर आक्रामक हो गया…. आपको बता दें कि सत्ताधारी दल के नेताओं को कुछ भी बोलने की आजादी है…. वो जिसको चाहे जैसा बोल सकते हैं….. वहीं अगर उसका जवाब देते हुए विपक्ष कुछ भी बोल दे तो सियासी बखेड़ा खड़ा हो जाता है…..
आपको बता दें कि सत्ता के नशे में चूर बीजेपी के नेता कभी सेना का अपमान करते हैं तो कभी महिलाओं को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी करते हैं….. तो कभी आतंकवादियों को अपना बताते हैं….. लेकिन इन नेताओं के बयान पर बीजेपी आलाकमान पूरी तरह से चुप्पी साध लेता है…. बता दें कि बीजेपी में नफरत फैलाने वाले नेताओं को इनाम दिया जाता है…. उनको पूरी तरह से सत्ता का संरक्षण मिला होता है…. वहीं बीजेपी जो भी नेता जितना नफरत फैलाता है….. उसे उतनी ही बड़ी जिम्मेदारी मिल जाती है….. लेकिन वहीं विपक्ष बीजेपी से सवाल कर ले या किसी भी तरह का पलटवार कर दे तो यह सत्ताधारी बीजेपी को चुभ जाता है…. और फिर सियासी तूफान खड़ा हो जाता है….. और विपक्ष की आवाज को दबाने के लिए उनपर एफआईआर करा दिया जाता है….. जिससे विपक्ष डर जाए और सत्ता पक्ष से किसी भी तरह से कोई भी सवाल न करे……
आपको बता दें कि 17 मई 2025 को सपा के आधिकारिक ‘एक्स’ हैंडल से उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के खिलाफ एक पोस्ट किया गया……. जिसमें उनकी डीएनए को लेकर कथित तौर पर आपत्तिजनक और व्यक्तिगत टिप्पणी की गई थी…… वहीं इस पोस्ट में पाठक के डीएनए की तुलना बेहद आपत्तिजनक तरीके से की गई थी……. जिसे बीजेपी ने न केवल ब्रजेश पाठक, बल्कि उनके परिवार और उनकी दिवंगत माता-पिता के खिलाफ अपमानजनक करार दिया…… वहीं विवाद की शुरुआत वास्तव में उस समय हुई…….. जब ब्रजेश पाठक ने सपा पर तंज कसते हुए कहा था कि समाजवादी पार्टी के डीएनए में ही गुंडागर्दी है……. इस बयान का जवाब देने के चक्कर में सपा की मीडिया सेल ने पाठक के खिलाफ व्यक्तिगत टिप्पणी कर दी……. जिसने पूरे मामले को तूल दे दिया…….
वहीं इस टिप्पणी के बाद बीजेपी कार्यकर्ताओं और नेताओं में भारी आक्रोश देखने को मिला……. लखनऊ के हजरतगंज में बीजेपी कार्यकर्ताओं ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का पुतला फूंका…… और उनके खिलाफ नारेबाजी की…… बीजेपी के जिला अध्यक्ष सुधांशु शुक्ला ने कहा कि उपमुख्यमंत्री की मां के खिलाफ की गई इस अभद्र टिप्पणी से पूरे प्रदेश की जनता आहत है…….. इसके साथ ही ब्रजेश पाठक के वकील और यूपी बार काउंसिल के सदस्य प्रशांत सिंह अटल ने अखिलेश यादव……. सपा के प्रदेश अध्यक्ष, और सपा मीडिया सेल के खिलाफ मानहानि का लीगल नोटिस भेजा…….. नोटिस में कहा गया कि 17 मई को की गई टिप्पणी ने ब्रजेश पाठक और उनके परिवार की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाई है…….. नोटिस में 15 दिनों के भीतर सार्वजनिक माफी मांगने……. विवादित पोस्ट डिलीट करने……. और दोषियों पर कार्रवाई करने की मांग की गई……
वहीं इस पूरे विवाद में अखिलेश यादव ने शुरूआत में डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश की…… और उन्होंने अपने ‘एक्स’ हैंडल पर पोस्ट करते हुए कहा कि उन्होंने पार्टी स्तर पर उन लोगों से जवाब मांगा है…… जो ब्रजेश पाठक की “अति अशोभनीय टिप्पणी” से आहत होकर आपा खो बैठे थे…… और उन्होंने आश्वासन दिया कि भविष्य में ऐसी गलती नहीं होगी…… हालांकि, जब बीजेपी ने इस मामले को और तूल दिया…… और अखिलेश को लीगल नोटिस भेजा गया…… तो उन्होंने सत्ताधारी दल पर पलटवार करने का रास्ता चुना…… अखिलेश ने अपने ‘एक्स’ हैंडल पर शायरी के अंदाज में लिखा कि हुक्मरानों की बदजुबानी पर भी आजादी और किसी की सच कहने पर गिरफ्तारी…….
आपको बता दें कि यह विवाद केवल व्यक्तिगत टिप्पणी तक सीमित नहीं है……. बल्कि इसके गहरे सियासी अर्थ हैं…… उत्तर प्रदेश में 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी और सपा दोनों ही अपनी-अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश में हैं…….. बीजेपी इस मुद्दे को सपा के खिलाफ नैतिक और सांस्कृतिक आधार पर हमला करने का अवसर मान रही है……. दूसरी ओर, सपा इसे बीजेपी की “विक्टिम कार्ड” रणनीति का हिस्सा बता रही है…… बता दें कि बीजेपी दोहरी राजनीति से जनता पूरी तरह से परिचित है….. और बीजेपी को विधानसभा चुनाव 2027 में सत्ता जाने का डर सता रहा है…. जिसके चलते बीजेपी रोज नए प्रयोग कर रही है…. और यह विवाद भी इन प्रयोगों में से एक है…..