दोनों उपचुनावों में जनता सपा के साथ : अखिलेश

  • मैं और नेताजी आजमगढ़ के लिए पराए नहीं

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की दो लोकसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव को लेकर सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कहा नेताजी मुलायम सिंह यादव और मैं आजमगढ़ के लिए पराए नहीं, बल्कि परिवार के अपने सदस्य रहे हैं। और हम दोनों को यहां के मतदाताओं ने विजयी बनाकर लोकसभा में भेजा था। ठीक इसी तरह इस बार भी दोनों उपचुनावों में सपा प्रत्याशी ही जीतेंगे। हमें जनता पर पूरा विश्वास है, वह सपा का ही साथ देगी। अखिलेश ने मतदाताओं से बीजेपी की अफवाहों से सावधान रहने के लिए कहा है। अखिलेश ने कहा कि बीजेपी गुमराह करने के लिए कई झूठी बातें प्रचारित कर सोशल मीडिया का दुरुपयोग कर रही है। सत्ताधारी बीजेपी पर निशाना साधते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि आजमगढ़ और रामपुर की जनता बीजेपी राज में महंगाई, भ्रष्टाचार और बुलडोजर से बुरी तरह त्रस्त हो चुकी है। बीजेपी सरकार ने इन क्षेत्रों में विकास नहीं किया। जो कुछ विकास यहां हुआ है वह समाजवादी सरकार के समय हुआ है। बीजेपी राज में शिक्षा-स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल हैं। अस्पतालों में न दवा है न इलाज। जनता इस सच्चाई को जानती है। इसलिए बीजेपी चाहे जो कर ले, लेकिन उसकी हार और समाजवादी पार्टी की जीत सुनिश्चित है। सपा मुखिया ने कहा छात्रों से छात्रवृत्ति, गरीबों से राशन, और किसानों से सम्माननिधि छीनी जा रही है। नौजवान बेरोजगारी के शिकार हैं। महंगाई बेलगाम बढ़ रही है। जनता समाजवादी पार्टी को ही एकमात्र विकल्प मानती है। आजमगढ़ और रामपुर दोनों संसदीय उपचुनाव में बीजेपी हार के डर से बौखलाहट में लोकतंत्र की पवित्रता नष्ट करना चाहती है लेकिन जनता बीजेपी की साजिशों को कभी भी सफल नहीं होने देगी। वहीं पार्टी का मानना है कि वह दोनो ही सीटें आसानी से निकाल रही है।

गौरतलब है कि आजमगढ़ में 1149 मतदान केंद्र और 2176 मतदान स्थल बनाए गए हैं, जहां 18,38,000 मतदाता अपने मताधिकारों का प्रयोग कर रहे हैं। आजमगढ़ में कुल 13 उम्मीदवार इस उपचुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। आजमगढ़ लोकसभा क्षेत्र में यादव और मुस्लिम मतदाताओं का दबदबा है। यहां यादव वोटरों की तादाद 21 प्रतिशत है जबकि मुस्लिम मतदाता 15 प्रतिशत हैं। इसके अलावा 20 प्रतिशत दलित तथा 18 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग के गैर यादव मतदाता हैं। वर्ष 2019 में हुए पिछले लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा ने गठबंधन कर चुनाव लड़ा था और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने यहां से भाजपा प्रत्याशी दिनेश लाल यादव निरहुआ को तीन लाख 61 हजार मतों से परास्त किया था।

मुश्किल में पल्लवी पटेल, निर्वाचन आयोग से छिपाई आपराधिक जानकारी

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कौशांबी की सिराथू विधानसभा सीट से सपा विधायक पल्लवी सिंह पटेल ने निर्वाचन आयोग के नोटिस को चुनौती दी है। उनकी याचिका की सुनवाई 23 जून को होगी। उन्होंने याचिका में निर्वाचन आयोग की नोटिस को चुनौती दी है। यह आदेश जस्टिस सुनीता अग्रवाल और जस्टिस विक्रम डी चौहान की खंडपीठ ने दिया है। दरअसल, सपा विधायक पल्लवी पटेल पर 2022 विधानसभा चुनाव में नामांकन पत्र में अपने खिलाफ दर्ज आपराधिक मुकदमे की जानकारी छिपाने का आरोप है। सिराथू के दिलीप पटेल की इसी शिकायत पर निर्वाचन आयोग ने मामले में संज्ञान लिया। उसके बाद एसडीएम सिराथू ने पल्लवी को गत 18 व 25 मई और 3 जून को नोटिस देकर स्पष्टïीकरण मांगा है। याचिका में इसी नोटिस को चुनौती दी गई है। आरोप है कि विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने अपने नामांकन पत्र में अपने खिलाफ दर्ज मुकदमों की जानकारी छिपाई और क्षेत्र के मतदाताओं को गुमराह कर अपने पक्ष में वोट हासिल किए। शिकायत में कहा गया है कि पल्लवी पटेल और उनके पति के खिलाफ लखनऊ में फर्जी दस्तावेजों के जरिए फ्लैट हड़पने का मुकदमा गोमतीनगर थाने में दर्ज है।

इसके अलावा कानपुर में भी पैतृक मकान हड़पने का मुकदमा वहां की अदालत में चल रहा है। बीते विधानसभा चुनाव में अपने नामांकन फॉर्म में उन्होंने ये जानकारियां छिपाई हैं। पल्लवी पर यह भी आरोप लगाया है कि उन्होंने अपनी मां को राज्यसभा का सांसद बनाने का प्रलोभन देकर परिवारिक संपत्ति हड़पने का प्रयास किया और चुनाव के दौरान चंदे में मिली रकम अपनी ससुराल जबलपुर भेज दी। इसी प्रकार उन्होंने अपना दल कमेरा पार्टी का राष्टï्रीय उपाध्यक्ष होते हुए समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और विधायक निर्वाचित हुईं। इस प्रकार वर्तमान में वह दो दलों का प्रतिनिधित्व कर रही हैं, जो निर्वाचन आयोग के नियमों के विपरीत है। गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव में पल्लवी ने डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को हराया था।

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