प्रोफेसर अली खान की गिरफ्तारी को लेकर उठ रहे सवाल
खरगे ने कहा कि अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान की गिरफ्तारी ये दिखाती है कि बीजेपी उन लोगों से डरती है जो उसकी बातों से सहमत नहीं होते.

4पीएम न्यूज नेटवर्कः अशोका विश्वविद्यालय, सोनीपत के एसोसिएट प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को हरियाणा पुलिस ने रविवार को दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया। उनकी गिरफ्तारी “ऑपरेशन सिंदूर” पर की गई सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर हुई है,जिसमें उन्होंने सेनी की ब्रीफिंग को दिखावा और ढोंग करार दिया था।
प्रोफेसर अली खान ने अपनी पोस्ट में कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह द्वारा ऑपरेशन सिंदूर के बाद की गई प्रेस ब्रीफिंग को लेकर सवाल उठाए थे। इसके बाद भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा के महासचिव योगेश जठेरी और हरियाणा महिला आयोग ने उनके खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। गिरफ्तारी के बाद राजनीतिक गलियारों में बहस छिड़ गई है। कांग्रेस ने इस कदम की कड़ी निंदा की है और इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया है। वहीं कई बुद्धिजीवियों, शिक्षाविदों और नागरिक संगठनों ने भी
अली खान के समर्थन में आवाज उठाई है। दूसरी ओर, समाजवादी पार्टी (सपा) की इस मामले में चुप्पी को लेकर सोशल मीडिया पर आलोचना हो रही है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और राष्ट्रभक्ति की सीमाओं को लेकर यह मामला अब एक बड़े वैचारिक विवाद में तब्दील हो गया है। विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
सोशल मीडिया पर अली खान का पोस्ट
प्रोफेसर अली खान ने अपने सोशल पोस्ट पर लिखा था, ‘कर्नल सोफिया कुरैशी की तारीफ करते हुए इतने सारे दक्षिणपंथी टिप्पणीकारों को देखकर मुझे खुशी हो रही है, लेकिन शायद ये लोग मॉब लिंचिंग, मनमाने बुलडोजर और बीजेपी के नफरत फैलाने वाले लोगों के लिए भी इसी तरह आवाज उठा सकते हैं कि इन लोगों को भारतीय नागरिक के तौर पर सुरक्षा दी जानी चाहिए. दो महिला सैनिकों के माध्यम से सूचना देने का नजरिया महत्वपूर्ण है, लेकिन इस नजरिए को हकीकत में बदलना चाहिए, नहीं तो यह सिर्फ पाखंड होगा.’
प्रोफेसर ने इसी पोस्ट में भारत की विविधता की भी तारीफ करते हुए लिखा था कि आम मुसलमानों के लिए जमीनी हकीकत उससे अलग है जो सरकार दिखाने की कोशिश कर रही है, लेकिन साथ ही यह प्रेस कॉन्फ्रेंस (कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह की ब्रीफिंग) दिखाती है कि भारत अपनी विविधता में एकजुट है और एक विचार के तौर पर पूरी तरह से मरा नहीं है. प्रोफेसर ने अपनी पोस्ट के आखिर में तिरंगे के साथ जय हिंद भी लिखा. इसी पोस्ट को लेकर ही अली खान को हरियाणा पुलिस ने गिरफ्तार किया है.
प्रोफेसर अली खान राजनीतिक परिवार से संबंध रखते हैं. वे पूर्व विधायक आमिर मोहम्मद खान के बेटे हैं. आमिर खान को राजा साहब महमूदाबाद के नाम से जाना जाता है. अली की शादी जम्मू-कश्मीर के पूर्व वित्त मंत्री हसीब द्राबू की बेटी से हुई है. प्रोफेसर अली की गिरफ्तारी बड़ा मुद्दा बन चुकी है. सोशल मीडिया पर अली खान के गिरफ्तारी पर कहा जा रहा है कि प्रोफेसर अली खान ने पाकिस्तान के विरुद्ध ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सेना अथवा सेना की कार्रवाई के बारे में कुछ भी ऐसा नहीं कहा, जिस पर राज्य महिला आयोग ने इसे मुद्दा बनाकर गिरफ्तार करा दिया है.
कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने उठाया सवाल
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा है कि कांग्रेस देश के के साथ मजबूती से खड़ी है. मैं किसी भी इंसान को बदनाम करने, उसे परेशान करने, बिना वजह गिरफ्तार करने या किसी का कारोबार बर्बाद करने की कड़ी निंदा करता हूं, चाहे वो किसी छोटे गुट ने किया हो या सरकार की ओर से चूक हुई हो. खरगे ने कहा कि अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान की गिरफ्तारी ये दिखाती है कि बीजेपी उन लोगों से डरती है जो उसकी बातों से सहमत नहीं होते. सरकार से सवाल करना देशद्रोह नहीं होता. बीजेपी को ये गलतफहमी नहीं होनी चाहिए कि वह लोकतंत्र के नाम पर तानाशाही कर सकती है.
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने शायरी के अंदाज में एक ट्वीट जरूर किया है, जिसमें उन्होंने लिखा, ‘हुक्मरानों की बदजुबानी
पर भी आज़ादी, और किसी की सच कहने पर गिरफ़्तारी.’ इसमें अखिलेश ने न किसी का नाम लिखा है और न ही किसी को
टैग किया है. सपा सांसद जावेद अली खान ने जरूर अपने सोशल मीडिया पर लिखा, ‘बुद्धिजीवी शांति के पक्षधर हैं,
तानाशाही खामोशी चाहती है. प्रोफेसर अली महमूदाबाद की गिरफ़्तारी बुद्धिजीवी वर्ग को ख़ामोश करने का असफल प्रयास है.