अखिलेश का बड़ा हमला : ओबीसी की संतानों को गुलाम बनाना चाहती है भाजपा
- उपचुनाव की हार से डरी योगी सरकार निकाय चुनाव से रही भाग
- सरकार में शामिल मंत्रियों की मर चुकी है आत्मा पिछड़ों का हक छिनने पर भी साधे हैं चुप्पी
- दलितों पिछड़ों की नौकरी की रिपार्ट नहीं की गई सार्वजनिक
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने भाजपा पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि भाजपा ओबीसी की संतानों को गुलाम बनाना चाहती है। उसे पिछड़ों का वोट तो चाहिए मगर समान अधिकार न देकर पीछे से उनके अधिकारों को छीन रही है।
विक्रमादित्य मार्ग स्थित सपा कार्यालय में गुरुवार को अखिलेश यादव ने संवाददाताओं को संबोधित किया। यहां उन्होंने कहा कि ओबीसी के बाद भाजपा के अगले निशाने पर एससी वर्ग है। भाजपा की सरकार में शामिल पिछड़े समाज से आने वाले मंत्रियों की आत्मा पूरी तरह मर चुकी है। उन्होंने अपने वर्ग के अधिकारों पर बोलने के बजाए चुप्पी साध ली है। कहा कि उपचुनाव में खतौली और मैनपुरी सीट पर हुई करारी हार से भाजपा भयभीत है। यहां जिस तरह हर वर्ग ने सपा गठबंधन को वोट किया है उससे भाजपाई खेमे की चिंता बढ़ी हुई है। रामपुर में सरकार ने सरकारी मशीनरी का दुरूपयोग करके बेईमानी से चुनाव जीता है। निकाय चुनाव में खतौली और मैनपुरी जैसा हश्र होने की आशंका के चलते सरकार चुनावी मैदान से भागना चाहती है।
पिछड़ों के लिए अदालत तक लड़ाई लड़ेगी सपा
सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने कहा है कि समाजवादी पार्टी पिछड़ा वर्ग के साथ कंधे से कंधा मिला कर खड़ी है। ओबीसी के अधिकारों को छिनने नहीं दिया जाएगा। चाहे इसके लिए सर्वोच्च अदालत तक लड़ाई लडऩी पड़े। उन्होंने भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि राज्य पिछड़ा आयोग को समाप्त कर दिया है। यहां से ओबीसी वर्ग को कुछ मद््द मिल सकती थी, मगर सरकार ने उसे इस लायक ही नहीं छोड़ा। कहा कि सरकार की मंशा ठीक नहीं है। दलित और पिछड़ों की नौकरी की रिपोर्ट को आज तक सरकार ने सार्वजनिक नहीं किया। यह सरकार केवल घोटालों की सरकान बन कर रह गर्ई है। नौकरियों को समाप्त कर दिया गया है ताकि पिछड़ों और दलितों की संतानों को केवल गुलाम बना कर रखा जाए।
निकाय चुनाव सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर करेगी सरकार
रिटायर्ड जज राम अवतार की अध्यक्षता में बनाया 5 सदस्य आयोग
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। निकाय चुनाव को लेकर यूपी सरकार सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी यानी विशेष अनुज्ञा याचिका दायर करेगी। इस पर 1 जनवरी को बहस होगी। सरकार कोर्ट से आरक्षण के साथ चुनाव कराने की मंजूरी देने की अपील करेगी। इससे पहले कल यानी बुधवार को सरकार ने रिटायर्ड जज राम अवतार सिंह की अध्यक्षता में 5 सदस्य आयोग बनाया है।
आयोग में आईएएस चौब सिंह वर्मा, रिटायर्ड आईएएस महेंद्र कुमार, भूतपूर्व विधि परामर्शी संतोष कुमार विश्वकर्मा और अपर जिला जज बृजेश कुमार सोनी सदस्य होंगे। आयोग निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण के लिए ट्रिपल टेस्ट करके 3 महीने के अंदर अपनी रिपोर्ट शासन को देगा। इसके आधार पर ओबीसी आरक्षण निर्धारित होगा। ऐसे में माना जा रहा है कि अप्रैल-मई में निकाय चुनाव हो सकते हैं। क्योंकि, फरवरी-मार्च में यूपी बोर्ड परीक्षा हैं। अधिसूचना के मुताबिक, आयोग की नियुक्ति 6 महीने के लिए हुई है। दरअसल, मंगलवार को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने शहरी स्थानीय निकाय चुनावों पर राज्य सरकार के 5 दिसंबर को जारी ड्राफ्ट नोटिफिकेशन को रद्द कर दिया था। साथ ही, ओबीसी आरक्षण लागू किए बिना ही यूपी में चुनाव कराने के आदेश दिए थे। हाईकोर्ट ने यह भी कहा था कि बिना ट्रिपल टेस्ट के आरक्षण न किया जाए। हाईकोर्ट के फैसले के तुरंत बाद सीएम योगी का बयान आया। इसमें उन्होंने कहा कि बिना ओबीसी आरक्षण के निकाय चुनाव नहीं कराएगी। जरूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट तक जाया जाएगा। योगी के इस बयान से यह क्लीयर था कि सरकार बिना आरक्षण चुनाव नहीं कराएगी। यही वजह रही कि हाईकोर्ट के फैसले के 24 घंटे के भीतर ही आरक्षण के लिए आयोग गठित कर दिया।
रैपिड सर्वे के आधार पर ही त्रिस्तरीय पंचायतों का चुनाव 2015 और 2021 में कराया गया। यूपी सरकार ने हाईकोर्ट को बताया था कि वह निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुझाए गए ‘ट्रिपल टेस्ट’ फॉर्मूले का पालन कर रही है। लेकिन कोर्ट में दर्ज याचिकाओं में कहा गया कि सरकार ने ओबीसी आरक्षण जारी करने के लिए ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूला नहीं अपनाया था। इसमें देखना होगा कि राज्य में ओबीसी की आर्थिक-शैक्षणिक स्थिति क्या है? उनको आरक्षण देने की जरूरत है या नहीं? दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश में कहा था कि ओबीसी आरक्षण के लिए तय शर्तों को पूरा किए बिना आरक्षण नहीं मिल सकता है।