मोदी के खिलाफ एक और पार्टी ने खोला मोर्चा, इस बार तो सूपड़ा साफ होना तय!
हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर सभी दल तैयारियों में जुट गए है.... और आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी हैं...
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4पीएम न्यूज नेटवर्कः हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर सभी दल तैयारियों में जुट गए है…. और आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी हैं… सत्ता में काबिज सैनी सरकार अपनी उपलब्धियां जनता को गिनाने में जुटी हुई है…. और विपक्ष अपने वादों को लेकर जनता के बीच में पहुंच रहा है… बीजेपी ने राज्य में जनता के लिए जो भी काम किया है… वह काम किसी से छुपा हुआ नहीं है…. जनका मोदी और राज्य की नायब सरकार से भलीभांति वाकिफ है… और पिछले दस सालों से बीजेपी के कार्यकाल में जनता के हित में कौन-कौन से काम हुए है… सभी को पता है… जिसका खामियाजा सरकार को विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ेगा… नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने मोदी की नाकामी की पोल खोलकर रख दिया है…. जिससे मोदी बहुत हतास हो गए है…. और अपनी हार के डर से बौखलाए हुए हैं… और अनर्गल बयानवाजी कर रहें है… और जनता के बीच में माहौल खराब करने की कोशिश कर रहें हैं…. आपको बता दें कि हरियाणा की जनता मोदी की ध्रुवीकरण की राजनीति से पूरी तरह से वाकिफ है… मोदी ने किसानों को दिल्ली जाने से रोकने के लिए कौन-कौन से अत्याचार किसानों के ऊपर नहीं किए है… इससे कोई भी बचा नहीं है… किसानों के साथ किए गए अत्याचार से पूरा देश वाकिफ है…
दो हजार चौदह में सत्ता में आने से पहले मोदी ने देश की जनता से तमाम वादे किए थे… लेकिन सत्ता में आते ही सारे वादे भूल गए… किसानों को उनकी फसल को लेकर एमएसपी देने का वादा किया था… लेकिन एक कार्यकाल पूरा हो जाने के बाद भी मोदी ने किसानों को लेकर किसी भी तरह का कोई गारंटी कानून नहीं बनाया जिसकी वजह से किसानों ने आंदोलन करने की योजना बनाई… और सरकार को टाइम भी दिया कि इतने दिनों में हमारी मांगों को नहीं पूरा किया गया तो हम आंदोलन करेंगे…. बावजूद इसके मोदी को कोई फर्क नहीं पड़ा और वो अपनी सत्ता के मद में मदहोश रहें…. जिसको बाद जब किसानों को लगा कि हमारी मांगे सरकार के द्वारा नहीं पूरा किया जाएगा… तब उन्होंने आंदोलन करने फैसला किया और सड़क पर उतर आए… और दिल्ली में जाकर जंतर-तर पर प्रदर्शन करने की योजना बनाई… लेकिन मोदी सरकार ने किसानों के साथ बर्बरता की गई और उन्हें दिल्ली जाने से रोकने के लिए तमाम उपाय किया… किसानों के ऊपर पानी की बौछार की गई… और रास्तों को बैरिगेटिंग कर रोंका गया…
दिल्ली जाने वाले रास्तों पर कीलें लगा दी गई… बड़े-बड़े पत्थर रखकर उनके साथ अन्याय किया… और आज भी किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली बार्डर पर ही आंदोलनरत है… वहीं चुनाव आते ही मोदी और उनकी पार्टी के नेता जनता के सहयोगी और सबसे बड़े शुभचिंतक बन जाते हैं… लेकिन चुनाव खत्म होते ही सभी वादे भूल जाते है… जिसका परिणाम मोदी को लोकसभा चुनाव में मिली हार से मिल गया है… लेकिन जो कमी रह गई थी… वह राज्यों चुनाव परिणाम आने के बाद पूरे हो जाएंगे… बता दें कि मोदी सरकार ने किसानों के साथ साथ महिला पहलवानों के साथ भी बहुत बर्बरता की और अपने सांसद बृजभूषण शरण सिंह को लेकर एक भी बयान नहीं दिया… पहलवानों को दिल्ली की सड़कों पर घसीटा गया… और उनकी एक बात को नहीं सुना गया… जिससे बीजेपी की परेशानी और बढ़ गई है… और हरियाणा चुनाव में जीतने के कोई चांस बनते नहीं दिखाई दे रहें है… लगातार दो बार सत्ता में रहने के चलते मोदी को घमंड हो गया था… कि मेरी तानाशाही सदैव चलती रहेगी…. लेकिन ऐसा नहीं हुआ और लोकसभा चुनाव में सारे मनसूबों पर पानी फिर गया और बैसाखी के सहारे आ गए…
आपको बता दें कि बीजेपी जिसका सहारा लेकर सरकार बनाती है… बाद में उसी के साथ खेल कर देती है… और अपनों को ही किनारे कर देती है… बता दें कि हरियाणा में बीजेपी ने जेजेपी के साथ मिलकर दूसरी बार सरकार बनाई थी… वही सरकार बनाने के बाद जेजेपी को किनारे कर दिया… जनता को किनारे कर दिया… सरकार ने जनता का किसी भी तरह से किसी प्रकार की कोई सहायता नहीं किया… राज्य गंदगी, बेरोजगारी, महंगाई से जूझ रहा है… लेकिन सरकार कोई फर्क नहीं पड़ रहा है… युवाओं को बेरोजगारी के मुंह में धकेल दिया है… और युवा नौकरी के लिए दर-बदर भटक रहें है… बता दें कि हरियाणा में विधानसभा चुनाव में अब बेहद कम समय रह गया…. ऐसे में सियासी दिग्गज एक दूसरे पर जुबानी हमले करने से नहीं चूक रहे…. इस बीच हरियाणा के पूर्व डिप्टी सीएम और जेजेपी के कद्दावर नेता दुष्यंत चौटाला ने बड़ा खुलासा किया है…. और उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन में बीजेपी के साथ खड़े रहना मेरे जीवन की एक बड़ी गलती थी….
बता दें कि दुष्यंत चौटाला ने कहा कि राजनीति के अंदर विचारधाराएं जुड़ती हैं… और जब ये जुड़ती हैं तो बदलाव भी आता है…. हमने हरियाणा में निवेश लाने का काम किया है…. हमने यहां परिवर्तन लाने का काम किया है…. हमने कहा था कि एमएसपी पर आंच आएगी तो हम सरकार छोड़ देंगे… प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिखा है…. और उन्होंने आगे कहा कि हमने उनके साथ सरकार चलाई, अपनी बातें मनवाई, अपने काम करे…. जब आगे चुनाव लड़ने पर सहमति नहीं बनी तो दोनों ने रास्ते अलग कर लिए…. किसान आंदोलन पर बीजेपी के साथ खड़े रहना मेरे जीवन की सबसे बड़ी गलती थी…. अगर मैं आज ये स्वीकार करता हूं तो हरियाणा की जनता मेरा साथ भी देगी और इस चुनाव में लड़ेगी….. आपको बता दें कि पूर्व उपमुख्यमंत्री ने ये भी कहा कि ऐसा माहौल बना दिया जैसे किसान आंदोलन का सबसे बड़ा विलन दुष्यंत चौटाला है…. जबकि न दुष्यंत ने न वोट डाला न दुष्यंत की पार्टी का कोई सदस्य लोकसभा में है…. आवाज उठाने के लिए….. लेकिन उसके बावजूद भी ये दिखाया गया कि अगर मैं इस्तीफा दे देता तो राज गिर जाता है….. आज भी मेरे बिना नायब सिंह सैनी राज कर रहे हैं…. अगर उस समय मैं न करता तो जो वादे हमने हरियाणा की जनता से किए वो पूरे नहीं हो पाते….
हरियाणा की सियासत में ‘डबल इंजन’ की सत्ता का ट्रेंड चला आ रहा है….. तीन दशक से परंपरा यह रही है कि केंद्र और राज्य में एक ही दल या गठबंधन की सरकार बनी हैं…. लोकसभा चुनाव के ठीक बाद हरियाणा के विधानसभा चुनाव हो रहे हैं….. ऐसे में देखा गया है कि केंद्र की सत्ता पर कब्जा जमाने वाली पार्टी ही राज्य की सत्ता पर विराजमान होती रही है…. बीजेपी की कोशिश इस रिवायत को बचाए रखने की है तो कांग्रेस ‘डबल इंजन’ सरकार वाली परंपरा को तोड़कर नया इतिहास लिखने की कवायद में है…. ऐसे में देखना है कि हरियाणा की सियासी बाजी कौन मारता है….. लोकसभा चुनाव के बाद सबसे पहले जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं….. केंद्र में बीजेपी जीत की हैट्रिक लगा चुकी बीजेपी हरियाणा में ऐसा ही करिश्मा करने की फिराक में है…. जिसके लिए पार्टी ने पूरी ताकत झोंक दी है…. बीजेपी इस बात को जानती है कि हरिणाया के विधानसभा चुनाव में वह विफल हुई तो विपक्ष यह नेरेटिव बनाना शुरू कर देगा… कि देश में बीजेपी का ग्राफ गिरने लगा है…. इसीलिए बीजेपी हरियाणा का चुनाव जीतने के लिए पूरे दमखम से जुट गई है…. ऐसे में बीजेपी यह बताने की कोशश में जुट गई है… कि केंद्र में सरकार बनाने वाली पार्टी ही हरियाणा की सत्ता पर काबिज होती है….
आपको बता दें कि हरियाणा में पिछले दो बार से सत्ता अपने नाम करने वाली बीजेपी लगातार तीसरी बार जीतकर सरकार बनाने की कवायद में है…. पीएम मोदी ने कुरुक्षेत्र में अपनी पहली चुनावी जनसभा में डबल इंजन सरकार की परंपरा को बनाए रखने का हवाला दिया था…. और उन्होंने कहा कि हरियाणा के लोग 50 साल से उसी राजनीतिक दल की सरकार बनाते आ रहे हैं…. जिसकी केंद्र में होती है…. पीएम मोदी ही नहीं केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने भी गुरुग्राम की रैली में कहा कि हरियाणा का इतिहास रहा है कि केंद्र में सरकार बनाने वाली पार्टी ही हरियाणा में सरकार बनाती है…. हरियाणा के सियासी इतिहास में अभी तक कुल 13 बार विधानसभा चुनाव हुए है, जिसमें से केवल तीन ही बार बीजेपी सत्ता में आई है…. बीजेपी ने 1996 में हरियाणा विकास पार्टी के साथ गठबंधन की सरकार बनाई थी…. इसके बाद 2014 के चुनाव में मोदी लहर में बीजेपी ने 47 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाई…. 2019 के चुनाव में 40 सीटें जीतने के बाद जननायक जनता पार्टी के समर्थन से सरकार बनाई. बीजेपी लगातार तीसरी बार सत्ता पर काबिज होने की कोशिश में है…. जिसके लिए केंद्र में बनी मोदी सरकार का हवाला दिया जा रहा है….
हरियाणा में ‘डबल इंजन’ की सरकार का सिलसिला तीन दशक से चला आ रहा है…. 1996 में बीजेपी ने केंद्र में भले ही सिर्फ 13 दिन की सरकार बनाई हो…. लेकिन हरियाणा में बंसीलाल के साथ मिलकर सरकार में शामिल रही…. इसके बाद 1999 में बीजेपी एनडीए के साथ मिलकर केंद्र की सत्ता में आई थी…. जिसमें इनेलो भी शामिल थी…. इसके बाद हरियाणा में 2000 में विधानसभा चुनाव हुए…. बीजेपी और इनेलो ने मिलकर चुनाव लड़ा…. जिसमें गठबंधन को 90 में से 53 सीटों पर जीत मिली…. कांग्रेस के हिस्से में सिर्फ 21 सीटें आई. इनेलो के प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला मुख्यमंत्री बने थे…. 2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी… और कई दलों के साथ मिलकर सरकार बनाई…. देश की सत्ता में वापसी करने के बाद 2005 में हरियाणा में विधानसभा चुनाव हुए…. इस चुनाव में कांग्रेस ने 67 सीटें जीतकर हरियाणा की सत्ता में वापसी की…. इस तरह एक बार फिर ‘डबल इंजन’ की सरकार हरियाणा में बनी…. इसके बाद 2009 का लोकसभा चुनाव जीतकर कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए की सरकार केंद्र में बनी…. इसके एक साल बाद 2010 में विधानसभा चुनाव हुए…. कांग्रेस भले ही पूर्ण बहुमत हासिल नहीं कर सकी…. लेकिन निर्दलीय और अन्य दलों के साथ मिलकर सरकार बनाने में कामयाब रही….. इस तरह कांग्रेस केंद्र के साथ-साथ हरियाणा की सत्ता पर काबिज रही….
2014 में देश की सत्ता परिवर्तन का सियासी प्रभाव हरियाणा की राजनीति पर भी पडा. 2014 के लोकसभा चुनाव के एक साल बाद 2015 में हरियाणा के विधानसभा चुनाव हुए. बीजेपी ने हरियाणा की 90 में से 47 सीटें जीतकर पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाई और पहली बार अपना मुख्यमंत्री बनाने में भी सफल रही. इसके बाद 2019 लोकसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत के साथ केंद्र की सत्ता में वापसी के साथ ही बीजेपी हरियाणा की सियासी बाजी भी अपने नाम करने में कामयाब रही. 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को भल ही बहुमत नहीं मिली, लेकिन 40 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. बीजेपी ने जेजेपी और निर्दलियों के सहयोग से सरकार बनाई है.
हरियाणा में डबल इंजन की सरकार की परंपरा को बीजेपी हर हाल में बरकरार रखना चाहती है… तो कांग्रेस उसे बदलने की कोशिश में है…. लोकसभा चुनाव में इस बार बीजेपी को जिस तरह से हरियाणा की 10 में से पांच सीटें गंवानी पड़ी है…. कांग्रेस की बढ़ी सीटें और वोट शेयर ने बीजेपी के लिए परेशानी बढ़ा रखी है…. इसके अलावा एंटी इंकम्बेंसी और किसान, पहलवान, जवान का मुद्दा भी बीजेपी के लिए परेशानी का सबब बना हुआ….. जिसके चलते खुलकर बीजेपी नहीं खेल पा रही है…. बीजेपी जातीय समीकरण के सहारे सत्ता की हैट्रिक लगाने और डबल इंजन की परंपरा को बचाए रखने के लिए चुनावी जंग लड़ रही है…. लेकिन कांग्रेस दलित, जाट, ओबीसी और मुस्लिम समीकरण के सहारे सत्ता में वापसी की उम्मीद लगाए हुए है…. जाट वोट परंपरागत रूप से बीजेपी के खिलाफ माने जाते रहे हैं…. और इस बार किसान और पहलवान आंदोलनों का असर भी चुनाव में पड़ सकता है…. इसलिए बीजेपी का जोर ओबीसी मतदाताओं पर है… और नायब सिंह सैनी के सहारे सत्ता में वापसी करना चाहती है…. कांग्रेस दलित और जाट समीकरण के सहारे डबल इंजन की चली आ रही रिवायत को खत्म करने की कोशिश में है….