लुट गई जनता की गाढ़ी कमाई

खाया पिया कुछ नहीं, गिलास तोड़ा बारह आना

  • संसद में शीतकालीन सत्र में हंगामा ही होता रहा
  • अब तक का सबसे कम कामकाज वाला रहा सत्र
  • सदन में 26 दिनों के इस सत्र में 19 बैठकें हुईं
  • दोनों सदन में मात्र 105 घंटे ही कार्यवाही चली
  • लोस में पांच सरकारी विधेयक पेश किए गए और चार पारित किए गए

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। अठारहवीं लोकसभा का तीसरा सत्र शुक्रवार को संपन्न हो गया। इस शीतकालीन सत्र के दौरान सरकार में बैठी भाजपा की हट की वजह से जनता की गाढ़ी कमाई पानी बह गये। दरअसल लोस में 20 बैठकें हुईं और लोकसभा मात्र 62 घंटे ही चली। दोनों सदन (लोकसभा और राज्यसभा) में लगभग 105 घंटे कार्यवाही चली। सबसे बड़ी विडंबना तो यह रही की इस बीच जनता से जुड़े मुद्दों पर बहस नहीं हुई। इस बीच सरकार करोड़ों रुपये स्वाहा हो गए।
सत्ता पक्ष व विपक्ष बस एक दूसरे पर हमला करते रहे और लोक सभा व राज्य सभा की कार्यवाहियां शुरू होते स्थगित होती चली गईं। हालांकि सरकार ने आनन-फानन कुछ विधेयक पारित करा लिए। लोकसभा के इस सत्र के दौरान उत्पादकता मात्र 57.87 प्रतिशत रही। सत्र के दौरान लोकसभा में पांच सरकारी विधेयक पेश किए गए और चार विधेयक पारित किए गए। शून्य काल के दौरान अविलंबनीय लोक महत्व के 182 मामले उठाए गए और नियम 377 के अंतर्गत 397 मामले उठाए गए। यह सत्र 25 नवंबर से शुरू हुआ था। भारत के संविधान की 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा पर चर्चा 13 और 14 दिसंबर को हुई। शून्य काल के दौरान 61 तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर दिए गए।

शीतकालीन सत्र में सबसे कम उत्पादकता

लोक सभा का शीतकालीन सत्र अब तक के सभी सत्रों में सबसे कम उत्पादकता वाला रहा। लोकसभा की प्रोडक्टिविटी 57प्रतिशत रही और राज्यसभा की प्रोडक्टिविटी 43 प्रतिशत रही। संविधान पर चार दिन चर्चा चली और बाकी समय शोरशराबा और हंगामा होता रहा। यह सत्र 25 नवंबर से शुरू हुआ था। 26 दिनों के इस सत्र में 19 बैठकें हुईं।

संसद में कामकाज में लगातार काम में आ रही कमी

संसद में कामकाज में लगातार काम में कमी आ रही है. पिछले 10 सत्रों के आंकडों से यही संकेत मिलते हैं। अठारहवीं लोकसभा के बजट सत्र में प्रोडक्टिविटी 135प्रतिशत रही। इस दौरान राज्यसभा में प्रोडक्टिविटी 112प्रतिशत रही थी। 17वीं लोकसभा में 274 बैठकें हुई थीं और 222 बिल पास हुए थे। अधिकांश बिल पेश होने के दो हफ्ते के भीतर पास हुए थे। इनमें से एक तिहाई बिल एक घंटे से भी कम समय में पास हो गए थे। केवल 16प्रतिशत बिल ही स्टैंडिंग कमेटी को भेजे गए थे. 17वीं लोकसभा ने केवल 1,354 घंटे काम किया गया।15 में से 11 सत्र समय से पहले स्थगित किए गए. ।

सांसदों के निलंबन का आंकड़ा भी बढ़ा

सांसदों के निलंबन का आंकड़ा भी बढ़ा है. पहली लोकसभा में एक सांसद का निलंबन हुआ था। आठवीं लोकसभा में 66, चौदहवीं लोकसभा में 50, सोलहवीं लोकसभा में 81 और सत्रहवीं लोकसभा में 115 सांसदों का निलंबन हुआ।

संसद की गरिमा बनाए रखना सभी सदस्यों की सामूहिक जिम्मेदारी : बिरला

अठारहवीं लोक सभा के तीसरे सत्र के अंतिम दिन अपने समापन भाषण में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि संसद की गरिमा और मर्यादा बनाए रखना सभी सदस्यों की सामूहिक जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा कि संसद के किसी भी द्वार पर धरना, प्रदर्शन करना उचित नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि यदि इसका उल्लंधन होता है तो संसद को अपनी मर्यादा और गरिमा बनाए रखने के लिए आवश्यक कार्यवाही करने का अधिकार है। उन्होंने सदस्यों से आग्रह किया कि उन्हें किसी भी दशा में नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करना चाहिए।

दो विधेयक जेपीसी को दिए गए

संसद का शीतकालीन सत्र एक तरह से पूरा का पूरा हंगामे की भेंट चढ़ गया। इस बार सत्र में कोई खास काम नहीं हो सका। सरकार ने एक देश, एक चुनाव संबंधी महत्वपूर्ण विधेयक संसद में पेश तो कर दिया लेकिन इसे जेपीसी को विचार के लिए भेज दिया गया। इसके अलावा वक्फ विधेयक भी टाल दिया गया। इस सत्र में संविधान पर जरूर चर्चा हुई लेकिन वह भी आरोप-प्रत्यारोप तक ही सीमित रही।

आबकारी नीति मामले में केजरीवाल की बढ़ीं मुश्किलें

  • एलजी ने ईडी को दी केस चलाने की अनुमति

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बड़ा झटका लगा है, उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने अरविंद केजरीवाल पर आबकारी नीति मामले में मुकदमा चलाने के लिए ईडी को मंजूरी दे दी है। उधर इस पर राजनीतिक गलियारे में यह चर्चा होने लगी है कि भाजपा ने आप की सक्रियता से घबराकर ईडी का इस्तेमाल करवाया है।
ईडी का आरोप है कि अरविंद केजरीवाल ने 100 करोड़ रुपये की रिश्वत लेकर संस्थाओं को अनुचित लाभ पहुंचाया था।

आप ने आरोपों को किया था खारिज

इन आरोपों को लेकर आम आदमी पार्टी ने कहा था, तथाकथित शराब घोटाले की जांच दो साल तक चली, 500 लोगों को परेशान किया गया, 50,000 पन्नों के दस्तावेज दाखिल किए गए और 250 से अधिक छापे मारे गए और एक पैसा भी बरामद नहीं हुआ। विभिन्न अदालती आदेशों द्वारा मामले में कई खामियां उजागर हुईं हैं। भाजपा का असली लक्ष्य किसी भी तरह से आप और अरविंद केजरीवाल को कुचलना था।

उपराज्यपाल कार्यालय ने जारी किया बयान

उपराज्यपाल कार्यालय द्वारा जारी किए गए बयान में कहा गया है कि दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने आबकारी नीति मामले में aap प्रमुख और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए प्रवर्तन निदेशालय को मंजूरी दे दी है। 5 दिसंबर को प्रवर्तन निदेशालय ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी मांगी थी।

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