बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को सुप्रीम कोर्ट से मिली बड़ी राहत 

बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को भ्रामक विज्ञापन मामले में आज मंगलवार (13 अगस्त) को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई है...

4PM न्यूज़ नेटवर्क: बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को भ्रामक विज्ञापन मामले में आज मंगलवार (13 अगस्त) को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई है। कोर्ट ने दोनों के माफीनामा को स्वीकार कर लिया है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना से जुड़ा यह केस बंद कर दिया है। आपको बता दें कि पतंजलि प्रोडक्ट्स को लेकर चलाए गए भ्रामक विज्ञापनों और दवाओं को लेकर किए गए दावों को संबंध में दोनों की तरफ से अंडरटेकिंग दी गई, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया है। इस तरह बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को देश की शीर्ष अदालत से बड़ी राहत मिल गई है।

जानिए क्या है पूरा मामला

मिली जानकारी के अनुसार यह पूरा मामला साल 2022 में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की ओर से दायर किया गया था। इसमें बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि पर आरोप लगाया था कि कंपनी ने कोविड वैक्सीन ड्राइव और आधुनिक चिकित्सा प्रणाली को बदनाम किया है। इस मामले में पतंजलि की ओर से एडवोकेट गौतम तालुकदार ने कहा कि कोर्ट ने रामदेव, बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड द्वारा दिए गए वचनों के आधार पर केस बंद कर दिया है। इसे पहले 14 मई को सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना नोटिस पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2023 में पतंजलि से कहा कि वह भ्रामक विज्ञापनों को जारी करना बंद कर दे, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। फैसले के अगले ही दिन बाबा रामदेव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर डायबिटीज और अस्थमा ठीक करने का दावा किया है। इसके बाद देश की शीर्ष अदालत ने बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के एमडी बालकृष्ण को अवमानना ​​नोटिस जारी किया। हालांकि उन्होंने कहा था कि वह अब विज्ञापनों को जारी करना बंद कर देंगे। अदालत ने उन्हें पेशी के लिए भी बुलाया था।

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  • इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने 2022 में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी।
  • इसमें मॉडर्न मेडिसिन के खिलाफ रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद की अपमानजनक टिप्पणियों का जिक्र किया गया था।
  • याचिका में कहा गया है कि जीवनशैली संबंधी विकारों और अन्य बीमारियों के चमत्कारिक इलाज का वादा करने वाले पतंजलि के विज्ञापनों ने ‘ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम’, 1954 और ‘ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स रूल्स’, 1954 के तहत कानून का उल्लंघन किया है।

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