बिहार चुनाव से पहले निर्दलीय भी मैदान में, प्रशांत किशोर के बाद पप्पू यादव का दांव!    

बिहार के पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने वक्फ बोर्ड संशोधन बिल के खिलाफ यात्रा निकालने की घोषणा की है… उन्होंने कहा कि वह वक्फ बोर्ड बिल के खिलाफ हैं….

4पीएम न्यूज नेटवर्कः केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने बीते दिनों संसद सत्र के दौरान वक्फ संशोधन बिल दो हजार चौबीस लोकसभा में पेश किया….. हालांकि, विपक्ष ने इस बिल का पुरजोर विरोध किया…. आखिरकार ये विधेयक ज्वाइंट पर्लियामेंट्री कमिटी यानी जेपीसी को भेज दिया गया…. और लोकसभा में वक्फ संसोधन बिल पास नहीं हो पाया… जिसके बाद से मोदी की जमकर फजीहत होने लगी… खुद को सभी जातियों का शुभचिंतक बताने वाले मोदी की वक्फ बिल लाने के बाद से ही सारी सच्चाई जनता के सामने आ गई… बता दें कि खुद को मुसलमानों का हितैशी बताने वाले मोदी की पोल खुल गई… लोकसभा चुनाव में मिली अपनी बड़ी हार के चलते मोदी परेशान नजर आ रहें है… राहुल गांधी की छबि खराब करने के लिए करोड़ो खर्च करने वाले मोदी ने जनता के हित के लिए काम किया होता तो शायद दो हजार चौदह और दो हजार उन्नीस की तरह आज भी पावर में होते… लेकिन हाथ में पावर आते ही मोदी की मानसिकता खराब होती गई और मनमानी तरीके से नियम बनाते रहे और जनता पर थोपते गए… वहीं दो चौबीस में तीसरी बार मोदी नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू के सहारे तीसरी बार प्रधानमंत्री बने तब उनकी शक्तियां कम हो गई… और इसी दौरान लोकसभा सत्र के दौरान दो बिल लेकर सदन में आए लेकिन दोनों बिल पर सहयोगी दलों ने खास तवज्जों नहीं दिया… जिसके बाद वक्फ बिल को जेसीपी के पास भेज दिया गया… बता दें कि मोदी को दोनों बैसाखी मुसलमानों को लेकर ही अपनी राजनीति करते हैं… और इन दोनों दलों को मुसलमानों का भरपूर सहयोग मिल रहा है… जिससे उनकी सरकार बन रही है… वहीं मोदी के लिए कोई भी सहयोगी दल अपना वोट बैंक नहीं खऱाब करेगा… जिसके चलते मोदी के सभी सहयोगियों ने बैकडोर से वक्फ संसोधन विधेयकर का समर्थन तो किया लेकिन सदन में समर्थन कर नहीं किया… जिसके चलते वक्फ बिल को मोदी द्वारा लाचार होकर जेपीपी के पास भेजना पड़ा…

आपको बता दें कि बिहार में दो हजार पच्चीस में विधानसभा चुनाव होने हैं… जिसको देखते हुए सभी  राजनीतिक दल अभी से विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं… और जनता के बीच में पहुंचकर उनकी समस्याओं के बारे में जानकारी जुटा रहें है… और इसी आधार पर आगामी विधानसभा चुनाव में अपना मुद्दा बनाकर जनते के बीच में आने का प्लान तैयार करने की तैयारी में है… वहीं वक्फ संसोधन बिधेयकर के विरोध में निर्दलीय सांसद पप्पू यादव यात्रा करने वाले हैं…. जिससे नीतीश कुमार की परेशानी और बढ़ने वाली है… आपको बता दें कि बिहार के पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने शुक्रवार को वक्फ बोर्ड संशोधन बिल के खिलाफ यात्रा निकालने की घोषणा की है…. और उन्होंने कहा कि वह वक्फ बोर्ड बिल के खिलाफ हैं….. और इसको लेकर वह बिहार में वक्फ संवैधानिक अधिकार यात्रा निकालेंगे….. इस यात्रा की शुरुआत 29 सितंबर को अररिया से होगी…. वहीं, संवैधानिक अधिकार यात्रा का समापन पटना के गांधी मैदान में होगा…. पूर्णिया से सांसद पप्पू यादव ने वक्फ संवैधानिक अधिकार यात्रा को लेकर अपने एक्स पर भी जानकारी साझा की है…. और उन्होंने लिखा कि हर धर्म को अपनी धर्मार्थ संपत्तियों का संचालन करने का संवैधानिक अधिकार है….. सांसद ने कहा कि वह अकलियत समाज और नागरिक अधिकारों के प्रति जागरूक लोगों के साथ मिल यात्रा पर निकलेंगे….

वहीं उन्होंने लिखा कि वक्फ संवैधानिक अधिकार यात्रा का मकसद लोगों की राय के अनुरूप संयुक्त संसदीय समिति में शामिल सांसदों को सजग करना है…. वहीं, पूर्णिया के मुस्लिम बहुल इलाकों में वक्फ बोर्ड कानून के विरोध में क्यूआर कोड स्कैन अभियान भी चलाया जा रहा है….. मस्जिद, मदरसा से लेकर गली मोहल्ले में क्यूआर कोड चिपकाया गया है… और लोगों से आपत्ति दर्ज करने की मांग की जा रही है…. वक्फ बोर्ड संशोधन कानून का मामला लोकसभा में पेश होने के बाद संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास चला गया है…. जेपीसी अब इसमें संशोधन को लेकर आम लोगों…. और गैर-सरकारी संगठनों से सुझाव मांग रही है…. वहीं, मुस्लिम संगठन क्यूआर कोड के जरिए अपनी आपत्तियां दर्ज करा रहे हैं…. जबकि दूसरी ओर बीजेपी अपने सांसदों को बिल के फायदे लोगों तक पहुंचाने के लिए मुहिम चला रही है…. वहीं इन सभी बातों को लेकर जनता के मन में भ्रम व्याप्त हो गया है कि आखिर सरकार ऐसा क्यों करना चाहती है… बिहार में भी मुलमाने की अच्छी आबादी है… और नीतीश कुमार भी हमेशा से सत्ता में बने रहने के लिए बक्फ बिल पर चुप्पी साधे हुए हैं… और मोदी की हां में हां मिलाते रहें हैं…. लेकिन पीछे के रास्ते से वक्फ संसोधन विधेयक को समर्थन नहीं कर रहें है…

आपको बता दें कि पिछले दस सालों से सत्ता में विराजमान मोदी और शाह ने देश को लूटने का काम किया है… पहले हिंदू मंदिरों को निशाना बनाकर हिंदुओं को अपने खमे में शामिल करने की मुहिम चलाई और जनता के बीच में यह संदेश देने की कोशिश की गई की सरकार हिंदूओं की रक्षक हैं… और जनता के मन में नफरत फैलाने का काम करते हुए देश के अंदर गृहयुद्ध की स्थिति पैदा करी… लेकिन जब मोदी शाह अपने इस मनसूबे में कामयाब नहीं हुए तो उन्होंने मुसलमानों की जमीन को कब्जाने के लिए वक्फ संसोधन बिल दो हजार चौबीस लेकर आए और बिल के माध्यम से सभी मुस्लिम जमीनों पर कब्जा करने की योजना थी लेकिन यह योजना भी फेल हो गई… और मोदी शाह की तोड़ो नीति काम नहीं आई…. आपको बता दें कि वक्फ संसोधन बिधेयक के खिलाफ बिहार के पूर्णियां से सांसद अपनी यात्रा शुरू करने जा रहें है…. जिसने नीतीश की परेशानी को और बढ़ा दिया है… जिसका असर बिहार विधानसभा चुनाव में देखने को मिलेगा…

बता दें कि वक्फ करने के अलग-अलग तरीके हो सकते हैं…. जैसे- अगर किसी व्यक्ति के पास एक से अधिक मकान हैं और वह उनमें से एक को वक्फ करना चाहता है… तो वह अपनी वसीयत में एक मकान को वक्फ के लिए दान करने के बारे में लिख सकता है…. ऐसे में उस मकान को संबंधित व्यक्ति की मौत के बाद उसका परिवार इस्तेमाल नहीं कर सकेगा…. उसे वक्फ की संपत्ति का संचालन करने वाली संस्था आगे सामाजिक कार्य में इस्तेमाल करेगी…. इसी तरह शेयर से लेकर घर, मकान, किताब से लेकर कैश तक वक्फ किया जा सकता है… कोई भी मुस्लिम व्यक्ति जो अट्ठारह साल से अधिक उम्र का है… वह अपने नाम की किसी भी संपत्ति को वक्फ कर सकता है…. वक्फ की गई संपत्ति पर उसका परिवार या कोई दूसरा शख्स दावा नहीं कर सकता है…. वक्फ की संपत्ति का संचालन करने के लिए वक्फ बोर्ड होते हैं…. ये स्थानीय और राज्य स्तर पर बने होते हैं…. उत्तर प्रदेश, बिहार जैसे राज्यों में अलग-अलग शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड भी हैं…. राज्य स्तर पर बने वक्फ बोर्ड इन वक्फ की संपत्ति का ध्यान रखते हैं…. संपत्तियों के रखरखाव, उनसे आने वाली आय आदि का ध्यान रखा जाता है…. केंद्रीय स्तर पर सेंट्रल वक्फ काउंसिल राज्यों के वक्फ बोर्ड को दिशानिर्देश देने का काम करती है…. वहीं देशभर में बने कब्रिस्तान वक्फ भूमि का हिस्सा होते हैं…. देश के सभी कब्रिस्तान का रखरखाव वक्फ ही करते हैं….

जानकारी के मुताबिक देश भर में करीब तीस स्थापित संगठन हैं…. जो उस राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन करते हैं…. इन्हीं संगठनों को वक्फ बोर्ड के नाम से जाना जाता है… भारत में तीस वक्फ बोर्ड हैं…. जिनमें से अधिकांश के मुख्यालय राज्यों की राजधानियों में हैं…. वहीं सभी वक्फ बोर्ड वक्फ अधिनियम उन्नीस सौ पनचानबे के तहत काम करते हैं…. भारतीय वक्फ परिसंपत्ति प्रबंधन प्रणाली के अनुसार, वक्फ बोर्ड मुसलमानों के धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक जीवन से जुड़े हुए हैं…. वे न केवल मस्जिदों, दरगाहों, कब्रिस्तानों आदि की मदद कर रहे हैं….. बल्कि उनमें से कई स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, डिस्पेंसरी… और मुसाफिरखानों का भी सहायता करते हैं, जो सामाजिक कल्याण के लिए बने हैं…. आपको बता दें कि देश की आजादी के बाद उन्नीस सौ चौव्वन वक्फ की संपत्ति और उसके रखरखाव के लिए वक्फ एक्ट उन्नीस सौ चौव्वन बना था…. उन्नीस सौ पनचानबे में इसमें कुछ बदलाव किए गए…. इसके बाद दो हजार तेरह में इस एक्ट में कुछ और संशोधन किए गए…. इसके मुताबिक, राज्य वक्फ बोर्ड एक सर्वे कमिश्नर की नियुक्ति करेगा…. सर्वे कमिश्नर राज्य में वक्फ की सभी संपत्तियों का लेखा-जोखा रखेगा…. उसे दर्ज करेगा… गवाहों को बुलाना, किसी विवाद की स्थिति में उसका निपटारा करना सर्वे कमिश्नर ही करता है…. इसके लिए सर्वे कमिश्नर का एक ऑफिस होता है…. जिसमें कई सर्वेयर होते हैं जो इस काम को करते हैं…. स्थानीय स्तर पर वक्फ की संपत्ति की देखभाल करने वाले को मुतवल्ली कहते हैं…. इसकी नियुक्ति राज्य वक्फ बोर्ड करता है….

वहीं भारतीय वक्फ परिसंपत्ति प्रबंधन प्रणाली के अनुसार देश में कुल कुल तीन लाख छप्पन हजार सैंतालीस वक्फ संपदा हैं…. इनमें अचल संपत्तियों की कुल संख्या आठ लाख बहत्तर हजार तीन सौ चौबीस…. और चल संपत्तियों की कुल संख्या सोलह हजार सात सौ तेरह है….. डिजिटल रिकॉर्ड्स की संख्या तीन लाख उन तीस हजार नौ सौ पन्चानबे है…. इसके अलावा, विधेयक में वर्तमान अधिनियम में दूरगामी परिवर्तन की बात कही गई है…. इसमें केंद्रीय और राज्य वक्फ बोर्ड में मुस्लिम महिलाओं का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना भी शामिल है…. इसके साथ ही किसी भी धर्म के लोग इसकी कमेटियों के सदस्य हो सकते हैं…. अधिनियम में आखिरी बार दो हजार तेरह में संशोधन किया गया था…… बता दें कि वक्फ अधिनियम उन्नीस सौ पनचानबे की धारा चालीस को हटाने का प्रस्ताव है….. इसी धारा के तहत बोर्ड को शक्तियां थीं कि वह किसी संपत्ति के वक्फ संपत्ति होने का निर्णय ले सके….. विधेयक में एक केंद्रीय पोर्टल और डेटाबेस के जरिए वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण का प्रस्ताव है…. नए अधिनियम के लागू होने के छह महीने के भीतर केंद्रीय पोर्टल पर संपत्तियों का विवरण दर्ज करना होगा…. वहीं इस विधेयक में नई धाराएं तीन ए, तीन बी और तीन सी शामिल करने का प्रावधान है…. ये धाराएं वक्फ की कुछ शर्तों, पोर्टल और डेटाबेस पर वक्फ का विवरण दाखिल करने और वक्फ की गलत घोषणा से जुड़ी हैं…… विधेयक में वक्फ की गलत घोषणा को रोकने का प्रावधान है…. अब किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज करने से पहले सभी संबंधितों को उचित सूचना देना होगा….

आपको बता दें कि विधेयक में प्रस्ताव किया गया है कि केंद्रीय वक्फ परिषद… और राज्य वक्फ बोर्डों में कम से कम दो महिलाएं होनी चाहिए…. इस विधेयक में बोहरा और आगाखानी समुदायों के लिए अलग औकाफ बोर्ड की स्थापना का प्रावधान है…. बदलाव के तहत मुस्लिम समुदायों के बीच शिया, सुन्नी, बोहरा, आगाखानी और अन्य पिछड़े वर्गों को प्रतिनिधित्व देनी की बात कही गई है…. पहले वक्फ बोर्ड में किसी गैर-मुस्लिम को मुख्य कार्यकारी अधिकारी की नियुक्ति नहीं हो सकती थी…. अब विधेयक के खंड पंद्रह में धारा तेइस में संशोधन करने का प्रस्ताव है….. धारा तेइस सीईओ की नियुक्ति, उनके पद की अवधि और सेवा की अन्य शर्तों से संबंधित है… यह प्रावधान किया गया है कि सीईओ राज्य सरकार के संयुक्त सचिव के पद से नीचे का नहीं होगा… और उसके किसी धर्म के होने की आवश्यकता को भी हटा दिया जाएगा…. नए विधेयक में एक अहम बदलाव कलेक्टर की मध्यस्थ की भूमिका को लेकर किया गया है…. अब जिला कलेक्टर को यह तय करने का अधिकार होगा कि कोई संपत्ति वक्फ है या सरकारी…. धारा 3सी में कहा गया है कि इस अधिनियम के लागू होने से पहले या बाद में वक्फ संपत्ति के रूप में पहचानी गई… या घोषित की गई कोई भी सरकारी संपत्ति वक्फ संपत्ति नहीं मानी जाएगी….

 

 

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