भारत के सैनिक वेतन के लिए नहीं, देश के लिए लड़ते हैं : भागवत
- बोले- हम देश से प्रेम नहीं, भक्ति करते हैं
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
वाराणसी। आरएसएस प्रमुख ने वीर अब्दुल हमीद की जयंती समारोह में कहा कि हमारा खान-पान अलग, लेकिन डीएनए एक है। भारतवासी अपने देश से प्रेम ही नहीं, बल्कि उसकी भक्ति करते हैं। भारत के सैनिक वेतन के लिए नहीं, देश के लिए लड़ते हैं। दुनिया को हमारे देश की आवश्यकता है। हमारे मूल में ही एकता है। आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि हम अपने देश से केवल प्रेम ही नहीं करते, बल्कि उसकी भक्ति करते हैं। यहां की नदियों का पानी पीते हैं। यहीं का अनाज खाते हैं। यहीं की हवा में सांस लेते हैं। यहां की परंपरा से लगाव रखते हैं।
जीवन कैसा होना चाहिए, ये हम भाषण, ग्रंथों में सुन और पढ़ सकते हैं। लेकिन, करने की हिम्मत तभी होती है, जब कोई अपने जैसा करके दिखाए। ये हमारे वीर जवानों ने करके दिखाया है, जो हमारे ही गांवों से गए हैं। इसलिए वे हमारे लिए मिसाल बन जाते हैं। हम अपने बच्चों को उनकी कहानियां बताते हैं। धामूपुर स्थित शहीद पार्क में परमवीर चक्र विजेता वीर अब्दुल हमीद की जयंती समारोह में भागवत ने कहा, चीन, पाकिस्तान ने भारत पर जब भी हमला किया, तब भारतीय आपसी मनमुटाव भूलकस एक साथ खड़े हो गए क्योंकि हमारे मूल में ही एकता है। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु के कुछ लोग बोलते हैं कि हम भारत से अलग हैं। उत्तर के लोग अलग हैं। हिंदी हमको नहीं चाहिए। हम तमिल हैं। हमारा एक अलग राज्य है।
लेकिन 1962 में चीन का भारत पर आक्रमण हुआ। उस समय चेन्नई मलिना ब्रिज के पास सेना की विशाल सभा हुई। इस सभा में तत्कालीन मुख्यमंत्री ने कहा था कि यह हिमालय नहीं, तमिलनाडु पर हमला है क्योंकि वह अवसर ऐसा था कि जिसकी हम सब भक्ति करते हैं। भारत माता के सम्मान की बात थी तो जो अंदर का सच है, वह बाहर आ गया। हम सबका खान-पान अलग हो सकता है, लेकिन डीएनए एक है।
गांव की भी चिंता करते थे अमर शहीद अब्दुल हमीद
संघ प्रमुख ने कहा, अब्दुल हमीद गांव की भी चिंता करते थे। उनका जीवन सब के लिए उदाहरण बन गया। उनकी जयंती पर हर वर्ष आना चाहिए। वास्तव में शहीद अमर हो जाते हैं। शहीद का बलिदान महान होता है। उनका स्मरण रखना है। दो बातों का संकल्प लेना है, जिसे सालभर में पूरा करना है।