4PM के बाद गुजरात समाचार और जीएसटीवी पर बड़ी कार्रवाई

  • चैनल ने सरकारी भ्रष्टाचार की रिपोट्र्स को किया था प्रकाशित
  • आईटी और ईडी की रेड
  • एक बार फिर मीडिया की आवाज को दबाने की कोशिश
  • पूर्व में भी इस प्रकार की कार्रवाइयां दर्जनों मीडिया संस्थानों पर हो चुकी हैं

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। एक बार फिर मीडिया की आवाज को दबाने के लिए सरकारी छापेमारी अभियान शुरू किया गया है। इस बार निशाना गुजरात समाचार और जीएसटीवी है जहां आइटी की टीम ने गुजरात समाचार और जीएसटीवी से जुड़े लोगों और उनके व्यवसायिक ठिकानो पर सर्च के नाम पर छापा मारा। यह सर्च आपरेशन 36 घंटे से ज्यादा समय तक के लिए चला। छापेमारी के पीछे दावा किया गया कि टैक्स चोरी और संदिग्ध विदेशी फंडिंग की जांच चल रही है। लेकिन सवाल यह है कि क्या वाकई यह महज़ वित्तीय जांच है? या फिर एक बड़े राजनीतिक समीकरण का हिस्सा, जिसमें सत्ताधारी दल के खिलाफ बोलने वाले मीडिया घरानों को ख़ामोश किया जा रहा है?

4PM ने जीती है लड़ाई

सनद रहे कि देश के लोकप्रिय न्यूज नेटवर्क 4पीएम पर भी हाल ही में ?सरकार की ओर से डिजिटल स्ट्राइक की गयी थी। लाखों फालोवर्स वाले उसके यूटयूब चैनल को बंद कर मीडिया की सशक्त आवाज का बंद करने का असफल प्रयास किया गया था। चैनल के संपादक संजय शर्मा झुके नहीं और सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ी। जीत हमेशा सच की ही होती है और 4पीएम की भी जीत हुई और सरकार को बैन को हटाना पड़ा।

गुजरात समाचार के मुताबिक

गुजरात समाचार और जीएसटीवी के संचालको की माने तो आइपीओ वाले केस को लेकर सेबी से पत्राचार चल ही था। लंबे समय से सेबी की तरफ से भी कोई आदेश के पत्र व्यवहार नही हुआ था। यानी मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था। सवाल यह उठता है कि जब सेबी के पास ही केस चालू था तो फिर अचानक ईडी की कार्यवाही क्यो हुई। जिस तरह से बाहुबली शाह की गिरफ्तारी हुई इससे सीधा संदेश जाता है कि सत्ता पक्ष गुजरात समचार और जीएसटीवी की आवाज जोकि जनता की आवाज है उसे दबाना चाहती है।

तय करना होगा कि सवाल पूछें या फिर खामोश रहें

मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है। लेकिन जब यह स्तंभ सरकारी बुलडोजऱ के निशाने पर हो तो पूरी इमारत डगमगाने लगती है। गुजरात समाचार और जीएसटीवी पर छापे इस खतरे की घंटी हैं कि भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता अब एक कानूनी किताब की परिभाषा भर रह गई है जमीन पर उसका वजूद खतरे में है। इस संकट के समय पत्रकारों को और नागरिक समाज को और आम लोगों को यह तय करना होगा कि वे चुप रहेंगे या सवाल पूछने वालों के साथ खड़े होंगे। क्योंकि यदि आज मीडिया चुप हो गया तो कल जनता की आवाज़ भी खो जाएगी।

टाइम मैनेजमेंट पर सवाल

गौरतलब है कि ये छापे उस वक्त मारे गये हैं जब गुजरात समाचार ने हाल ही में मुख्यमंत्री कार्यालय से जुड़े कथित घोटालों पर एक स्ंिटग ऑपरेशन प्रकाशित किया था। जीएसटीवी ने कुछ विपक्षी नेताओं के इंटरव्यू और रिपोट्र्स को प्रमुखता से दिखाया था जिसमें सरकार की आलोचना हुई थी। राज्य में लोकसभा चुनाव की सरगर्मी के बीच मतदाता जागरूकता और ईवीएम से जुड़ी कुछ रिपोट्र्स इन चैनलों द्वारा चलाई जा रही थीं। चैनल का कहना है कि यह पैटर्न कोई नया नहीं। हम इस छापेमारी से डरने वाले नहीं हैं। क्योकि इससे पहले बहुत से न्यूज चैनल और अखबरों से जुड़े लोगों पर इस प्रकार की कार्रवाई हो चुकी है।

कुछ नहीं मिला तो…

आईटी ने अखबार समुह के मालिको के परिवार के कई सदस्यो को इन्टेरोगेट किया। सभी जगह पर सर्च किया। पर कहीं कोई आपत्तिजनक चीज नहीं मिली जिस पर केस बने। 36 घंटे के मैराथन छापे के बाद भी जबकुछ नहीं मिला तो टीम ने यह बाद उच्चाधिकारियों को बाताई और छापेमारी की कार्रवाई को बंद कर जैसे ही बाहर निकले। वैसे ही जीएसटीवी के परीसर की ईडी की टीम एन्ट्री हो गयी। ईडी ने 9 वर्ष पुराने एक केस को आधार बना कर गुजरात समाचार के 73 वर्षीय बाहुबली शाह को गिरफ्तार कर लिया। बाहुबली शाह वैसे ही हार्ट पेशेन्ट है, आचानक हुई कार्यवाही से उनकी तबियत खराब हो गयी जिन्हें अहमदाबाद के निजी अस्पताल मे एडमिट करा दिया गया है, फिलहाल उनकी तबियत डॉक्टरो के अनुसार स्टेबल बताई जा रही है।

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