चुनाव से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका
दिग्गज नेता आरपीएन सिंह का इस्तीफा, भाजपा में शामिल
- कांग्रेस स्टार प्रचारक की सूची में भी था नाम
- स्वामी प्रसाद मौर्या के खिलाफ उतारने की भाजपा कर रही तैयारी
- सोनिया गांधी को भेजा त्यागपत्र, ट्विटर पर लिखा, शुरू करने जा रहा हूं सियासी जीवन का नया अध्याय
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। जैसे-जैसे यूपी विधान सभा चुनाव के मतदान की तारीखें नजदीक आती जा रही हैं प्रदेश का सियासी पारा चढ़ता जा रहा है। सियासी दलों में दल-बदल का खेल भी जारी है। इसी कड़ी में चुनाव से पहले आज कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। कांग्रेस के दिग्गज नेता आरपीएन सिंह ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपना इस्तीफा कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेज दिया है। इसके बाद वे भाजपा मुख्यालय पहुंचे और पार्टी की सदस्यता ली। माना जा रहा है कि भाजपा आरपीएन सिंह को स्वामी प्रसाद मौर्या के खिलाफ कुशीनगर की पडरौना विधान सभा सीट से उतारने की तैयारी में है। हालांकि अभी इसकी आधिकारिक पुष्टिï नहीं हुई है। कांग्रेस के स्टार प्रचारकों की लिस्ट में भी आरपीएन सिंह का नाम शामिल था।
केन्द्र की मनमोहन सिंह सरकार में मंत्री रहे कुशीनगर के शाही सैंथवार परिवार के आरपीएन सिंह को कांग्रेस ने सोमवार को उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में पहले चरण के मतदान के लिए 30 सदस्यीय स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल किया था। उनके इस्तीफे से सियासत गर्म हो गयी है। पूर्व केन्द्रीय मंत्री आरपीएन सिंह आज दोपहर नई दिल्ली स्थित भाजपा मुख्यालय पहुंचे और भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। बताया जा रहा है कि इसके पहले उनकी मुलाकात पीएम नरेन्द्र मोदी और भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से हो चुकी है। वह बीते कई महीने से कांग्रेस में सक्रिय नहीं थे। आरपीएन सिंह पूर्वांचल में कांग्रेस का बड़ा चेहरा माने जाते हैं। उनका कांग्रेस से पुराना नाता रहा है। उनके पिता सीपीएन सिंह भी पुराने कांग्रेसी थे। आरपीएन सिंह भी अपने पिता सीपीएन सिंह की तरह पडरौना के विधायक रहे हैं। वर्ष 1996 से 2009 तक विधायक रहने के बाद आरपीएन सिंह कुशीनगर से 15वीं लोकसभा सदस्य बने। 16वीं लोकसभा चुनाव में भाजपा के राजेश पांडेय ने उन्हें हरा दिया था। आरपीएन सिंह के भाजपा में आने की चर्चा काफी समय से चल रही थी। पार्टी उनको स्वामी प्रसाद मौर्या के खिलाफ पडरौना विधान सभा सीट से चुनाव लड़वा सकती है। आरपीएन सिंह के कांग्रेस छोडऩे पर पी चिंदबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम ने लिखा कि आरपीएन सिंह उस लज्जाजनक लिस्ट में शामिल हो गए जिसमें जितिन प्रसाद और ज्योतिरादित्य सिंधिया थे।
403 सीटों पर होना है मतदान
यूपी में 403 सीटों पर कुल सात चरणों में मतदान होगा। पहले चरण का मतदान 10 फरवरी को होगा और इसकी शुरुआत पश्चिमी यूपी से होगी। वहीं, दूसरे चरण का मतदान 14 फरवरी, तीसरे चरण का मतदान 20 फरवरी, चौथे चरण का मतदान 23 फरवरी, 5वें चरण का मतदान 27 फरवरी, छठे चरण का मतदान 3 मार्च और 7 वें चरण का मतदान 7 मार्च को होगा। वोटों की गिनती 10 मार्च को होगी।
संत, महंत हो सकता है लेकिन सीएम-पीएम नहीं: स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद
- इशारों-इशारों में सीएम योगी पर साधा निशाना, 80-20 वाले बयान को बताया विभाजनकारी
- धार्मिक पदों पर कब्जा करना चाहते हैं राजनीतिक दल, शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य हैं अविमुक्तेश्वरानंद
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
प्रयागराज। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने इशारों-इशारों में सीएम योगी आदित्यनाथ पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि कोई संत मुख्यमंत्री नहीं हो सकता। जो मुख्यमंत्री होगा वह संत नहीं रहता। मुख्यमंत्री का पद संवैधानिक है। उस पद पर आसीन होने वाला व्यक्ति धर्मनिरपेक्षता की शपथ लेता है। कोई भी आदमी दो प्रतिज्ञाओं का पालन नहीं कर सकता है। एक संत, महंत हो सकता है, लेकिन मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री नहीं।
उन्होंने कहा कि हर प्रमुख पदों पर राजनीति दल अपने लोगों को स्थापित कर रहे हैं। इसमें सभी दल शामिल हैं। राजनीतिक दल अपने विचारों को आगे बढ़ाने के लिए मतदाताओं के साथ धार्मिक पदों पर कब्जा करना चाहते हैं। देश में कुछ लोग चाहते हैं कि धर्मगुरु उनकी भाषा में बात करें इसीलिए धर्म का प्रचार करने वाले लोग इसकी पुरानी किताबों पर चल रहे हैं और उन्हें परेशान कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव पर उन्होंने कहा कि लोगों को सही आदमी और सही पार्टी का चुनाव करना चाहिए ताकि सरकार बनने के बाद उन्हें पछताना न पड़े जैसा कि इन दिनों महसूस किया जा रहा है। चुनाव में 80 और 20 के बयान को उन्होंने देश तोडऩे वाला बताया। उन्होंने कहा कि इससे देश में विभाजन की स्थिति उत्पन्न होगी, ऐसी बात करने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज होना चाहिए। यही नहीं उन्होंने माघ मेला क्षेत्र की व्यवस्था पर नाराजगी जताते हुए कहा कि इस वर्ष माघ मेला की बहुत अनदेखी हुई है। अव्यवस्था से आहत होकर कुछ संत उपवास और आत्मदाह की धमकी देने को मजबूर हुए हैं। अधिकारियों का कहना है कि उनके पास पर्याप्त बजट नहीं है। अगर ऐसा है तो संतों को सार्वजनिक रूप से बताएं। संत चंदा से धन एकत्र करके उन्हें दे देंगे।