BJP के घर में बड़ी सेंधमारी, चैतर वसावा ने AAP को दिया पावर बूस्टर, 2027 में चलेगा सिक्का!
चैतर वसावा ने बीजेपी के गढ़ में बड़ी सेंध लगाकर राजनीतिक हलचल तेज कर दी है... AAP की आदिवासी क्षेत्रों में पकड़ लगातार मजबूत होती दिख रही है...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः दोस्तों गुजरात की राजनीति हमेशा से ही रंग-बिरंगी रही है.. यहां बीजेपी का दबदबा ऐसा है कि लोग इसे गढ़ कहते हैं.. लेकिन पिछले कुछ सालों में चैतर वसावा एक नया नाम उभर रहा है.. ये नाम सिर्फ एक व्यक्ति का नहीं.. बल्कि पूरे आदिवासी समुदाय की आवाज बन चुका है.. चैतर वसावा आम आदमी पार्टी के विधायक हैं.. उन्होंने देदियापाड़ा विधानसभा सीट से 2022 के चुनाव में बीजेपी को करारी शिकस्त दी.. उनकी बेबाकी और सड़क से सदन तक की लड़ाई.. और आदिवासी मुद्दों पर सीधी बात ने उन्हें स्टार बना दिया.. वहीं आज जब 2027 के विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं.. तो विशेषज्ञ मानते हैं कि चैतर जैसे नेताओं की वजह से AAP आदिवासी बेल्ट में मजबूत पकड़ बना रही है.. सत्ता का संतुलन बदल सकता है.. और AAP का सिक्का चल सकता है..
आपको बता दें कि चैतर वसावा का जन्म 1988 के आसपास नर्मदा जिले के एक छोटे से आदिवासी गांव में हुआ था.. वसावा समुदाय का ये युवक शुरू में किसान था.. खेती-बाड़ी के साथ-साथ लेबर कॉन्ट्रैक्टर का काम करता था.. लेकिन जल्द ही वो सामाजिक कार्यकर्ता बन गया.. आदिवासी इलाकों में जमीन के अधिकार.. पानी की कमी, स्कूल-हॉस्पिटल की कमी जैसे मुद्दों पर वो सड़कों पर उतर आया.. 2015 में चैतर ने राजनीति में कदम रखा.. वो जनता दल (यूनाइटेड) से जुड़े.. लेकिन असली पहचान तब मिली जब वो भारतीय ट्राइबल पार्टी में शामिल हुए.. BTP के नेता छोटूभाई वसावा के बेटे महेश वसावा के साथ चैतर ने काम किया.. 2017 के विधानसभा चुनाव में महेश की जीत में चैतर का बड़ा हाथ था.. लेकिन 2022 आने से पहले चीजें बदल गईं.. BTP ने चैतर को देदियापाड़ा से टिकट नहीं दिया.. जिसके चलते चैतर वसावा को भारी नाराजगी हुई.. और चैतर वसावा ने BTP छोड़ दिया..
नवंबर 2022 में चैतर AAP में शामिल हो गए.. AAP गुजरात में नया था.. लेकिन आदिवासी मुद्दों पर फोकस कर रहा था.. अरविंद केजरीवाल ने चैतर को तुरंत देदियापाड़ा से टिकट दिया.. चुनाव लड़े, और जीते.. बीजेपी के हितेशकुमार देवजिभाई वसावा को 40,282 वोटों से हराया.. चैतर को 1,03,433 (55.87%) कुल वोट मिले.. और बीजेपी को 63,151 (34.11%) कुल वोट मिला.. वहीं वोटर टर्नआउट 76% रहा.. ये AAP की गुजरात में पांच सीटों में से एक थी.. जो आदिवासी बेल्ट की ताकत दिखाती है. आपको बता दें कि चैतर की खासियत वो बहुविवाही हैं.. उनकी दो पत्नियां, शकुंतला और वर्षा हैं.. ये आदिवासी परंपरा का हिस्सा है.. लेकिन राजनीति में इसे मुद्दा बनाया जाता रहा.. फिर भी उनकी सादगी और बेबाकी ने लोगों को जोड़ा.. 2023 में वो AAP गुजरात के वर्किंग प्रेसिडेंट बने.. जनवरी 2023 में विधानसभा में AAP के लेजिस्लेटिव पार्टी लीडर भी..
बता दें कि गुजरात में आदिवासी 15% आबादी हैं.. दक्षिण-पूर्व के जिले जैसे नर्मदा, छोटा उदेपुर, दाहोद, भरूच आदिवासी बहुल हैं.. यहां 27 विधानसभा सीटें आरक्षित हैं.. बीजेपी 1995 से सत्ता में है.. और आदिवासी वोट बैंक इसका बड़ा हिस्सा है.. 2022 चुनाव में बीजेपी ने 156 सीटें जीतीं.. लेकिन AAP ने पांच सीटें जीती जिसमें चार आदिवासी इलाकों की सीटें थीं.. बता दें कि गुजरात में जमीन हड़पना, जंगल कटाई, बेरोजगारी, शिक्षा-स्वास्थ्य की कमी समेत तमाम आदिवासी मुद्दे है.. चैतर वसावा ने इन्हें जोर-शोर से उठाया.. और UCC (यूनिफॉर्म सिविल कोड) पर विरोध किया.. और कहा कि UCC आदिवासियों को खत्म कर देगा.. ग्राम पंचायत से सांसद तक हमारी आवाज दब जाएगी.. 2023 में UCC पर AAP ने विरोध प्रदर्शन किए.. जिसमें चैतर वसावा आगे रहे…
जिसके चलते चैतर वसावा पर हमले हुए.. 2023 में वन अधिकारियों पर हमले का केस दर्ज हुआ.. और नवंबर 2023 में FIR हुई.. दिसंबर में चैतर वसावा ने सरेंडर कर दिया.. और जेल चले गए.. जिसके बाद आप ने कहा कि फर्जी केस है.. क्योंकि चैतर वसावा लोकसभा टिकट जीतने वाले थे.. केजरीवाल ने ट्वीट किया कि बीजेपी आदिवासियों को आगे नहीं आने देती.. 2024 लोकसभा में चैतर वसावा भरूच से लड़े.. जेल से ही कैंपेन किया.. और उनकी पत्नियां सड़कों पर उतर आई.. लेकिन वो चुनाव हार गए.. लेकिन बीजेपी के मनसुख वसावा का मार्जिन 20 साल में पहली बार कम हुआ.. और 2 लाख वोट घट गए…
वहीं 2025 में नया विवाद खड़ा हो गया.. 5 जुलाई को देदियापाड़ा में बीजेपी नेता संजय वसावा से झड़प हो गई.. और ATVT मीटिंग में बहस और फिर मारपीट हो गई.. जिसके बाद चैतर वसावा पर हत्या के प्रयास का केस दर्ज हुआ.,. और वे 63 दिन जेल में रहे..जिसको लेकर AAP ने कहा कि यह राजनीतिक साजिश है.. केजरीवाल ने नर्मदा में रैली की.. और चैतर वसावा को आदिवासी प्रतिरोध का प्रतीक कहा.. 8 सितंबर को गुजरात हाईकोर्ट ने 3 दिन की विधानसभा सत्र के लिए अंतरिम जमानत दी.. वहीं चैतर वसावा के बाहर आते ही जश्न का माहौल बना.. और अक्टूबर 2025 में स्थायी जमानत मिल गई.. लेकिन 1 साल तक देदियापाड़ा में एंट्री बैन कर दी गई.. फिर भी, चैतर घूम-फिरकर आदिवासी इलाकों में सक्रिय हो गए.. जिसको लेकर नवभारत टाइम्स ने लिखा कि जमानत के बाद चैतर वसावा की लोकप्रियता दोगुनी हो गई है.. दाहोद-छोटा उदेपुर में भी उनके समर्थन में भारी भीड़ उमड़ रही है..
आपको बता दें कि चैतर वसावा की ताकत उनकी सीधी बात है.. 2024 लोकसभा में हार के बावजूद, आदिवासी सीटों पर AAP ने दबदबा दिखाया.. देदियापाड़ा में वोट शेयर बढ़ा.. इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा कि चैतर बीजेपी के लिए खतरा हैं.. 2025 में BJP में फूट हो गई और भरूच MP मनसुख वसावा ने आरोप लगाए कि पार्टी के ही लोग चैतर को सपोर्ट कर रहे हैं.. वहीं 4 दिसंबर 2025 को चैतर ने पंचमहाल के मोरवा हडफ में विशाल रैली की.. 500 से ज्यादा BJP-कांग्रेस नेता AAP में शामिल हो गए.. और चैतर वसावा ने कहा कि BJP पूंजीपतियों के लिए बंदूक की नोक पर जमीन छीन रही है.. अंग्रेजों से ज्यादा खतरनाक है..



