06 बजे तक की बड़ी खबरें

1 बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं। लेकिन इसी बीच वोटर लिस्ट को लेकर जमकर राजनीति हो रही है। मामला इतना बढ़ा कि सुप्रीम कोर्ट तक पहुँच गए जिसके बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। न्यायालय ने कहा कि वोटर लिस्ट संशोधन जारी रहेगा संवैधानिक संस्था के कार्य में बाधा नहीं डालेंगे। कोर्ट ने चुनाव आयोग से फैसले की टाइमिंग पर सवाल किए। याचिकाकर्ताओं ने वोटर लिस्ट रिवीजन की प्रक्रिया पर सवाल उठाए जिसे तेजी से अंजाम दिया जा रहा है।
2 महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और शिवसेना शिंदे गुट के नेता संजय शिरसाट को आयकर विभाग ने नोटिस भेजा है. वहीं इसके बाद ये दावा किया जा रहा था कि उनपर दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है. वहीं अब इनकम टैक्स के नोटिस और दबाव के दावे पर संजय शिरसाट ने जवाब दिया है। इसे लेकर शिरसाट ने कहा, “आयकर विभाग सबकी जांच करता है. शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे और मुझे नोटिस मिले हैं. आयकर विभाग को जवाब देना ही होगा.
3 पंजाब भाजपा अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने आम आदमी पार्टी सरकार द्वारा बेअदबी के खिलाफ लाए जा रहे विधेयक पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सरकार को धार्मिक संस्थानों से विचार-विमर्श करना चाहिए था और विधायकों को मसौदा देना चाहिए था। जाखड़ ने सरकार पर ड्रामेबाजी करने का आरोप लगाया और कहा कि भाजपा नेक नीयत से उठाए गए कदमों का स्वागत करेगी।
4 आरजेडी नेता मनोज झा ने बिहार में मतदाता सूची संशोधन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई को लेकर कहा कि लोग न्याय की उम्मीद लेकर कोर्ट जाते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि 25 दिनों के भीतर दस्तावेजों की मांग कर आम जनता पर अनावश्यक दबाव डाला जा रहा है। झा ने इसे अराजकता और हठधर्मिता बताते हुए सुप्रीम कोर्ट से मिसाल कायम करने की अपील की।
5 मतदाता सूची को लेकर बिहार का सियासी पारा सातवें आसमान पर है। वहीं इसी बीच आरजेडी नेता मृत्युंजय तिवारी ने चुनाव आयोग पर निशाना साधते हुए कहा कि तेजस्वी यादव जो सवाल उठा रहे हैं, उनका स्पष्ट जवाब नहीं मिल रहा है। उन्होंने पूछा कि आधार और राशन कार्ड को अलग करने की क्या जरूरत थी। साथ ही, दस्तावेज जमा करने के लिए कम समय देने पर भी सवाल उठाए। तिवारी ने कहा कि नागरिकता तय करना गृह मंत्रालय का काम है, चुनाव आयोग का नहीं।
6 उत्तराखंड में सनातन धर्म की आड़ लेकर लोगों को ठगने वाले छद्म भेषधारियों के खिलाफ अब सख्त कार्रवाई की जाएगी। बता दें कि मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को ऑपरेशन कालनेमि शुरू करने के निर्देश दिए हैं। जानकारी के मुताबिक प्रदेश में ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां असामाजिक तत्व साधु-संतों का भेष धारण कर विशेषकर महिलाओं को ठगने का कार्य कर रहे हैं। इससे न केवल धार्मिक भावनाएं आहत हो रही हैं, बल्कि सनातन परंपरा की छवि को भी ठेस पहुंच रही है। जिसके बाद अब धामी सरकार इस मामले को लेकर एक्टिव नजर आ रही है। \
7 भाषा विवाद को लेकर सिर्फ महाराष्ट्र में बल्कि देश पर में बवाल मचा हुआ है। इसी बीच इस पर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कहा, “मैंने कहा कि महाराष्ट्र का आजादी के आंदोलन में बहुत बड़ा योगदान है..मराठी भाषा का जैसे सम्मान है वैसे कन्नड़, तमिलियन, तेलगू का सम्मान है उसी तरह से जैसे उनका अपना मूल भाषा है और उन्हें अपनी भाषा से प्यार है उसी तरह से बिहार, यूपी, झारखंड,मध्य प्रदेश, राजस्थान के लोगों की भी अपनी भाषा है हिंदी भाषा है।
8 मुख्यमंत्री सुक्खू ने मंडी में बादल फटने से प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया और राहत कार्यों के लिए 7 करोड़ रुपये जारी करने के निर्देश दिए। बागवानी एवं वानिकी महाविद्यालय अब सुंदरनगर में शुरू होगा क्योंकि थुनाग क्षेत्र भूस्खलन से प्रभावित है। छतरी-चैलचौक मार्ग को केंद्रीय सड़क निधि में शामिल किया जाएगा। भूमिहीन प्रभावितों को राहत प्रदान की जाएगी और वैकल्पिक पुनर्वास सुनिश्चित किया जाएगा।
9 शिवसेना विधायक संजय गायकवाड़ द्वारा खराब भोजन की गुणवत्ता का आरोप लगाते हुए एक कैंटीन कर्मचारी को थप्पड़ मारने पर, शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, “…उनकी पार्टी ने न तो इसका संज्ञान लिया और न ही इस पर कोई टिप्पणी की। अमित शाह की सेना, जो भाजपा के साथ सत्ता में है, अपने ही विधायक पर क्या कार्रवाई करेगी? उस पर कार्रवाई करने और मामला दर्ज करने के बजाय, उन्होंने कैंटीन का लाइसेंस रद्द कर दिया – उल्टा चोर कोतवाल को डांटे।
10 शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत के ‘महाराष्ट्र निकाय चुनावों में भारत-नेतृत्व गठबंधन की कोई गुंजाइश नहीं’ वाले कथित बयान पर, कांग्रेस नेता नाना पटोले ने कहा कि गठबंधन टूटने का कोई मुद्दा नहीं होगा। उन्होंने कहा “मुझे कोई टिप्पणी करने की ज़रूरत नहीं है। मैं संजय राउत पर कोई टिप्पणी नहीं करूँगा। मैंने कई बार कहा है कि स्थानीय निकाय चुनाव स्थानीय कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं को विश्वास में लेकर लड़े जाते हैं। इसलिए, इन चुनावों को इस तरह नहीं देखा जाना चाहिए.



