भाजपा पर भारी पड़ेगा बिहारी दांव!
नीतीश सरकार ने जातिगत जनगणना करवाने की कर दी शुरूआत
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- एतिहासिक काम की शुरुआत, विकास में मिलेगा आम जन को बड़ा लाभ
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
पटना। बिहार में जातिगत जनगणना का पहला दौर 7 जनवरी से शुरू हो गया। नीतीश सरकार के इस फैसले का जहां लोगों ने स्वागत किया है वहीं भाजपा ने इसका विरोध किया है। नीतीश के इस फैसले के सियासी मायने भी हैं। उनका यह फैसला भाजपा शासित राज्यों पर भी नैतिक दबाव डाल सकता है, तभी बिहार भाजपा के नेता खुलकर इसकी मुखालफत नहीं कर रहे वे बस इतना कह रहे हैं कि प्रवासी बिहारियों को भी इसमें शामिल कर लिया जाए।
गौरतलब हो कि इस सर्वे में पहले चरण में आवासीय मकानों पर नंबर डाले जाएंगे, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी समाधान यात्रा के दौरान शिवहर में कहा कि इस जनगणना के दौरान केवल जातियों की गणना नहीं, बल्कि राज्य के हर परिवार के बारे में पूरी जानकारी मिलेगी। उससे देश के विकास और समाज के उत्थान में बहुत फ़ायदा होगा। अपनी इसी यात्रा के तहत बिहार के सीएम ने शिवहर में लोगों से मुलाकात की, इस दौरान उन्होंने जातिगत जनगणना के फायदे भी बताए।
नीतीश कुमार ने कहा कि समाधान यात्रा का उद्देश्य लोगों की शिकायतों को समझना और उनकी समस्याओं का समाधान करना है, सीएम ने कहा कि हम लोगों की शिकायतों को समझने के लिए राज्य के विभिन्न जिलों का दौरा कर रहे हैं, जिससे हमें उनकी समस्याओं को हल करने में मदद मिलेगी, हम किए गए कार्यों और किए जाने वाले कार्यों का जायजा ले रहे हैं, हम सभी के साथ बैठक करेंगे, अधिकारी और एक महीने के बाद उनसे विस्तृत रिपोर्ट लेंगे। 5 जनवरी को पश्चिम चंपारण के बेतिया से शुरू हुई ये यात्रा राज्य के विभिन्न जिलों को कवर करते हुए समाप्त होगी, यात्रा का विस्तृत कार्यक्रम बिहार के कैबिनेट सचिवालय विभाग द्वारा प्रकाशित किया गया है। वहीं तेजस्वी यादव ने कहा कि बहुत ही ऐतिहासिक काम की शुरुआत हुई है।
भाजपा गरीब विरोधी, नहीं चाहते आंकड़े हों उजागर : तेजस्वी
पटना बिहार में जातीय सर्वे की शुरुआत होने पर राज्य के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने कहा कि बहुत ही ऐतिहासिक काम की शुरुआत हुई है। उन्होंने कहा कि इसका निर्णय बहुत पहले हो गया था, हम लोगों की यह मांग पहले से ही रही है, लेकिन केंद्र सरकार ने इसे पार्लियामेंट में भी टाल दिया, उन्होंने आगे कहा कि लालू जी के रहते हुए मनमोहन सरकार ने यह करवाया भी था, उसमें सारी चीजें थीं लेकिन बाद में भाजपा के लोगों ने डेटा को करप्ट बता दिया। इसके बाद हमने विधानसभा में भी प्रस्ताव रखा था, प्रधानमंत्री से भी मिलकर आए थे, भारत सरकार से इसे पूरे देश में करने की मांग की थी भाजपा गरीब और दलित विरोधी है, ये लोग नहीं चाहते कि जातीय जनगणना हो, इसलिए इन्होंने हरसंभव कोशिश की ताकि सही आंकड़ा सामने ने आए, इसलिए इन्होंने डेटा को करप्ट बता दिया. लेकिन आज इसकी शुरुआत हो रही है, जिसे कास्ट बेस्ड सर्वे का नाम दिया गया, जिससे हमारे पास साइंटिफिक डेटा होगा, उसी हिसाब से जरूरी और कल्याणकारी योजनाएं बनेगी। तेजस्वी यादव ने कहा कि इसे ये मालूम होगा कि किसे आगे लेकर चलना है, कौन भूमिहीन है, कौन नाला साफ करता है, कौन कचरा ढोहता है और कौन भीख मांगता है, ये सभी आकंड़े हमारे पास होंगे, इसी को लेकर बीजेपी डरी हुई है, क्योंकि वो नहीं चाहती कि ये आंकड़ उजागर हो, इसी के साथ उन्होंने कहा कि बिहार सीएम ने अपनी यात्रा का मकसद भी बता दिया है, लेकिन हम तमाम विपक्षी दल एकजुट होकर चुनाव लडऩा चाहते हैं जिसको लेकर जिसे जो टिप्पणी करनी है करे, वो स्वतंत्र है, किसी पर कोई पाबंदी तो है नहीं।