4पीएम नेशनल चैनल को बीजेपी ने भारत में कराया बैन, सपोर्ट में उतरे तमाम दिग्गज

सत्ता की असली चिंता ये है कि ऐसे ‘माउथऑरगन’ चैनल चले गये तो सत्ताधारी अपने लगातार घटते समर्थकों को कैसे बचाएंगे अपना नफ़रती एजेंडा कैसे चलाएंगे, उनकी हर गलत बात को सही साबित करनेवाले ‘मूढ़ लोग’ कहाँ से लाएंगे।

4पीएम न्यूज नेटवर्कः भारत में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी यानी बीजेपी ने कथित तौर पर ‘4PM नेशनल चैनल’ को  बैन  किया गया है सरकार के अनुसार, चैनल पर प्रसारित की जा रही कुछ खबरें ‘भ्रामक और राष्ट्रविरोधी’ थीं। जो सामाजिक सौहार्द को प्रभावित कर सकती थीं। इस कदम के बाद देशभर में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। जहां विपक्षी दलों ने इस बैन को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया है।

विपक्ष की तीखी प्रतिक्रिया
कांग्रेस और आम आदमी पार्टी समेत कई विपक्षी दलों ने इस फैसले की आलोचना की है। कहा, “यह मीडिया पर हमला है। सरकार सवालों से डर रही है और उसे चुप कराना चाहती है।”

क्या है आगे की राह?
फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि यह बैन अस्थायी है या स्थायी। चैनल की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन जानकारी के मुताबिक, वे इस मामले को अदालत में चुनौती देने की तैयारी कर रहे हैं।

‘पाबंदी’ अंत की ओर बढ़ती ‘भयभीत सत्ता’ की निशानी होती है।

लोकप्रिय यूट्यूब चैनल बंद करने या किसी लोकगायिका पर एफ़आइआर के पीछे असली वजह दर्शकों के बीच नकारे जा चुके, उन बड़े न्यूज़ चैनलों को बचाने की है, जिनका सत्ता से वो नालबद्ध संबंध है, जिसका आर्थिक सिद्धांत है : ‘जिसका दाना, उसका गाना’। इन जुमलाई चैनलों का झूठ अब सिर्फ़ वही देख रहा है, जो आज तक ये नहीं समझ पाया है कि उसकी भावनाओं का शोषण करके उसे लगातार मूर्ख बनाया जा रहा है और बनाए रखा भी जा रहा है। ये मूर्खता की डेली डोज़ परोसनेवाले तथाकथित बड़े न्यूज़ चैनल हैं। सत्ता की असली चिंता ये है कि ऐसे ‘माउथऑरगन’ चैनल चले गये तो सत्ताधारी अपने लगातार घटते समर्थकों को कैसे बचाएंगे अपना नफ़रती एजेंडा कैसे चलाएंगे, उनकी हर गलत बात को सही साबित करनेवाले ‘मूढ़ लोग’ कहाँ से लाएंगे।

ये वो तथाकथित बड़े न्यूज़ चैनल्स हैं, जो दो लोगों के बीच ‘आग जलाकर’ शांतिपूर्ण वार्ता करते हैं। ऐसे कर्तव्यच्युत चैनल उन परंपरागत बदज़ुबान लोगों को भी बुलाते हैं जिनको मुक्त रूप से अपशब्द कहने की छूट है और जिनके दुष्कथन कहते समय उनके प्रोग्राम के संचालक सुनने, समझने व देखने की शक्ति कुछ समय के लिए खो देते हैं। जिस जहाज के खेवनहार ऐसे ‘इंद्रियों से हीन’ असंवेदनशील लोग होंगे, उनको डूबने से कोई नहीं बचा सकता। इनके मालिक लोग जब अपने कर्म और कर्तव्य के सगे नहीं हैं तो वो ऐसे संचालकों को क्या बचाएंगे जिनका वजन ‘पत्रकारिता-धर्म निभाने की तराज़ू’पर शून्य से भी नीचे है।

 

आपको बता दें,कि लोकप्रिय न्यूज़ चैनल 4PM नेशनल के दोबारा प्रसारण यानी रीओपनिंग को लेकर अभी तक सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। दर्शकों में इस चैनल को लेकर उत्सुकता साफ तौर पर देखी जा रही है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि इसका प्रसारण फिर से शुरू होने में कितना समय लगेगा। 4PM नेशनल के संपादक संजय शर्मा की ओर से भी इस संबंध में अब तक कोई औपचारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। चैनल की बंदी को लेकर जनता में सवाल उठ रहे हैं और वे इसे अभिव्यक्ति की आज़ादी से जोड़कर देख रहे हैं। वहीं दूसरी ओर, दर्शक चाहते हैं कि चैनल जल्द से जल्द दोबारा ऑन-एयर हो ताकि वे अपनी आवाज सरकार तक पहुंचा सकें। अब सबकी निगाहें सरकार और 4PM नेशनल चैनल पर टिकी हैं कि आखिर सरकार अगला कदम क्या होगा।

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