शिक्षा विरोधी है बीजेपी सरकार: राहुल
- आईआईटी छात्रों के प्लेसमेंट पैकेज में गिरावट पर नेता प्रतिपक्ष बरसे
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा कि देश के युवा बेरोजगारी से पूरी तरह हतोत्साहित हो गए हैं और दावा किया कि भाजपा की शिक्षा विरोधी मानसिकता के कारण उनका भविष्य अध्यक्ष में है। पूर्व कांग्रेस प्रमुख की टिप्पणी एक मीडिया रिपोर्ट पर आई है, जिसमें दावा किया गया है कि 2024 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) से स्नातक होने वाले इंजीनियरों के वेतन में नियुक्ति में मंदी के कारण गिरावट आई है। गांधी ने अपने व्हाट्सअप चैनल पर कहा कि आर्थिक मंदी का दुष्परिणाम अब देश के सबसे प्रतिष्ठित संस्थानों जैसे आईआईटी को भी भुगतना पड़ रहा है।
आईआईटी से प्लेसमेंट में लगातार गिरावट और वार्षिक पैकेज में गिरावट से युवाओं की हालत और खराब हो रही है, जो बेरोजगारी के चरम का सामना कर रहे हैं। कांग्रेस नेता ने दावा किया कि 2022 में 19प्रतिशत छात्रों को कैंपस प्लेसमेंट नहीं मिल सका और यही दर इस साल दोगुनी होकर 38प्रतिशत हो गई। गांधी ने कहा कि जब देश के सबसे प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों का यह हाल है तो बाकी संस्थानों की क्या दुर्दशा होगी। आज युवा बेरोजगारी से पूरी तरह हतोत्साहित है – माता-पिता पेशेवर शिक्षा प्राप्त करने के लिए लाखों खर्च कर रहे हैं, जबकि छात्र उच्च ब्याज दरों पर ऋण लेकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं। फिर नौकरी या सामान्य आय न मिलना ही उनकी वित्तीय स्थिति में गिरावट का कारण बन रहा है। गांधी ने कहा कि यह भाजपा की शिक्षा विरोधी मानसिकता का परिणाम है, जिसके कारण इस देश के मेधावी युवाओं का भविष्य अधर में है। क्या मोदी सरकार के पास भारत के मेहनती युवाओं को इस संकट से मुक्त कराने की कोई योजना है? उसने पूछा। गांधी ने कहा, विपक्ष अपनी पूरी ताकत से युवाओं की आवाज उठाना जारी रखेगा और इस अन्याय के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराएगा।
ऑनलाइन अटेंडेंस से ही स्कूली शिक्षा की समस्याएं नहीं होगी खत्म : प्रियंका
लखनऊ। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद के बाद कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने भी डिजिटल अटेंडेंस को लेकर शिक्षकों का समर्थन किया है। प्रियंका ने फेसबुक पर लिखा प्रदेश के शिक्षक ऑनलाइन अटेंडेंस का विरोध कर रहे हैं। उनके तर्क जायज हैं कि ज्यादातर स्कूल दूर ग्रामीण इलाकों में हैं। इनकी दिक्कतों का ध्यान नहीं रखा गया। उन्होंने पूछा कि क्या ऑनलाइन अटेंडेंस से ही स्कूली शिक्षा की समस्याएं खत्म हो जाएंगी? उन्होंने कहा कि शिक्षकों को चुनाव ड्यूटी, पोलियो ड्यूटी, कोरोना ड्यूटी, कई तरह के सर्वे, रैली में भीड़ बढ़ाने, भूसा ढोने जैसे गैर शैक्षणिक कार्य में उलझाया जाता है। स्कूलों में बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं। शिक्षकों को हॉफ डे, पेड लीव व मेडिकल सुविधा नहीं है। इन समस्याओं का समाधान निकाले बिना अव्यावहारिक आदेश जारी करना शिक्षकों को भावनात्मक व मानसिक चोट पहुंचाना है। वहीं आम आदमी पार्टी शिक्षक प्रकोष्ठ के प्रदेश महासचिव अजय गुप्ता ने भी शिक्षकों की ऑनलाइन हाजिरी दर्ज करने के आदेश को तानाशाही बताया है। उन्होंने कहा कि सरकार इस आदेश को तुरंत वापस ले।