देश को बांटने का काम कर रही भाजपा-आरएसएस : दिग्विजय
- बोले- हमारा नारा ‘धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो, प्राणियों में सद्भावना हो, विश्व का कल्याण हो’ है
- कांग्रेस मंदिर निर्माण धर्माचार्यों को सौंपना चाहती थी, राजनीतिक लोगों को नहीं
- सनातन धर्म को संकुचित करने का हो रहा प्रयास
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
भोपाल। अयोध्या में रामलला प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर राजनीतिक बयानबाजी का दौर जारी है। अब मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट कर लिखा कि सनातन धर्म के हर आयोजनों में हमारा नारा होता है धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो, प्राणियों में सद्भावना हो, विश्व का कल्याण हो। उन्होंने कहा कि हमारा कोई भी धार्मिक आयोजन बिना ‘शांति पाठ’ के नहीं होता। फिर देश में अशांति क्यों फैलायी जा रही है।
अपनी पोस्ट में बीजेपी, आरएसएस और विश्व हिंदू परिषद को घेरते हुए दिग्विजय सिंह ने लिखा कि इतने व्यापक सोच के हमारे सनातन धर्म को आप संकुचित कर रहे हैं। भारत हमारा वह देश है जिसमें हर जाति धर्म संप्रदाय वर्ग को समान अधिकार हैं और हर व्यक्ति का सम्मान है। उसे मत बांटो। यह देश सभी का है। हम सब एक हैं। धरती पर सभी का ईश्वर एक है और सभी धर्मों का संदेश एक है- इंसानियत, उसका ही पालन करो, शांति से ही भारत का विकास होगा।
आरएसएस देश के सभी धर्म स्थानों पर कब्जा करना चाहती है
वहीं अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के चारों शंकराचार्य के प्राण प्रतिष्ठा में शामिल नहीं होने वाले बयान को लेकर दिग्विजय सिंह ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने इसीलिए चारों शंकराचार्य के साथ रामानन्द सम्प्रदाय के स्वामी रामनरेशाचार्य महाराज को सदस्य बना कर रामालय न्यास का गठन किया था और सबसे वरिष्ठ द्वारिका व ज्योतिषापीठ के शंकराचार्य स्व स्वामी स्वरूपानंद महाराज को उसका अध्यक्ष बनाया था। कांग्रेस मंदिर निर्माण धर्माचार्यों को सौंपना चाहती थी ना कि राजनैतिक लोगों को। मैं पहले भी कहना चाहता था। आरएसएस पूरे देश में सभी धर्म स्थानों पर क़ब्जा करना चाहती है और सदियों पुरानी परंपराओं को समाप्त कर रही हैं। यह लोग समाज में ‘फूट डालो राज करो की राजनीति अपना रहे हैं।’
धर्म समाज को जोड़ते हैं राजनीति समाज को बांटती है
दिग्विजय ने आगे लिखा कि पहले हिंदुओं मुसलमानों में फूट डाली, फिर राम नाम को भाजपा व गैर भाजपा में बांट दिया। अब शंकराचार्य व रामानन्द सम्प्रदाय को बांट रहे हैं। चंपत राय संघ के प्रचारक हैं और उन्होंने राम भक्तों के चंदे से जमीन खरीदी में घपला कर भ्रष्टाचार किया। अब राम मंदिर के संचालन कर राम भक्तों की श्रद्धा से चढ़ाई हुई भेंट पर बीजेपी, आरएसएस का प्रचार करेंगे। सभी धर्म समाज को जोड़ते हैं राजनीति समाज को बांटती है। धर्म श्रद्धालुओं से मेरी प्रार्थना है धर्म से राजनीति अलग करो सर्व धर्म सम भाव का पालन करो।
महाराष्ट्र की सियासत में आई फैसले की घड़ी
- विधायकों की अयोग्यता मामले में आज फैसला सुनाएंगे विधानसभा अध्यक्ष
- सीएम शिंदे और उनके गुट के विधायकों के भविष्य पर लटकी तलवार
- दोनों गुटों में जारी है बयानबाजी
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
मुंबई। आज का दिन महाराष्ट्र की सियासत के लिए काफी अहम रहने वाला है। क्योंकि महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके गुट के विधायकों के खिलाफ अयोग्यता मामले में फैसला सुनाएंगे। इस तरह से शिंदे और उनके विधायकों के भविष्य पर भी अब तलवार लटक रही है।
फैसले से पहले दोनों गुटों की ओर से एक-दूसरे पर बयानवाजी का दौर जारी है और अपने-अपने दावे किए जा रहे हैं।
हमारे पास है बहुमत : शिंदे
महाराष्ट्र के सीएम शिंदे ने कहा कि मैं सिर्फ इतना ही कहना चाहता हूं कि हमारे पास बहुमत है। विधानसभा में 50 सदस्य यानी 67 प्रतिशत और लोकसभा में 13 सांसद यानी 75 प्रतिशत है। इसी आधार पर, चुनाव आयोग ने हमें मूल शिवसेना के रूप में मान्यता दी है और धनुष-बाण चुनाव चिन्ह आवंटित किया है। हमें उम्मीद है कि स्पीकर हमें योग्यता के आधार पर पारित करेंगे।
केंद्र के बाद अब योगी सरकार ने भी मदरसों के शिक्षकों के मानदेय पर लगाई रोक
- अखिलेश सरकार में बढ़ाया गया था मानदेय
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मदरसे के शिक्षकों को एक बड़ा झटका लगा है। केंद्र की मोदी सरकार के बाद अब प्रदेश की योगी सरकार ने भी अखिलेश सरकार द्वारा बढ़ाया गया मदरसा शिक्षकों का मानदेय बंद कर दिया है। अब मदरसा शिक्षकों को केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा कोई मानदेय नहीं दिया जाएगा। इस फैसले के बाद करीब 25,000 मदरसा शिक्षकों का मानदेय खत्म हो गया है।
जानकारी के मुताबिक, 1993-94 से चल रही मदरसा आधुनिकरण योजना जोकि केंद्र सरकार की योजना है। इसके तहत मदरसे में हिंदी, अंग्रेजी, विज्ञान, गणित और सामाजिक विज्ञान को पढऩे के लिए शिक्षक रखे गए थे। साल 2008 में इस स्कीम फॉर प्रोविजनिंग क्वालिटी एजुकेशन इन मदरसा के नाम पर चलाए जाने लगा। इस स्कीम के तहत 25,000 शिक्षक रखे गए थे जिसमें ग्रेजुएट शिक्षकों को 6000 और मास्टर्स कर चुके शिक्षकों को 12000 प्रति माह मानदेय दिया जाता था। साल 2016 में समाजवादी पार्टी की सरकार ने इसमें 2000 और 3000 प्रतिमाह मानदेय अपनी ओर से देने का निर्णय लिया था। इसके बाद से स्नातक मदरसा टीचरों को 8000 और परास्नातक शिक्षकों को 15000 मानदेय दिया जा रहा था।
क्यों बंद हुआ मानदेय?
दरअसल, इस योजना को केंद्र सरकार में 2021-22 तक ही स्वीकृति मिली थी जिसमें केंद्र सरकार के द्वारा पहले से ही मानदेय नहीं मिल रहा था। इसके बावजूद बजट में अतिरिक्त मानदेय जो दिया जाता था उसकी व्यवस्था को खत्म कर दिया गया है। अब इस मानदेय में कोई भी वित्तीय स्वीकृति जारी नहीं की गई है। इसी वजह से सभी जिलों को आदेश भेजते हुए मानदेय देने पर रोक लगा दी है। वहीं अल्पसंख्यक कल्याण के जॉइंट सेक्रेटरी हरि बक्श सिंह के मुताबिक मानदेय की व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया है, जो अतिरिक्त दिया जा रहा था और कोई भी इस मानदेय में बजट या वित्तीय स्वीकृति नहीं दी जा रही है। इसका आदेश सभी जिलों को भिजवा दिया गया है।