खट््टर से किनारा भाजपा की मजबूरी या रणनीति !
- खट्टर की वजह से जाटों ने बनाई भाजपा से दूरी
- पिछले 9 साल तक सीएम रहे मनोहरलाल खट्टर चुनाव प्रचार से नदारद
- पीएम मोदी और गृहमंत्री शाह की रैलियों में भी नहीं दिखे केंद्रीय मंत्री
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। विधानसभा चुनावों को लेकर हरियाणा में अब चुनाव प्रचार अपनी पूरी गर्मजोशी पर है। क्योंकि 5 अक्टूबर को होने वाले मतदान में अब ज्यादा वक्त बाकी नहीं रह गया है। सभी दल अपनी-अपनी ताकत झोंक रहे हैं। पिछले 10 सालों से सत्ता पर बैठी बीजेपी के लिए इस बार हरियाणा में राह थोड़ी मुश्किल नजर आ रही है। विपक्षी दल कांग्रेस यहां भाजपा पर हावी पड़ता दिख रहा है।
हालांकि, बीजेपी अपनी पूरी ताकत झोंक रही है, लेकिन ऐसे में एक सवाल ये भी उठ रहा है कि जो व्यक्ति पिछले 9 साल तक हरियाणा का मुख्यमंत्री रहा और जिसके नाम पर भाजपा ने हरियाणा में राज किया, उस व्यक्ति को इस चुनाव में बीजेपी ने बिल्कुल किनारे क्यों लगा दिया? यहां पर बात हो रही है हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में केंद्रीय मंत्री मनोहरलाल खट्टर की। पिछले 9 साल तक सीएम की गद्दी पर रहने वाले खट्टर इस चुनाव में काफी कटे-कटे दिख रहे हैं। वो न पीएम की सभाओं में दिख रहे हैं, न पोस्टरों में। ये सवाल तब और जोर पकड़ता है कि जब पीएम नरेंद्र मोदी हरियाणा में पिछले दिनों 2 बार आए लेकिन दोनों ही बार खट्टर को उनकी सभा में नहीं देखा गया। यही नहीं गृह मंत्री अमित शाह की सभाओं से भी वो नदारद रहे। जाहिर है कि सवाल तो उठेंगे। ये वही खट्टर हैं जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खास दोस्त हुआ करते थे। यही कारण था कि 2014 में जब हरियाणा में भारी बहुमत से बीजेपी की सरकार बनी तो सीएम के रूप में अचानक वो ध्रुवतारे की तरह उगे और फिर हरियाणा की राजनीति में छा गए। उनके कार्यकाल में उन पर भ्रष्टाचार के तो आरोप नहीं लगे पर कई बार उनके खिलाफ असंतोष गहराया और ऐसा लगा कि अब कुर्सी गई। पर हर बार वो किसी बाजीगर की तरह अपनी कुर्सी बचा लिया करते थे। फिर अचानक क्या हुआ कि उन्हें पीएम मोदी उनसे दूरी बनाने लगे हैं। क्या बीजेपी में उनके खराब दिनों की शुरूआत होने वाली है। या सिर्फ एक रणनीति के तहत पार्टी उनसे कुछ दिनों मसलन चुनावों तक के लिए दूरी बना रही है।
ओबीसी को लुभाने के लिए खट्टर से दूरी
केंद्र में मंत्री बनने के बाद भी हरियाणा में मनोहरलाल जिस तरह एक्टिव रहे, उससे ये मैसेज गया कि हरियाणा के सुपर सीएम तो खट्टर साहब ही हैं। ये बातें मुख्यमंत्री नायब सैनी के लिए ठीक नहीं थीं। दूसरे पार्टी ने जिन उद्देश्यों के चलते नायब सैनी को सीएम बनाया था वो भी पूरी नहीं हो रहीं थीं। पार्टी नायब सैनी को सीएम बनाकर चाहती थी कि ओबीसी वोटर्स को बीजेपी के पक्ष में ध्रुवीकृत किया जा सके। पार्टी की गणित ही यही है कि अगर ओबीसी ( करीब 30 प्रतिशत), पंजाबी (करीब 8 से 9 प्रतिशत), ब्राह्मण ( करीब 10 प्रतिशत) और बनिया वोट बीजेपी को मिल गए तो हरियाणा में लगातार तीसरी बार बीजेपी सरकार बनाने में सफल हो जाती। पर टिकट बंटवारे तक में नायब सैनी के बजाय खट्टर भारी पड़ गए। यहां तक कहा गया कि सीएम सैनी करनाल से विधानसभा टिकट चाहते थे पर खट्टर वहां से अपने खासम खास को टिकट दिलाने में सफल हो गए। इन सब कारणों से पिछड़े वोटर्स में ये संदेश जा रहा था कि अगर बीजेपी फिर से सरकार बनाती है तो कोई जरूरी नहीं है कि नायब सैनी फिर से सीएम बने। हो सकता है कि बीजेपी इसी कारण खट्टर से परहेज कर रही हो।
जाटों की नाराजगी भी एक वजह
हरियाणा में जाट बनाम पंजाबी के बीच प्रतिस्पर्धा रही है। बीजेपी ने जब से एक पंजाबी मनोहर लाल खट्टर को सीएम बना दिया जाटों में बीजेपी को लेकर नाराजगी बढ़ती गई। ये नाराजगी पार्टी से आगे निकलकर पंजाबी समुदाय तक पहुंच गई। हरियाणा में जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान पंजाबियों के प्रति जो नफरत जाटों में दिखी वह पहले कभी नहीं थी। कम से कम प्रतिस्पर्धा कभी हिंसा में नहीं बदली थी। आरक्षण आंदोलन के दौरान जाटों का गुस्सा पंजाबियों के घर और दुकान, कारों आदि पर निकला। बड़े पैमाने पर आगजनी हुई। कई भाजपा नेताओं का भी कहना है कि हरियाणा के सोनीपत, झज्जर और चरखी दादरी जैसे जाट बहुल क्षेत्रों में पार्टी से नाराजगी का कारण खट्टर हैं।
पीएम मोदी परेशान हैं, ज्यादा नहीं बोलते: जयराम रमेश
- कांग्रेस नेता ने कहा- घबराई हुई है केंद्र की मोदी सरकार
- पीएम ने जातिगत जनगणना पर नहीं तोड़ी चुप्पी
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। कांग्रेस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधने का कोई भी मौका नहीं छोड़ती। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश लगातार मोदी पर हमलावर रहते हैं। इसी बीच एक बार फिर से जयराम रमेश ने पीएम मोदी पर निशाना साधा है। भाजपा सांसद कंगना रनौत के बयान के बहाने रमेश ने कहा कि भाजपा ने चुनाव के दौरान 400 पार और संविधान बदलने की बात की। हमारे गैर-जैविक पीएम चुप रहते हैं और दूसरों से बयान दिलवाते हैं। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी डरे हुए हैं। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि तीन काले कानूनों को वापस लाने की मांग बीजेपी की ओर से हर दिन आती है। आगे कहा कि पीएम और स्वघोषित चाणक्य ने जाति जनगणना पर अपनी चुप्पी नहीं तोड़ी है।
केंद्र का भविष्य नायडू और नीतीश पर निर्भर
हरियाणा, झारखंड और महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की तैयारियों व बदलाव पर जयराम रमेश ने कहा कि पीएम का चेहरा देखिए, वह परेशान है। वह ज्यादा नहीं बोलते। वह दुनिया के देशों का दौरा करते हैं लेकिन मणिपुर नहीं पहुंचे हैं। वह किसानों, आरक्षण या जाति-आधारित जनगणना के बारे में बात नहीं करते हैं। चलो देखते हैं क्या होता है। उन्होंने कहा कि बहुत कुछ चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार पर निर्भर करता है। एक बात तो पक्की है कि इंडिया अलायंस संसद में मजबूत है और हमारे विपक्ष के नेता लोकसभा और राज्यसभा में आक्रामक तरीके से मुद्दे उठा रहे हैं, इसमें कोई संदेह नहीं है कि सरकार घबराई हुई है। आप ने किया एमसीडी स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य के चुनाव से बहिष्कार
सिसोदिया बोले- ये चुनाव पूरी तरह से गलत
- भाजपा कर रही लोकतंत्र को शर्मसार
- एलजी, एमसीडी या एडिशनल कमिश्नर को चुनाव कराने का अधिकार नहीं
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। दिल्ली में एक बार फिर सरकार और उपराज्यपाल आमने-सामने आ गए हैं। इस बार मामला एमसीडी स्टैंडिंग कमेटी के एकमात्र सदस्य के चुनाव से जुड़ा है। जिसको लेकर आप ने मोदी सरकार पर लोकतंत्र की हत्या करने का आरोप लगाया है।
एमसीडी की स्थायी समिति के सदस्य के चुनाव को लेकर उपराज्यपाल ने मेयर शैली ओबेराय का फैसला पलट दिया। जिसमें शैली ओबेराय ने ये चुनाव 5 अक्टूबर को कराने को कहा था, जबकि उपराज्यपाल ने गुरुवार रात को ही आदेश जारी करके चुनाव को आज ही कराने का आदेश दे दिया। इसी पर अब सियासत गरमा गई है। मनीष सिसोदिया ने एमसीडी स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य के चुनाव को लेकर कहा कि स्टैंडिंग कमेटी के एक मात्र सदस्य का चुनाव पूरी तरह से गलत है।
सिसोदिया ने बताया षड्यंत्र
मनीष सिसोदिया के अनुसार दिल्ली के एलजी विनय कुमार सक्सेना ने एमसीडी कमिश्नर को आदेश दिए कि रात तक चुनाव करा दिए जाएं। मैं, पूछता हूं- ये क्या षड्यंत्र है? आखिर एडिशनल कमिश्नर की अध्यक्षता में चुनाव कैसे हो सकता है? सिसोदिया ने कहा कि चुने हुए लोगों से बने हाउस की अध्यक्षता भला कोई अधिकारी कैसे कर सकता है? चंडीगढ़ में कोई मसीह थे, जिन्होंने नियमों की धज्जियां उड़ाई थीं। उसी तरह एमसीडी कमिश्नर कह रहे हैं कि मैं एलजी के कहने पर ऐसा कर रहा हूं।
आप इसे इनवैलिड करार देती है
सिसोदिया ने आगे कहा कि अगर यही हाल रहा तो कल को बीजेपी चाहेगी तो किसी विधानसभा या लोकसभा की मीटिंग एडिशनल सेक्रेटरी की अध्यक्षता में कराई जा सकती है। बीजेपी ने भारत के लोकतंत्र को शर्मसार किया है। आज मॉडर्न मसीह हैं कमिश्नर साहब। उन्होंने कहा कि एमसीडी स्टैंडिंग कमेटी सदस्य का चुनाव कराने का एलजी या एमसीडी या कमिश्नर को पॉवर कहीं नहीं है। आम आदमी पार्टी इस चुनाव में हिस्सा नहीं लेगी। आम आदमी पार्टी इसे इनवैलिड करार दे रही है।