लखनऊ एयरपोर्ट पर इमीग्रेशन की बड़ी कार्रवाई, ब्लैकलिस्टेड थाई नागरिक फर्जी पासपोर्ट के साथ गिरफ्तार

अधिकारियों ने उसके पास से 3 फर्जी पासपोर्ट, 2 थाई आईडी, बोर्डिंग पास और दो मोबाइल फोन बरामद किए हैं. थोंगफुन चायफा उर्फ दरिन चोकथनपट नाम की यह महिला पहले से ही भारत में यात्रा के लिए ब्लैकलिस्टेड थी.

4पीएम न्यूज नेटवर्क: चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर गुरूवार सुबह इमीग्रेशन अधिकारियों ने एक बड़ी सफलता हासिल की। ब्लैकलिस्टेड थाई नागरिक को फर्जी पासपोर्ट के जरिए देश के बाहर निकालते हुए हिरासत में लिया गया।

गिरफ्तार की गई महिला की पहचान थोंगफुन चायफा उर्फ दरिन चोकथनपट के रूप में हुई है। महिला बैंकॉक जाने के लिए फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल कर रही थी, लेकिन सुरक्षा जांच के दौरान उसके दस्तावेज संदिग्ध पाए गए। गहन पूछताछ और दस्तावेजों की जांच के बाद उसके खिलाफ सक्त कार्रवाई की गई।

अधिकारियों ने उसके पास से 3 फर्जी पासपोर्ट, 2 थाई आईडी, बोर्डिंग पास और दो मोबाइल फोन बरामद किए हैं. थोंगफुन चायफा उर्फ दरिन चोकथनपट नाम की यह महिला पहले से ही भारत में यात्रा के लिए ब्लैकलिस्टेड थी. महिला को मार्च 2025 में एग्जिट परमिट पर भारत से भेजा गया था. इसके बाद वह 31 जुलाई 2025 को फर्जी पासपोर्ट से रक्सौल बॉर्डर से भारत में प्रवेश कर गई.

जानकारी के मुताबिक, लखनऊ निवासी जसविंदर सिंह ने अपने साथियों नवेंदु मित्तल और शुवेंदु निगम की मदद से महिला के लिए कई फर्जी पासपोर्ट बनवाए. इमीग्रेशन अधिकारी के अनुसार, पकड़ी गई महिला ने अपना नाम डारिन चोकथनपत बताया और पासपोर्ट नंबर AD 2175735 प्रस्तुत किया. जांच में खुलासा हुआ कि यह वही महिला है जो जुलाई 2024 में भारत आई थी और थोंगफुन चयाफा नाम से यात्रा कर चुकी थी. वीजा उल्लंघन के कारण भारत सरकार ने उसे ब्लैकलिस्ट कर दिया था और मार्च 2025 में एक्जिट परमिट पर देश छोड़ना पड़ा था.

पूछताछ में महिला ने माना कि जसविंदर सिंह नामक व्यक्ति ने उसे फर्जी पासपोर्ट दिलवाने में मदद की. पासपोर्ट में न सिर्फ उसका नाम बल्कि माता-पिता का नाम भी बदलकर दर्ज किया गया. इसके बाद 31 जुलाई 2025 को वह रक्सौल बॉर्डर से नेपाल के रास्ते अवैध रूप से भारत में दाखिल हुई और तब से जसविंदर सिंह के लखनऊ स्थित घर में रह रही थी.

पहले भी आ चुकी थी पुलिस की गिरफ्त में

इस महिला की गतिविधियों की जानकारी 13 अगस्त को ही इंटेलिजेंस एजेंसियों और एफआरओ लखनऊ तक पहुंच चुकी थी. उस समय पुलिस ने महिला और जसविंदर सिंह को हिरासत में लिया था, लेकिन बिना केस दर्ज किए उसे जाने दिया. यही लापरवाही अब फिर सवालों के घेरे में है.

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