संभल मस्जिद मामला, SC ने 25 अगस्त तक यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया

हिन्दु पक्षों की याचिका पर हाई कोर्ट ने कहा था कि संभल स्थित शाही जामा मस्जिद के खिलाफ मुकदमा प्लेसेस ऑफ वरशिप एक्ट के तहत नहीं आएगा.

4पीएम न्यूज नेटवर्क: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के संभल जिले में स्थिति शाही जामा मस्जिद को लेकर चल रहे विवाद में 25 अगस्त तक यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है। यह आदेश इलाहाबाद हाईकोर्ट के 19 मई 2025 के निर्णय के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया।

जस्टिसी पीएसन रसिम्हा और जस्टिस अतुल एस चंदुरकर की पीठ इलाहाबाद हाई कोर्ट के 19 मई के आदेश के खिलाफ संभल मस्जिद समिति की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. हिन्दु पक्षों की याचिका पर हाई कोर्ट ने कहा था कि संभल स्थित शाही जामा मस्जिद के खिलाफ मुकदमा प्लेसेस ऑफ वरशिप एक्ट के तहत नहीं आएगा.

याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए. उन्होंने दलील दी कि चुनौती हाई कोर्ट के इस निष्कर्ष को लेकर है कि यह मुकदमा प्लेसेस ऑफ वरशिप एक्ट के तहत नहीं आएगा. इस पर जस्टिस नरसिम्हा ने पूछा कि क्या इस मामले को प्लेसेस ऑफ वरशिप एक्ट से संबंधित याचिकाओं के साथ जोड़ा जाना चाहिए.

हिंदू पक्ष ने क्या दिया तर्क?
हिंदू पक्ष की ओर से पेश हुए अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने दलील दी कि इस मामले में पूजा स्थल अधिनियम से संबंधित मुद्दा ही नहीं उठता. उन्होंने तर्क दिया कि चूंकि संभल मस्जिद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा संरक्षित एक स्मारक है, इसलिए यह अधिनियम के दायरे से बाहर है. उन्होंने कहा कि वादी केवल स्मारक तक पहुंच की मांग कर रहे हैं.

जैन ने आगे दलील दी कि कोर्ट की एक अन्य पीठ ने आज एक आदेश पारित किया है कि एएसआई की ओर से संरक्षित एक स्मारक प्लेसेस ऑफ वरशिप एक्ट नहीं आता. इसके बाद पीठ ने जैन को सोमवार को इस आदेश पेश करने को कहा. जस्टिस नरसिम्हा ने मामले की सुनवाई सोमवार तक स्थगित करते हुए कहा कि हम उस आदेश को देखेंगे. हम असंगत आदेश पारित नहीं करना चाहते. तब तक यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया गया है.

आपको बता दें,कि हाई कोर्ट ने निचली अदालत के 19 नवंबर 2024 के आदेश को चुनौती देने वाली मस्जिद समिति की याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें मस्जिद परिसर की स्थानीय जांच के लिए एक अधिवक्ता आयुक्त नियुक्त किया गया था. पिछले साल नवंबर में आयुक्त के मस्जिद दौरे के कारण इलाके में सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई थी. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2024 में निचली अदालत की कार्यवाही पर तब तक के लिए रोक लगा दी जब तक कि हाई कोर्ट मस्जिद समिति की चुनौती पर फैसला नहीं सुना देता.

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