अपनी कड़ी मेहनत और मधुर व्यवहार के कारण उप मुख्यमंत्री बने बृजेश पाठक
- भाजपा का सबसे बड़ा ब्राह्मïण चेहरा बन गए हैं बृजेश पाठक
- मोदी और अमित शाह के भी बहुत चहेते है बृजेश पाठक
- कोरोना काल में लोगों की सबसे ज्यादा मदद करने वाले मंत्री थे बृजेश
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मंत्रिमंडल में पीएम मोदी और अमित शाह के चहेते ब्रजेश पाठक को उप मुख्यमंत्री जैसे अहम पद की जिम्मेदारी मिली है। अपनी कड़ी मेहनत और मधुर व्यवहार के कारण बृजेश पाठक उप मुख्यमंत्री बने है। पाठक के शपथ लेते ही अब वे भाजपा का सबसे बड़ा ब्राह्मïण चेहरा भी बन गए हैं। लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र संघ अध्यक्ष रहे बृजेश पाठक को उनके सरल व्यक्तित्व, सहजता और सियासी स्वीकार्यता ने 32 साल में प्रदेश के डिप्टी सीएम के पद तक पहुंचा दिया। यही नहीं, जब भाजपा सरकार के सत्तारूढ़ होने के बाद कानपुर में विकास दुबे कांड हुआ तो सरकार को लेकर ब्राह्मïणों के एक वर्ग में नाराजगी पनपने लगी। वह इस दौरान लगातार बयान देते रहे कि ब्राह्मïण भाजपा से नाराज नहीं हो ही सकता। साथ ही चाहे प्रदेश के निष्क्रिय अधिकारियों पर हमला रहा हो या फिर ब्राह्मïणों की नाराजगी का मुद्ïदा पाठक हमेशा सरकार के साथ खड़े रहे। शायद यही वजह रही कि उन्हें पार्टी नेतृत्व व संगठन ने कद बढ़ाकर पुरस्कृत किया है। योगी की पिछली सरकार में बृजेश पाठक कानून मंत्री थे। लखनऊ कैंट विधानसभा क्षेत्र के विधायक ब्रजेश पाठक हरदोई जिले के मल्लावां क्षेत्र के निवासी हैं।
25 जून 1964 को सुरेश पाठक के घर जन्मे बृजेश ने छात्रनेता के रूप में राजनीति की शुरुआत की। वह 1989 में लखनऊ विश्वविद्यालय छात्र संघ के उपाध्यक्ष और 1990 में अध्यक्ष बने। बृजेश पाठक 22 अगस्त 2016 को भाजपा में शामिल हो गए, इससे पहले वे बसपा में थे। भाजपा ने 2017 के चुनाव में लखनऊ मध्य सीट से चुनाव मैदान में उतारा। पार्टी की अपेक्षाओं पर खरे उतरते हुए ब्रजेश पाठक ने सपा सरकार के मंत्री रविदास मेहरोत्रा को पांच हजार से अधिक वोटों से मात दी। 2022 के विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने लखनऊ कैंट सीट से चुनाव लड़ा और उन्होंने सपा प्रत्याशी सुरेंद्र सिंह राजू को 39512 वोटों से हरा दिया व जीत दर्ज की। अब उन्हें प्रदेश का उप मुख्यमंत्री बनाया गया है, जिसके बाद से लखनऊ ही नहीं, पूरे प्रदेश में खुशी की लहर है। एमए, एलएलबी बृजेश पाठक के परिवार में पत्नी नम्रता, दो बेटियां दीपिका, सांभवी और एक बेटा कार्तिक है।
कोरोनाकाल में गरीबों की मदद की, नहीं दिखाई हिचक
कोरोना काल में बृजेश पाठक ने अधिकारियों द्वारा गरीबों की सुनवाई न करने को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा। भाजपा नेतृत्व ने चुनाव से पहले ब्राह्मïण नेताओं की एक कमेटी बनाई, उसमें बृजेश पाठक भी शामिल थे। अपनी इस कार्यशैली से जहां बृजेश एक ब्राह्मïण नेता के रूप में स्थापित हुए। वहीं संगठन की नजरों में उनका कद बढ़ता चला गया। प्रदेश में जहां कहीं भी ब्राह्मïणों के खिलाफ कोई बड़ी घटना होती तो वह प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से वहां जरूर जाते। उनकी इसी क्षमता के चलते ब्राह्मïण चेहरे के स्थान पर बृजेश जैसे सक्रिय नेता को उप मुख्यमंत्री बनाया गया।
डिप्टी सीएम बनते ही ब्रजेश पाठक के आवास पर आतिशबाजी
अटल बिहारी बाजपेई इकाना स्टेडियम में शपथ ग्रहण समारोह चल ही रहा था कि बड़ी संख्या में समर्थक राजभवन स्थित ब्रजेश पाठक के सरकारी आवास पहुंच गए। यहां पहले से ही सैकड़ों की संख्या में समर्थक जश्न मना रहे थे। देर रात तक डिप्टी सीएम के आवास के बाहर समर्थकों की भारी भीड़ रही। समर्थकों ने आवास के बाहर जोरदार आतिशबाजी की। यही नहीं सुबह भी उनसे मिलने वालों का तांता लगा रहा। डिप्टी सीएम के आवास के आसपास का ऐसा माहौल था कि मानो होली और दीवाली एक ही दिन है।
सतीश महाना बन सकते हैं विधानसभा अध्यक्ष
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंत्रिपरिषद में पिछली सरकार के कई बड़े चेहरों की नामौजूदगी को लेकर भले ही सवाल उठ रहे हों लेकिन इनमें से कुछ का पार्टी दूसरे तरीके से उपयोग करेगी। योगी पार्ट टू में जगह न पाने वालों में शामिल डॉ. दिनेश शर्मा और सतीश महाना को जल्द ही दूसरी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जा सकती है। वहीं यह भी तय है कि मंत्रिपरिषद से कुछ चेहरों का पत्ता उनकी छवि और प्रदर्शन को देखते हुए कटा गया है। नई सरकार में जगह न पाने वालों में सबसे प्रमुख नाम आठवीं बार विधान सभा पहुंचने वाले सतीश महाना का है। महाना पिछली सरकार में औद्योगिक विकास मंत्री थे। सूत्रों की मानें तो महाना की वरिष्ठता और उनके लंबे राजनीतिक अनुभव को देखते हुए उन्हें विधान सभा अध्यक्ष का ओहदा सौंपा जा सकता है। विधान सभा में इस बार मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी का न सिर्फ संख्या बल बढ़ा है बल्कि नेता प्रतिपक्ष की भूमिका खुद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव निभाएंगे। ऐसे में विधान सभा अध्यक्ष की कुर्सी पर भाजपा महाना जैसे राजनीतिक रूप से परिपक्व व्यक्ति को बैठा सकती है।
योगी की पिछली सरकार में उप मुख्यमंत्री रहे डा.दिनेश शर्मा को नई सरकार में जगह नहीं मिली है लेकिन प्रबल संभावना है कि उन्हें विधान परिषद के सभापति का दायित्व सौंपा जा सकता है। दिनेश शर्मा वर्तमान में विधान परिषद सदस्य हैं। यह भी माना जा रहा है कि स्वतंत्र देव सिंह को मंत्री बनाये जाने के बाद रिक्त हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी पार्टी किसी ब्राह्मण को सौंपना चाहेगी। भाजपा डॉ. दिनेश शर्मा का उपयोग इस लिहाज से भी कर सकती है। पिछली सरकार में ऊर्जा मंत्री रहे श्रीकांत शर्मा और मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह भी नई सरकार में शामिल नहीं हो पाए हैं। भाजपा इनका उपयोग संगठन में कर सकती है। आशुतोष टंडन गोपाल को भी संगठन में जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।
आठ विधायक देने वाले लखीमपुर को नहीं मिली तवज्जो
लखनऊ। यूपी विधानसभा के दो चुनावों में लगातार आठों सीटें देने वाले खीरी जिले की झोली इस बार भी खाली रही। जिले के किसी विधायक को मंत्री नहीं बनाया गया है। इससे जिले के सियासी गलियारों में मायूसी छा गई। खीरी जिले में लगातार दो विधानसभा चुनावों से भाजपा रिकॉर्ड बनाती रही। 2017 के चुनाव में भी भाजपा सभी आठों सीटें जीती और इस बार 2022 के चुनाव में भी। बावजूद इसके जिले का कद लखनऊ में नहीं बढ़ सका। इस बार तो कई सीटों पर कांटे के मुकाबले के बाद भाजपा ने जीत हासिल की थी। लगातार दो बार क्लीन स्वीप के बाद इस बार उम्मीदें थीं। इस बार मंत्री पद की दौड़ में कई नाम चल रहे थे। इनमें पांचवी बार के विधायक अरविंद गिरि का नाम सबसे आगे था। चार दिन पहले सोशल मीडिया पर संभावित मंत्रियों की कथित सूची चलने लगी। उसमें भी उनका नाम था। हालांकि भाजपा नेताओं ने उस सूची को गलत बताया था।
उत्तराखंड : पांचवीं विधानसभा की अध्यक्ष चुनी गईं ऋ तु खंडूरी
देहरादून। उत्तराखंड की पांचवीं विधानसभा के अध्यक्ष पद पर कोटद्वार से भाजपा विधायक ऋ तु खंडूरी भूषण को निर्विरोध चुन लिया गया है। वह राज्य की पहली महिला विधानसभा अध्यक्ष हैं। प्रोटेम स्पीकर बंशीधर भगत की अध्यक्षता में ऋ तु खंडूरी भूषण सर्वसम्मति से विधानसभा की अध्यक्ष चुनी गईं। सदन के वरिष्ठ विधायकों ने ऋ तु खंडूरी भूषण को पदभार कराया ग्रहण। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी सदन में मौजूद रहे। नव निर्वाचित विधानसभा अध्यक्ष ऋ तु खंडूरी भूषण ने सदन को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने निर्विरोध चुने जाने पर सदन के सभी सदस्यों का धन्यवाद किया। विधानसभा अध्यक्ष के निर्वाचन की प्रक्रिया गुरुवार को प्रारंभ हुई। पहले दिन भाजपा विधायक ऋ तु खंडूरी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और उनकी कैबिनेट के सदस्यों की उपस्थिति में नामांकन दाखिल किया। नामांकन के अंतिम दिन निर्धारित समयावधि तक अन्य किसी उम्मीदवार ने पर्चा नहीं भरा। यद्यपि कांग्रेस ने गुरुवार देर शाम ही विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए अपना प्रत्याशी न उतारने की घोषणा कर दी थी। यह बात अलग है कि निर्वाचन की स्थिति आने पर भी खंडूड़ी की जीत तय थी, क्योंकि 70 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के विधायकों की संख्या 47 है। शनिवार सुबह 11 बजे विधानसभा के सभामंडप में खंडूड़ी के निर्वाचन की घोषणा प्रोटेम स्पीकर भगत ने की। इसके बाद खंडूड़ी अध्यक्षीय पीठ पर आसीन हुईं। राज्य गठन के बाद यह पहला अवसर है, जब कोई महिला विधायक विधानसभा अध्यक्ष बनी हैं।