सोशल इंजीनियरिंग के सहारे निकाय चुनाव में उतरेगी बसपा : मायावती

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। बसपा पुराने फार्मूले के सहारे नये चुनाव जीतने की आस में है। वह निकाय चुनाव में अपनी सोशल इंजीनियरिंग का भरपूर प्रयोग कर लोकसभा चुनाव की राह आसान करना चाहती है। इसी फार्मूले को हिट करने के लिए वह फिर दलित-मुस्लिम गठजोड़ पर फोकस कर रही है। दरअसल, थिंक टैंक का मानना है कि किसी भी तरह से मुस्लिमों को पार्टी में पुन: लाया जाए। दलित-मुस्लिम समीकरण बनेगा तो पार्टी मजबूत होगी। क्षेत्रीय वर्चस्व वाली जातियों को टिकट दिया जाए। इसी सोशल इंजीनियरिंग के सहारे पार्टी प्रदेश में चार बार सरकार बना चुकी है।
पिछले निकाय चुनाव में भी इसी समीकरण के सहारे मेरठ में सुनीता वर्मा ने महापौर पद भाजपा से छीन लिया था। वहीं, दलित-मुस्लिम समीकरण बनने से अलीगढ़ में बसपा के फुरकान विजयी रहे। अन्य दो सीटों पर पार्टी दूसरे स्थान पर रही थी।

महापुरुषों पर हो रही सियासत पर नजर

पार्टी को यह भी चिंता है कि दूसरे दल उन महापुरुषों की जयंती मना रहे हैं जिन पर बसपा अपना दावा करती रही है। जैसे सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की ओर से रायबरेली में पार्टी संस्थापक कांशीराम की प्रतिमा की स्थापना में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव शामिल हुए। इसी तरह से महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती भी विभिन्न दलों ने मनाई। इस पर पार्टी सुप्रीमो मायावती ने तंज भी कसा कि अब ऐसे लोगों को यह महापुरुष याद आ रहे हैं जो इनका विरोध करते थे। पार्टी को यह भी चिंता है कि दूसरे दल उनके कोर वोट बैंक में सेंध लगा रहे हैं। खास तौर से दलितों में सेंध लगने से बसपा को बड़ा नुकसान हुआ है। विधानसभा चुनाव 2022 में काफी दलित पार्टी से छिटक गए।

Related Articles

Back to top button